भगवती महालक्ष्मी के इस भोग में
छुपा है धनवान बनने का रहस्य
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भगवती महालक्ष्मी की कृपा पाने
की इच्छा सभी के मन में
रहती है
क्योंकि भगवती महालक्ष्मी ही धन
और समृद्घि प्रदान करने वाली महाशक्ति हैं।
भगवती महालक्ष्मी को चंचला कहा जाता है
सच्चे ह्रदय से इनकी पूजा अर्चना करने से कोई
भी इन्हें अपने पास स्थायी रूप से रख
सकता है। ऐसा न होने पर लक्ष्मी मां अपने
पीछे दरिद्रता छोड़ व्यक्ति के जीवन से
सदैव के लिए विदा ले लेती हैं।
भगवती महालक्ष्मी को धन, ऐश्वर्य-
राज्यकृपा व्यापार, व्यवसाय-उद्योग, कीर्ति तेज,
कान्ति-राज्य कृपा, व्यापार-व्यवसाय-उद्योग धंधे में उन्नति और
नौकरी में प्रगति प्रदान करने
वाली देवी शास्त्रों ने माना है।
भगवती महालक्ष्मी प्रवर्तक
शक्ति हैं जीवों में लोभ, आकर्षण,
आसक्ति उत्पन्न करती हैं धन,
सम्पत्ति लक्ष्मी का भौतिक रूप है।
सनातन धर्म में कोई भी व्रत,उपवास अथवा विशेष
दिन हो देवी-देवताओं को भोग लगाने
की परंपरा है। तो आइए जानें
भगवती महालक्ष्मी की अनुकंपा पाने
के लिए और धनवान बनने के लिए उन्हें उनके कौन-कौन से प्रिय
भोग लगाए जाते हैं
1 दही में इलायची और शक्कर मिलाकर
भगवती महालक्ष्मी को अर्पित करें।
2 भगवती महालक्ष्मी को मखाने
की खीर का भोग लगाएं।
3 देवी मां लक्ष्मी को कमल
ककड़ी का भोग लगाएं।
4 लक्ष्मी मंदिर में गन्ने का रस चढ़ाएं।
भगवती महालक्ष्मी को लगाए जाने वाले
ऊपर लिखित सभी भोगों में से सबसे अधिक पान के
पत्ते का महत्व है। पान पत्र के अभाव में धार्मिक प्रयोजन
सफल नहीं हो सकते। इसे देवी-
देवताओं को भी भेंट किया जाता है।
दुर्गा सप्तशती के तृतीय अध्याय में
महिषासुर वध का कथानक वर्णित है। महिषासुर और मां के
मध्य भयंकर संग्राम हो रहा होता है। संग्राम करते-करते
मां को थकान अनुभव होने लगती है।
अपनी थकान से निजात पाने के लिए माता मधु से भरे
पान पत्र का सेवन करती हैं तत्पश्चात
मां महिषासुर को कहती हैं कि,"कुछ पल और गरज
ले, अभी मैं तुम्हारा संहार करुंगी।"
ऐसे वचन कहते ही मां ने महिषासुर पर चढ़ाई कर
दी और महिषासुर पंचतत्व को प्राप्त हुआ।
मान्यता है की महिषासुर का संहार
भगवती महालक्ष्मी ने किया था।
मां को पान अत्यधिक प्रिय है। मधु अर्थात शहद से भरपूर पान
खाने के पश्चात जब मां के
होंठों पर पान
की लाली आती है तो उसे
देखकर मां प्रसन्न होती हैं।
जब
भी भगवती महालक्ष्मी का पूजन
करें अंत में देवी को पान अवश्य भेंट करें।
छुपा है धनवान बनने का रहस्य
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भगवती महालक्ष्मी की कृपा पाने
की इच्छा सभी के मन में
रहती है
क्योंकि भगवती महालक्ष्मी ही धन
और समृद्घि प्रदान करने वाली महाशक्ति हैं।
भगवती महालक्ष्मी को चंचला कहा जाता है
सच्चे ह्रदय से इनकी पूजा अर्चना करने से कोई
भी इन्हें अपने पास स्थायी रूप से रख
सकता है। ऐसा न होने पर लक्ष्मी मां अपने
पीछे दरिद्रता छोड़ व्यक्ति के जीवन से
सदैव के लिए विदा ले लेती हैं।
भगवती महालक्ष्मी को धन, ऐश्वर्य-
राज्यकृपा व्यापार, व्यवसाय-उद्योग, कीर्ति तेज,
कान्ति-राज्य कृपा, व्यापार-व्यवसाय-उद्योग धंधे में उन्नति और
नौकरी में प्रगति प्रदान करने
वाली देवी शास्त्रों ने माना है।
भगवती महालक्ष्मी प्रवर्तक
शक्ति हैं जीवों में लोभ, आकर्षण,
आसक्ति उत्पन्न करती हैं धन,
सम्पत्ति लक्ष्मी का भौतिक रूप है।
सनातन धर्म में कोई भी व्रत,उपवास अथवा विशेष
दिन हो देवी-देवताओं को भोग लगाने
की परंपरा है। तो आइए जानें
भगवती महालक्ष्मी की अनुकंपा पाने
के लिए और धनवान बनने के लिए उन्हें उनके कौन-कौन से प्रिय
भोग लगाए जाते हैं
1 दही में इलायची और शक्कर मिलाकर
भगवती महालक्ष्मी को अर्पित करें।
2 भगवती महालक्ष्मी को मखाने
की खीर का भोग लगाएं।
3 देवी मां लक्ष्मी को कमल
ककड़ी का भोग लगाएं।
4 लक्ष्मी मंदिर में गन्ने का रस चढ़ाएं।
भगवती महालक्ष्मी को लगाए जाने वाले
ऊपर लिखित सभी भोगों में से सबसे अधिक पान के
पत्ते का महत्व है। पान पत्र के अभाव में धार्मिक प्रयोजन
सफल नहीं हो सकते। इसे देवी-
देवताओं को भी भेंट किया जाता है।
दुर्गा सप्तशती के तृतीय अध्याय में
महिषासुर वध का कथानक वर्णित है। महिषासुर और मां के
मध्य भयंकर संग्राम हो रहा होता है। संग्राम करते-करते
मां को थकान अनुभव होने लगती है।
अपनी थकान से निजात पाने के लिए माता मधु से भरे
पान पत्र का सेवन करती हैं तत्पश्चात
मां महिषासुर को कहती हैं कि,"कुछ पल और गरज
ले, अभी मैं तुम्हारा संहार करुंगी।"
ऐसे वचन कहते ही मां ने महिषासुर पर चढ़ाई कर
दी और महिषासुर पंचतत्व को प्राप्त हुआ।
मान्यता है की महिषासुर का संहार
भगवती महालक्ष्मी ने किया था।
मां को पान अत्यधिक प्रिय है। मधु अर्थात शहद से भरपूर पान
खाने के पश्चात जब मां के
होंठों पर पान
की लाली आती है तो उसे
देखकर मां प्रसन्न होती हैं।
जब
भी भगवती महालक्ष्मी का पूजन
करें अंत में देवी को पान अवश्य भेंट करें।
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