Sunday, May 25, 2014

राहु केतु को अशुभ गृह मानकर ,इन से लोग बहुत घबराते है ,

सामान्यतः राहु केतु को अशुभ गृह मानकर ,इन से लोग बहुत
घबराते है ,....की लग्न में राहु आ गया अब
क्या होगा ,...वास्तव में ऐसा नहीं है ,.राहु केतु में
एक विशेषता है की यह जिस ग्रह के साथ ,,जिस
राशी में बैठता है यह उन्ही के गुण
धर्म अपना लेते है ,..परन्तु कुछ अपवाद भी है
जैसे राहु अगर ब्रहस्पति के साथ है तो ,चंडाल योग बन
जाता है जो शुभ
नहीं होता ,इसी प्रकार राहु केतु सूर्य
चन्द्र के साथ होता है तो वह विष योग बना देता है
क्योंकि राहु केतु के कारण सूर्य चन्द्र में ग्रहण
लगता है ,.कही -कही ग्रंथो में
मिलता है की राहु मिथुन में उच्च धनु में
नीच का ,एवं ये भी मिलता है
की वर्ष में राहु उच्च का एवं वृश्चिक में
नीच का ..परन्तु चूँकि राहु केतु की कोई
राशी है नहीं ,.तो इनके उच्च
नीच का प्रशन
ही नहीं होता ,...राहु केतु
की यह विशेषता की ये शुभ ग्रहों के
साथ शुभ फल देते हैं ,,एवं अशुभ ग्रहों के शह्चर्य में फल
देते है ,,,ठीक इशी प्रकार
द्वितीयेश एवं द्वादशेश भावों में
भी मिथ्या है की ये भावेश अशुभ फल
देते है ,,परन्तु यदि वृहद होरा शास्त्र की माने
तो ऐसा नहीं है ये भावेश भी राहु -
केतु कीतरह शुभ ग्रहों के साथ शुभ एवं अशुभ
ग्रहों के साथ अशुभ फल देते है ,..परन्तु द्वितीश
मारक स्थान भी है क्योंकि ये अष्टम से अष्टम
है ,

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