षष्ठ भाव रोग, ऋण और रिपु का कहा गया है। ये
तीनो बातें गंभीर रूप में मुखर हो कर जब
सामने आती है तब हम सहसा कह उठते है
कि - ना जाने किस जन्म का यह फेर है जिसमें हम आज
भी बंधे है । 'जन्म-जन्म का वैर', 'पिछले जन्म
का कर्ज', 'पिछले जन्म का पाप' आदि कुछ लोकोपयोग के मुहावरे
है जो पूर्व जन्म और रोग-ऋण-रिपु के संबंधों को बताते हैं।
लोकाचार के मुहावरे time immemorial से
चली आ रही मान्यता, परंपरा व
तात्कालीन धर्म,आध्यात्म, विज्ञान आदि से
उपजी आम समझ को अपने साथ
ढोती हुई यहाँ तक लाती है। इसलिए
लोक-व्यवहार में प्रयुक्त मुहावरों का अपना विशेष महत्व है।
जब हम ज्योतिष की बात करते हैं तो हमें
पुनर्जन्म
की अवधारणा को मानना ही होगा।
पुनर्जन्म की अवधारणा दो जीवन
की निरंतरता और
आत्मा की अमरता की और कालपुरुष से
सम्बद्ध होने की कड़ी है ।
कुंडलीगत देखें तो हमारे इस जीवन
का पंचम भाव पिछले जन्म का सूचक है। अर्थात, इस
जीवन का पूर्वजन्म का भाव (5 H) पूर्व
जीवन का द्वादश/मोक्ष भाव है । दुसरे शब्दों में,
अब का पंचम भाव तब का द्वादश भाव था। तो पिछले जन्म
का लग्न क्या होगा - एक घर आगे तब के द्वादश से (जो अब
का पंचम है)। अर्थात, इस जन्म के पंचम भाव से एक घर आगे
अर्थात षष्ठ भाव। षष्ठ भाव पिछले जन्म का लग्न था !!!
तीनो बातें गंभीर रूप में मुखर हो कर जब
सामने आती है तब हम सहसा कह उठते है
कि - ना जाने किस जन्म का यह फेर है जिसमें हम आज
भी बंधे है । 'जन्म-जन्म का वैर', 'पिछले जन्म
का कर्ज', 'पिछले जन्म का पाप' आदि कुछ लोकोपयोग के मुहावरे
है जो पूर्व जन्म और रोग-ऋण-रिपु के संबंधों को बताते हैं।
लोकाचार के मुहावरे time immemorial से
चली आ रही मान्यता, परंपरा व
तात्कालीन धर्म,आध्यात्म, विज्ञान आदि से
उपजी आम समझ को अपने साथ
ढोती हुई यहाँ तक लाती है। इसलिए
लोक-व्यवहार में प्रयुक्त मुहावरों का अपना विशेष महत्व है।
जब हम ज्योतिष की बात करते हैं तो हमें
पुनर्जन्म
की अवधारणा को मानना ही होगा।
पुनर्जन्म की अवधारणा दो जीवन
की निरंतरता और
आत्मा की अमरता की और कालपुरुष से
सम्बद्ध होने की कड़ी है ।
कुंडलीगत देखें तो हमारे इस जीवन
का पंचम भाव पिछले जन्म का सूचक है। अर्थात, इस
जीवन का पूर्वजन्म का भाव (5 H) पूर्व
जीवन का द्वादश/मोक्ष भाव है । दुसरे शब्दों में,
अब का पंचम भाव तब का द्वादश भाव था। तो पिछले जन्म
का लग्न क्या होगा - एक घर आगे तब के द्वादश से (जो अब
का पंचम है)। अर्थात, इस जन्म के पंचम भाव से एक घर आगे
अर्थात षष्ठ भाव। षष्ठ भाव पिछले जन्म का लग्न था !!!
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