Wednesday, June 25, 2014

समाधान

१) किसी महत्वपूर्ण कार्य के लिए घर से बहार जाते
वक्त या व्यापार हेतु शहर से बहार जाना पड़े उस वक्त घर से
बहार जाते समय अपने हाथ में मुंग के कुछ दाने लें, यह दाने साबुत
होने चाहिए टुटा हुआ दाना न लें. दरवाज़े के पास रुक कर उन
दानो को हाथ में ले कर साधक निम्न मन्त्र को बोले और फूंक मारे.
ॐ श्रीं ह्रीं सर्वविघ्न विनाशाय
सर्व कार्य सिद्धिं नमः
(OM SHREEM HREEM SARV VIGHN VINAASHAY
SARV KARY SIDDHIM NAMAH)
इस प्रकार ७ बार मन्त्र बोले और फूंक मारे. इसके बाद साधक बहार
निकले तथा उन मुंग के दानो को घर के बहार फेंक दें. और
यात्रा का प्रारम्भ करे. इस प्रकार करने से, साधक के रस्ते में आने
वाले सभी विघ्न समाप्त होते है तथा कार्य में होने
वाली बाधा का निराकरण प्राप्त होता है.
२) साधक को कौए का एक पंख प्राप्त करना चाहिए. फिर साधक
शनिवार की रात्री में उस पंख पर सिन्दूर से
शत्रु का नाम लिखे तथा निम्न मन्त्र का १०८ बार पाठ करे. इसके लिए
कोई भी माला की ज़रूरत
नहीं है. साधक का मुख दक्षिण
दिशा की तरफ होना चाहिए, वस्त्र आसन आदि का विधान
नहीं है.
ॐ क्रीं शत्रु उच्चाटय उच्चाटय फट्
(OM KREENG SHATRU UCCHAATAY UCCHAATAY
PHAT)
इसके बाद साधक उस पंख को ले जा कर स्मशान में जला दे. या स्मशान
के किनारे जला दे तथा घर आ कर स्नान कर ले. इस प्रकार करने से
साधक के शत्रु का स्तम्भन होता है तथा शत्रु भविष्य में उसे परेशान
नहीं करता.
३) रविवार के दिन साधक स्नान आदि से निवृत हो कर साधक सफ़ेद
वस्त्र को धारण करे. इसके बाद साधक सूर्योदय के समय सूर्य के
सामने देखते हुवे बीज मन्त्र
‘ह्रीं’ (HREEM) का १०८ बार जाप करे इसके लिए
साधक को कोई
भी माला की आवश्यकता नहीं है
अगर साधक चाहे तो स्फटिक या रुद्राक्ष
की माला का प्रयोग कर सकता है. सूर्य को अर्ध्य प्रदान
करे. इसके बाद साधक बीज मन्त्र ‘ह्रीं’
का जाप करते हुवे ही सफ़ेद रंग के चन्दन से अपने
मस्तक पर तिलक करे. इस प्रकार साधक यह क्रिया एक या कई
रविवारों तक कर सकता है. यह अद्भुत प्रयोग है जिससे साधक के
मान सन्मान में वृद्धि होती है. साधक को ध्यान रखना है
की तिलक ऐसे
ही नहीं लगाना है तिलक लगाते समय
बीज मंत्र ‘ह्रीं’ का जाप होना इस प्रयोग में
आवश्यक है तथा तिलक सूर्य देव के सामने
ही लगाना है.
४) सिद्धो के मध्य पीपल की प्रदक्षिणा से
सबंधित कई प्रकार के टोटके प्रचलित है. साधक
को पीपल के ऐसे पेड को देखना चाहिए
जो नदी के किनारे हो या स्मशान के किनारे हो. रविवार
को सूर्यास्त के समय साधक पेड के पास एक दीपक
प्रज्वलित करे. पेड पर कुमकुम हल्दी तथा अक्षत
समर्पित करे, भोग के लिए खीर रखे. तथा ११
प्रदक्षिणा करे. यह
प्रदक्षिणा घडी की दिशा में अर्थात बाएँ से
दाएँ तरफ होनी चाहिए . इसके बाद साधक अपने
कष्टों के निवारण के लिए प्रार्थना करे तथा चला जाए. पीछे
मुड़ कर ना देखे. सामान्यतः निर्जन स्थान में यह प्रयोग
करना सर्वोत्तम है, यह प्रयोग मात्र सूर्यास्त के समय
ही होना चाहिए. इस प्रकार करने से साधक के
कष्टों का निवारण होता है, अगर कोई विशेष कार्य आदि में बार बार
बाधा आ जाती है या कोई काम रुक गया है तब साधक
को समाधान की प्राप्ति होती है. साधक यह
प्रयोग एक से ज्यादाबार भी कर सकता है.
५) मंगलवार के दिन साधक कम से कम आधामीटर का एक
लाल रंग का कपडा ले, उसी कपडे में साधक गेहूं रखे.
साधक जितना चाहे उतना गेहूं रख सकता है, साथ
ही साथ उसमे कुछ पैसे भी रख दे
तथा पोटली बना ले. उस पोटली को सूर्यास्त के
बाद किसी हनुमान मंदिर पे ले जाएँ, तथा मूर्ति को स्पर्श
कराएं. उस पोटली को फिर ब्राह्मण
को या किसी ज़रूरत मंद व्यक्ति को दक्षिणा रूप में अर्पित
करे. इस प्रकार करने से साधक को ग्रह सबंधित
पीड़ा से राहत मिलती है. अगर ग्रह दोष
के विपरीत प्रभाव साधक के जीवन पर पड़
रहे है तो साधक को राहत मिलती है.

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