Saturday, June 21, 2014

सूर्य और चन्द्र का आपसी सम्बन्ध

सूर्य और चन्द्र का आपसी सम्बन्ध
सूर्य और चन्द्रमा अगर किसी भाव में एक साथ होते
है,तो कारकत्व के अनुसार फ़ल देते है,सूर्य पिता है और
चन्द्र यात्रा है,पुत्र
को भी यात्रा हो सकती है,एक संतान
की उन्नति बाहर होती है।
सूर्य और मंगल का आपसी सम्बन्ध
मंगल के साथ एक साथ होने पर मंगल
की गर्मी और पराक्रम के कारण
अभिमान की मात्रा बढ
जाती है,पिता प्रभावी और शक्ति मान
बन जाता है,मन्गल भाई है,इसी लिये एक भाई
सदा सहयोग मे रहता है,मन्गल रक्त है,इसलिये
ही पिता पुत्र को रक्त
वाली बीमारिया होती है,एक
दूसरे से एक सात और एक बारह में
भी यही प्रभाव
होता है,स्त्री की कुन्डली में
पति प्रभावी होता है,लेकिन उसके ह्रदय में प्रेम
अधिक होता है।
सूर्य और बुध का आपसी सम्बन्ध
बुध के साथ होने पर पिता और पुत्र दोनो ही शिक्षित
होते है,समाज में प्रतिष्ठा होती है,जातक के
अन्दर वासना अधिक होती है,पिता के पास
भूमि भी होती है,और बहिन
काफ़ी प्रतिष्ठित परिवार से सम्बन्ध
रखती है,व्यापारिक कार्यों के अन्दर पिता पुत्र
दोनो ही निपुण होते है,पिता का सम्बन्ध
किसी महिला से होता है।
सूर्य और गुरु का आपसी सम्बन्ध
गुरु के साथ होने पर जीवात्मा का संयोग
होता है,जातक का विश्वास ईश्व्वर में अधिक होता है,जातक
परिवार के किसी पूर्वज
की आत्मा होती है,जातक के अन्दर
परोपकार की भावना होती है,जातक के
पास आभूषण
आदि की अधिकता होती है,पद
प्रतिष्ठा के अन्दर आदर मिलता रहता है।
सूर्य और शुक्र का आपसी सम्बन्ध
शुक्र के साथ होने पर मकान और धन
की अधिकता होती है,दोनो की युति के
चलते संतान
की कमी होती है,स्त्री की कुन्डली में
यह युति होने पर स्वास्थ्य
की कमी मिलती है,शुक्र
अस्त हो तो स्वास्थ्य पर बहुत बुरा असर पडता है।
सूर्य और शनि का आपसी सम्बन्ध
शनि के साथ होने पर जातक या पिता के पास सरकार से सम्बन्धित
कार्य होते है,पिता के जीवन में जातक के जन्म के
समय
काफ़ी परेशानी होती है,पिता के
रहने तक पुत्र आलसी होता है,और पिता के बाद
खुद जातक का पुत्र आलसी हो जाता है,पिता पुत्र
के एक साथ रहने पर
उन्नति नही होती है,वैदिक ज्योतिष में
इसे पितृ दोष माना जाता है,जातक को गायत्री के जाप
के बाद सफ़लता मिलने लगती है।
सूर्य और राहु का आपसी सम्बन्ध
सूर्य के साथ राहु का होना भी पितामह के बारे में
प्रतिष्ठित होने की बात मालुम
होती है,एक पुत्र की पैदायस अनैतिक
रूप से
भी मानी जाती है,जातक के
पास कानून से विरुद्ध काम करने की इच्छायें
चला करती है,पिता की मौत दुर्घटना में
होती है,या किसी दवाई के रियेक्सन
या शराब के कारण होती है,जातक के जन्म के समय
पिता को चोट लगती है,जातक को सन्तान
भी कठिनाई से
मिलती है,पत्नी के अन्दर गुप चुप रूप
से सन्तान को प्राप्त करने
की लालसा रहती है,पिता के
किसी भाई को जातक के जन्म के बाद मौत
जैसी स्थिति होती है।
सूर्य और केतु का आपसी सम्बन्ध
केतु और सूर्य का साथ होने पर जातक और उसका पिता धार्मिक
होता है,दोनो के कामों के अन्दर कठिनाई
होती है,पिता के पास कुछ इस प्रकार
की जमीन
होती है,जहां पर
खेती नही हो सकती है,नाना की लम्बाई
अधिक होती है,और पिता के नकारात्मक प्रभाव के
कारण जातक का अधिक जीवन नाना के पास
ही गुजरता है।

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