Thursday, June 5, 2014

चन्द्रमा का अन्य ग्रहो से सम्बन्ध

चन्द्रमा का अन्य ग्रहो से सम्बन्ध
जितने भी कार्य सोचने के है वह चन्द्रमा के
द्वारा ही होते है
अगर चन्द्रमा का रूप सही है
तो जीवन मे सोचने
की क्रिया सही होगी
अगर चन्द्रमा का स्थान गंदा है तो सोचने का काम
भी गंदा ही होगा और
जैसे जैसे चन्द्रमा गोचर से अन्य ग्रहों के साथ जायेगा या
भाव के अनुसार अपनी गोचर से क्रिया को पूर्ण करेगा
उन भावो के बारे मे भी अपनी सोच
को गंदा करता जायेगा।
राहु के साथ चन्द्रमा के आते ही कई प्रकार के
भ्रम आजाते है
और उन भ्रमो से बाहर
निकलना ही नही हो पाता है
उसी प्रकार से केतु के साथ आते
ही मोक्ष का रास्ता खुल जाता है,
और जो भी भावना है वह
खाली ही दिखाई देती है
मन एक साथ नकारात्मक हो जाता है
सूर्य के साथ जाते ही चन्द्रमा के अन्दर सूखापन
आजाता है
और जैसे रेगिस्तान मे धूप के अन्दर मारीचिका दिखाई
देती है
वैसी ही चन्द्रमा की सोच
हो जाती है,
मंगल के साथ जाते ही गर्म भाप का रूप चन्द्रमा ले
लेता है
और मानसिक सोच
या जो भी गति होती है
वह गर्म स्वभाव की हो जाती है
बुध के साथ चन्द्रमा की युति अक्समात
मजाकिया हो जाती है
और कभी कभी मजाक मे
जाललेवा भी हो जाती है
गुरु के साथ चन्द्रमा अपने मे यही सोचता रहता है
कि
उससे अधिक कोई जानकार नही है साथ
ही बार बार रिस्ते बनाने और
बिगाडने मे चन्द्रमा के साथ गुरु का ही हाथ
होता है
मानसिक रूप से कभी तो वह जिन्दा करने
की बात करने लगता है
और कभी कभी बिलकुल
ही समाप्त करने की बात करने
लगता है।

No comments:

Post a Comment