Saturday, June 28, 2014

माला

माला
सनातन (हिन्दू) धर्म में जप के लिए माला का प्रयोग होता है।
क्योंकि किसी भी जप में संख्या का बहुत
महत्त्व होता है। निश्चित संख्या में जप करने के लिए
माला का प्रयोग करते हैं। माला फेरने से
एकाग्रता भी बनी रहती है।
किसी देवी-देवता के मंत्र का जप करने
के लिए एक निश्चित संख्या होती है। उस
संख्या का १० प्रतिशत हवन, हवन का १० प्रतिशत तर्पण,
तर्पण का १० प्रतिशत मार्जन, मार्जन की १०
प्रतिशत संख्या में ब्राह्मण भोजन करना होता है। इन
सभी संख्यों का निर्धारण बिना माना के संभव
नहीं।
माला में १०८ (+१ सुमेरु) दाने (मनके) होने चाहिए। ५४, २७
या ३० (इत्यादि) मनको की माला से
भी जप किया जाता है। साधना विशेष के लिए
मनकों की संख्या का विचार है। दो मनकों के
बीच डोरी में गांठ होना जरूर है, आमतौर
से ढाई गांठ
की माला अच्छी होती है।
अर्थात् डोरी में मनके पिरोते समय साधक हर मनके
के बाद ढाई गांठ लगाए। मनके पिरोते समय अपने इष्टदेव का जप
करते रहना चाहिए। सफेद डोरी शान्ति,
सिद्धि आदि शुभ कार्यों के लिए प्रयाग करनी चाहिए।
रुद्राक्ष की माला भगवान् शंकर को प्रिय है और इसे
सभी देवी देवताओं
की पूजा आराधना प्रयोग किया जा सकता है। रुद्राक्ष
पर जप करने सेअनन्त गुना (अन्य सभी मालाओं
की तुलना में बहुत अधिक) फल मिलता है। इसे
धारण करना भी स्वास्थ्य के लिए अच्छा होता है।
जिस माला को धारण करते हैं उस पर जप
नहीं करते लेकिन उसी जाति (किस्म)
कि दूसरी माला पर जप कर सकते हैं।
जप करते समय
माला गोमुखी या किसी वस्त्र से
ढकी होनी चाहिए।जप में
तर्जनी अंगुली का स्पर्श माला से
नहीं होना चाहिए। इसलिए गोमुखी के
बड़े छेद से हाथ अन्दर डाल कर छोटे छेद से
तर्जनी को बाहर निकलकर जप करना चाहिए।जप में
नाखून का स्पर्श माला से नहीं होना चाहिए।
सुमेरु के अगले दाने से जप आरम्भ करे,
माला को मध्यमा अंगुली के मघ्य पोर पर रख कर
दानों को अंगूठे की सहायता से
अपनी ओर गिराए। सुमेरु
को नहीं लांघना चाहिए। यदि एक माला से अधिक जप
करना हो तो, सुमेरु तक पहुंच कर अंतिम दाने को पकड़ कर,
माला पलटी कर के,
माला की उल्टी दिशा में, लेकिन पहले
की तरह ही जप करना चाहिए।
देवता विषेश के लिए माला का चयन करना चाहिए-
हाथी दांत
की माला गणेशजी की साधना के
लिए श्रेष्ठ मानी गई है।
लाल चंदन की माला गणेशजी व
देवी साधना के लिए उत्तम है।
तुलसी की माला से वैष्णव मत
की साधना होती है (विष्णु, राम व
कृष्ण)।
मूंगे की माला से
लक्ष्मी जी की आराधना होती है।
मोती की माला वशीकरण के
लिए श्रेष्ठ मानी गई है।
पुत्र जीवा की माला का प्रयोग संतान
प्राप्ति के लिए करते हैं।
कुश-मूल की माला का प्रयोग पाप-नाश व दोष-
मुक्ति के लिये होता है।
हल्दी की माला से
बगलामुखी की साधना होती है।
स्फटिक की माला शान्ति कर्म और ज्ञान प्राप्ति;
माँ सरस्वती व
भैरवी की आराधना के लिए श्रेष्ठ
होती है।
चाँदी की माला राजसिक प्रयोजन
तथा आपदा से मुक्ति में विशेष
प्रभावकरी होती है।
जप से पूर्व निम्नलिखित मंत्र से
माला की वन्दना करनी चाहिए–
(साधना या देवता विशेष के लिए अलग-अलग माला-
वन्दना होती है)
ॐ मां माले महामाये सर्वशक्तिस्वरूपिणी।
चतुर्वर्गस्त्वयि न्यस्तस्तस्मान्मे सिद्धिदा भव॥
ॐ अविघ्नं कुरु माले त्वं गृह्णामि दक्षिणे करे।
जपकाले च सिद्ध्यर्थं प्रसीद मम सिद्धय||

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