नीच राशी के ग्रह :-
१. यदि सूर्य नीच राशी तुला (७) में
हो तो, जातक पापी,
साथियों की सहायता करने वाला , और
नीच कर्म में तत्पर होता है।
२. चन्द्रमा नीच राशी वृश्चिक (८)
तो जातक रोगी , धन का अपव्यय करने
वाला तथा विद्वानों का संगी।
३. मंगल नीच राशी कर्क (४) में होतो,
जातक की बुद्धि कुंठित होती है ,
इअसके सोचे हुए कार्य अधूरे रहते हैं। यह
किसी का एहसान भूलने में देर
नहीं करता है।
४. बुध नीच राशी मीन
(१२)का होतो, जातक समाज द्रोही , बंधुओं के
द्वारा अपमानित तथा चित्रकला आदि में प्रसिद्ध।
५. गुरु नीच राशी मकर (१०)
का हो तो अपनी दशा में जातक को कलंकित करता है,
तथा भाग्य के साथ खिलवाड़ करता रहता है।
६. शुक्र नीच राशी कन्या (६)
का हो तो , जातक को मेहनत के बाद भी धन
नहीं मिलता है. इसके कारण जातक को पश्चाताप
होता रहता है।
७. शनि नीच राशी मेष (१) का हो तो,
अपव्ययी , मद्यप , तथा पर
स्त्री गामी होता है।
८. राहू नीच राशी का होने पर जातक
मुकदमें जीतने वाला , लेकिन धन प्राप्त
नहीं होता है।
९. केतू नीच राशी का होने पर जातक
मलिन मन का , दुर्बुद्धि और कष्ट सहन करने वाला होता है।
१. यदि सूर्य नीच राशी तुला (७) में
हो तो, जातक पापी,
साथियों की सहायता करने वाला , और
नीच कर्म में तत्पर होता है।
२. चन्द्रमा नीच राशी वृश्चिक (८)
तो जातक रोगी , धन का अपव्यय करने
वाला तथा विद्वानों का संगी।
३. मंगल नीच राशी कर्क (४) में होतो,
जातक की बुद्धि कुंठित होती है ,
इअसके सोचे हुए कार्य अधूरे रहते हैं। यह
किसी का एहसान भूलने में देर
नहीं करता है।
४. बुध नीच राशी मीन
(१२)का होतो, जातक समाज द्रोही , बंधुओं के
द्वारा अपमानित तथा चित्रकला आदि में प्रसिद्ध।
५. गुरु नीच राशी मकर (१०)
का हो तो अपनी दशा में जातक को कलंकित करता है,
तथा भाग्य के साथ खिलवाड़ करता रहता है।
६. शुक्र नीच राशी कन्या (६)
का हो तो , जातक को मेहनत के बाद भी धन
नहीं मिलता है. इसके कारण जातक को पश्चाताप
होता रहता है।
७. शनि नीच राशी मेष (१) का हो तो,
अपव्ययी , मद्यप , तथा पर
स्त्री गामी होता है।
८. राहू नीच राशी का होने पर जातक
मुकदमें जीतने वाला , लेकिन धन प्राप्त
नहीं होता है।
९. केतू नीच राशी का होने पर जातक
मलिन मन का , दुर्बुद्धि और कष्ट सहन करने वाला होता है।
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