अनिष्ट ग्रहों के निवारण हेतु कुछ उपाय-
सूर्य
सूर्य के लिए-
०१. ग्यारह या इक्कीस रविवार तक गणेश
जी पर लाल फूलों चढ़ाएं |
०२. चांदी के बर्तन में जल पीयें, और
चांदी के वर्क का सेवन करें |
०३. रविवार को नमक का सेवन करें |
०४. सूर्य की होरा{समय} में निर्जल
{बिना पानी पीये} रहें |
०५. विष्णु भगवान का पूजन करें |
०६. "ॐ घ्रिणी सूर्याय नमः" इस मन्त्र का १०८
या ५१ या फिर २१ बार
सुबह शाम जाप करें |
०७. सूर्य को ताम्बे के लोटे से "जल, चावल, लाल फूल, लाल
सिंदूर" मिला
कर अर्घ्य दें |
चन्द्र
चन्द्र के लिए-
०१. दक्षिणावर्ती शंख का नित्य पूजन करें |
०२. ग्यारह सोमवार को दोपहर में केवल दही-भात
ही खाएं |
०३. सूर्यास्त के बाद दूध न पियें | न ही पिलायें |
०४. तीन सफ़ेद फूल हर सोमवार और
पूर्णिमा को नदी या बहती
दरिया में विसर्जित करें |
०५. मोतियों की माला या चन्द्रकान्तमणि गले में धारण करें
|
०६. पूर्णिमा की रात को चन्द्र दर्शन करें व
चन्द्रमा को चावल एवं
दूध मिलाकर चांदी के बर्तन से अर्घ्य दें |
०७. सोमवती अमावस्या को ५ सुहागन
स्त्रियों को खीर का भोजन कराएँ व दक्षिणा दें |
मंगल
मंगल के लिए-
०१. मंगलवार को रेवड़ियाँ पानी में प्रवाहित करें |
०२. आटे के पेड़े में गुड व चीनी मिलाकर
गाय को खिलाएं |
०३. ताम्बे के बर्तन से जल पियें |
०४. लाल पुष्पों को जल में प्रवाहित करें, मंगलवार को हनुमान
जी के
मंदिर जा के हनुमान जी के चरणों से सिंदूर अपने
मस्तक से
लगायें |
०५. नित्य सुबह शाम हनुमान चालीसा व बजरंग बाण
का पाठ करें |
०६. दूध का उबाल चूल्हे पर न गिरने दें |
बुध के लिए-
बुध
०१. एक हरी इलाईची प्रतेक बुधवार
को जल में प्रवाहित करें |
०२. बुधवार को इलाईची व तुलसी के पत्ते
सेवन करें |
०३. हरे सीता फल के अन्दर ताम्बे के पैसे डालकर
नदी में प्रवाहित
करें |
०५. संकटनाशन गणपति स्तोत्र का पाठ नित्य करें |
०६. बुधवार के दिन ५ बालक व बालिकाओं को भोजन कराएँ |
०७. बुधवार को गाय को हरी घास खिलाएं |
०८. दुर्गासप्तशती का पाठ करवाएं | यदि संभव
हो तो स्वयं करें |
गुरु के लिए-
गुरु
०१. नौ या बारह चमेली के फूल नदी में
गुरुवार को प्रवाहित करें |
०२. पीले कनेर के फूल विष्णु भगवान को पर्तेक
गुरुवार को अर्पण
करें |
०३. दत्तात्रेय वज्र कवच का पाठ प्रतिदिन करें व भगवान विष्णु
का
पूजन करें |
०५. गुरुवार को नमक का सेवन न करें, चने से बनी हुई
वस्तुओं का
सेवन करें |
०६. केला कभी न खाएं एवं गुरुवार को पीपल
के पेड़ व केले के पेड़
को हल्दी मिलाकर जल चढ़ाएं |
०७. विष्णुसहस्रनाम के १०८ पाठ करें या किसी योग्य
ब्राह्मण से
करवाएं |
शुक्र के लिए-
०१. सफ़ेद गुलाब के फूल शुक्रवार को नदी या कुएं में
डालें |
०२. प्रतेक शुक्रवार को तिल जौ व
देशी घी मिलाकर हवं करें |
०३. चांदी के गहने पहनें व गले में
