Thursday, June 5, 2014

सूर्य जगत का राजा


सूर्य जगत का राजा है अपने समय पर उदय होता है और
अपने समय पर ही अस्त हो जाता है।
जातक के लिये बलशाली होने पर उसे राज्य का बल
देता है
लोगो को हुकुम पर चलाने की औकात रखता है।
शरीर मे हड्डियों का निर्माण करता है और
बलशाली बनाता है
शरीर के अन्दर एक अद्भुत चमक को देता है साथ
ही एक प्रकार की अहम
की मात्रा को देता है
जिस मात्रा से जो भी काम हाथ मे लिया जाता है उसे
पूरा किया जाता है।
चन्द्रमा के साथ सम्बन्ध होने पर देखने के बाद सोचने के लिये
शक्ति देता है
मंगल के साथ मिलने पर शौर्य और पराक्रम
की वृद्धि करता है,
बुध के साथ मिलकर अपने शौर्य और गाथा को दूरस्थ प्रसारित
करता है
अपनी वाणी और चरित्र को तेजपूर्ण रूप
मे प्रस्तुत करता है,शाही आदेश को प्रसारित
करता है,
गुरु के साथ मिलकर सभी धर्म और न्याय तथा लोगो के
आपसी सम्बन्धो को बनाता है,लोगो के अन्दर धन
और वैभव की कमी को पूरा करता है,
शुक्र के साथ मिलकर राजशी ठाठ बाट और शान शौकत
को दिखाता है भव्य कलाकारी से युक्त राजमहल
और लोगो के लिये वैभव को इकट्ठा करता है
शनि के साथ मिलकर गरीबो और कामगर लोगो के लिये
राहत का काम देता है जिनके पास काम नही है
जो भटकते हुये लोग है उन्हे आश्रय देता है पिता के रूप मे
पुत्र को सहारा देता है
राहु के साथ मिलकर चक्रवर्ती बनने के कारण
पैदा करता है और
केतु के साथ मिलकर अपनी आस्था विश्वास और
न्याय को प्रसारित करने के लिये साधनो को नियुक्त करता है
जो कार्य खुद नही कर सकता है वह केतु के
द्वारा अपनी आज्ञा से करवाता है.
यह सब तभी होता है -जब
सभी ग्रह
अपनी अपनी शक्ति से सूर्य
को अच्छा बल दे रहे होते है
लेकिन कुंडली मे अगर सूर्य खराब भाव मे है
तो वह खराब रूप ही प्रस्तुत करेगा

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