ग्रहों से दोस्ती - अचूक उपाय है
पहला भाव-खुद के शरीर से
दोस्ती करना
दूसरा-भाव- अपने कुटुम्ब के लोगो से बनाकर रखना
तीसरा भाव-छोटे भाई बहिन से बनाकर रखना
चौथा भाव-माता से बनाकर रखना
पांचवा भाव-सन्तान से बनाकर रखना
छठा भाव-मामा मौसी से बनाकर चलना
सातवाभाव= साझेदार और जीवन साथी से
बनाकर चलना
आठवा भाव-ताई और ताऊ से बनाकर चलना
नवा भाव-पिता परिवार से बनाकर चलना घर के बुजुर्गो से और
अपने सामाजिक लोगो से धर्म की शिक्षा देने वाले
लोगो से बना कर चलना
दसवे भाव-से कार्य स्थान पर कार्य करने वाले लोगो से बनाकर
चलना
ग्यारहवे भाव-से बडे भाई बहिनो और दोस्तो से बनाकर चलना
बारहवे भाव-भाव से मामी मौसा आदि से बनाकर
चलना चाचा चाची से बनाकर
चलना आदि भी इन्सानी भावना से
दोस्ती बनाकर चलने वाली बात
को समझा जा सकता है।
पहला भाव-खुद के शरीर से
दोस्ती करना
दूसरा-भाव- अपने कुटुम्ब के लोगो से बनाकर रखना
तीसरा भाव-छोटे भाई बहिन से बनाकर रखना
चौथा भाव-माता से बनाकर रखना
पांचवा भाव-सन्तान से बनाकर रखना
छठा भाव-मामा मौसी से बनाकर चलना
सातवाभाव= साझेदार और जीवन साथी से
बनाकर चलना
आठवा भाव-ताई और ताऊ से बनाकर चलना
नवा भाव-पिता परिवार से बनाकर चलना घर के बुजुर्गो से और
अपने सामाजिक लोगो से धर्म की शिक्षा देने वाले
लोगो से बना कर चलना
दसवे भाव-से कार्य स्थान पर कार्य करने वाले लोगो से बनाकर
चलना
ग्यारहवे भाव-से बडे भाई बहिनो और दोस्तो से बनाकर चलना
बारहवे भाव-भाव से मामी मौसा आदि से बनाकर
चलना चाचा चाची से बनाकर
चलना आदि भी इन्सानी भावना से
दोस्ती बनाकर चलने वाली बात
को समझा जा सकता है।
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