श्री नवग्रह शाबर मंत्र
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ॐ गुरु जी कहे, चेला सुने, सुन के मन में
गुने, नव ग्रहों का मंत्र, जपते पाप काटेंते, जीव
मोक्ष पावंते, रिद्धि सिद्धि भंडार भरन्ते, ॐ आं चं मं बुं गुं
शुं शं रां कें चैतन्य नव्ग्रहेभ्यो नमः,
इतना नव ग्रह शाबर मंत्र
सम्पूरण हुआ, मेरी भगत गुरु
की शकत, नव ग्रहों को गुरु
जी का आदेश आदेश आदेश !
is मंत्र का १०० माला जप कर सिद्धि प्राप्त
की जाती है. अगर नवरात्रों में
दशमी तक १० माला रोज़ जप जाये
तो भी सिद्धि होती है.
दीपक घी का, आसन रंग बिरंगा कम्बल
का, किसी भी समय, दिशा प्रात काल पूर्व,
मध्यं में उत्तर, सायं काल में पश्चिम
की होनी चाहिए. हवन किया जाये
तो ठीक नहीं तो जप
भी पर्याप्त है. रोज़ १०८ बार जपते रहने से
किसी भी ग्रह
की बाधा नहीं सताती है.
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ॐ गुरु जी कहे, चेला सुने, सुन के मन में
गुने, नव ग्रहों का मंत्र, जपते पाप काटेंते, जीव
मोक्ष पावंते, रिद्धि सिद्धि भंडार भरन्ते, ॐ आं चं मं बुं गुं
शुं शं रां कें चैतन्य नव्ग्रहेभ्यो नमः,
इतना नव ग्रह शाबर मंत्र
सम्पूरण हुआ, मेरी भगत गुरु
की शकत, नव ग्रहों को गुरु
जी का आदेश आदेश आदेश !
is मंत्र का १०० माला जप कर सिद्धि प्राप्त
की जाती है. अगर नवरात्रों में
दशमी तक १० माला रोज़ जप जाये
तो भी सिद्धि होती है.
दीपक घी का, आसन रंग बिरंगा कम्बल
का, किसी भी समय, दिशा प्रात काल पूर्व,
मध्यं में उत्तर, सायं काल में पश्चिम
की होनी चाहिए. हवन किया जाये
तो ठीक नहीं तो जप
भी पर्याप्त है. रोज़ १०८ बार जपते रहने से
किसी भी ग्रह
की बाधा नहीं सताती है.
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