हाथी का दांत पहने |
०४. लक्ष्मी या दुर्गा का पूजन करें |
०५. सफ़ेद गाय को शुक्र वार को रोटी खिलाएं |
०६. शुक्र वार को लाल ज्वार व
दही किसी धार्मिक स्थान पर दान करें |
०७. सफ़ेद कांच के बर्तन में चांदी डालकर धूप में रखें
व बाद में उसे पी लें |
०८.सफ़ेद रेशमी वस्त्र दान करें |
०९. चांदी घोड़े का रोज पूजन करें |
शनि के लिए-
०१.शनिवार को सफेदे का पत्ता अपनी जेब में रखें |
०२. नारियल के तेल में कपूर मिला के सिर पे लगायें |
०३. काले उड़द जल में प्रवाहित करें |
०४. ताम्बे या लोहे के पात्र से ही जल पियें |
०५. शनिवार को तेल से चुपड़ी रोटी काले
कुत्ते को खिलाएं |
०६. काले घोड़े की नाल या नाव
की कील
की अंगूठी बनवाकर
मध्यमा ऊँगली
में शनिवार को पहनें |
०७. शनिवार को लोहे के बर्तन में सरसों का तेल व ताम्बे
का सिक्का डालकर अपना चेहरा देख कर
शनि मंदिर में चढ़ें या मांगने वाले को दें |
०८. शनिवार को सरसों का तेल, मांस, अंडा, शराब का शेवन न करें |
०९. शनिवार को तेल या शराब बहते पानी में प्रवाहित
करें |
१०. चिड़ियों को बाजरा डालें व पीपल पर जल चढ़ाएं |
राहू के लिए-
०१. शिव जी को बेलपत्र चढ़ाएं व प्रतिदिन शिव मंदिर
जाएं |
०२. लोहे के पात्र में रखा जल ही पिएँ |
०३. नारियल में छेद करके उसके अन्दर ताम्बे
का पैसा नदी में बहा दें |
०४.
चांदी की अंगूठी बीच
वाली ऊँगली में पहनें |
०५. सोमवार को मूली दान करें |
०६. ४१ दिन तक १ रूपया प्रतिदिन भंगी को दें |
केतु के लिए-
०१. किसी ज्योतिर्लिंग पे नाग चढ़ाएं |
०२. लोहे के पात्र में रखा जल ही पिएँ |
०३. गुरु पूर्णिमा, गुरु द्वादशी, गुरु पंचमी, गुरु
प्रतिपदा, नाग पंचमी, को
रुद्राभिषेक करवाएं |
०४. कुतों को रोटी खिलाएं व गरीब और
अपाहिज को भोजन करवाएं |
०५. गुड के साथ चांवल बनाकर कोढियों को खिलाएं |
०६. कीड़ों के बिल में तिल डालें |
०७. बेल के अन्दर ताम्बे का पैसा डालकर नदी में
बहाएँ |
०८.चांदी की अंगूठी बीच
वाली ऊँगली में पहनें |
सूर्य
सूर्य के लिए-
०१. ग्यारह या इक्कीस रविवार तक गणेश
जी पर लाल फूलों चढ़ाएं |
०२. चांदी के बर्तन में जल पीयें, और
चांदी के वर्क का सेवन करें |
०३. रविवार को नमक का सेवन करें |
०४. सूर्य की होरा{समय} में निर्जल
{बिना पानी पीये} रहें |
०५. विष्णु भगवान का पूजन करें |
०६. "ॐ घ्रिणी सूर्याय नमः" इस मन्त्र का १०८
या ५१ या फिर २१ बार
सुबह शाम जाप करें |
०७. सूर्य को ताम्बे के लोटे से "जल, चावल, लाल फूल, लाल
सिंदूर" मिला
कर अर्घ्य दें |
चन्द्र
चन्द्र के लिए-
०१. दक्षिणावर्ती शंख का नित्य पूजन करें |
०२. ग्यारह सोमवार को दोपहर में केवल दही-भात
ही खाएं |
०३. सूर्यास्त के बाद दूध न पियें | न ही पिलायें |
०४. तीन सफ़ेद फूल हर सोमवार और
पूर्णिमा को नदी या बहती
दरिया में विसर्जित करें |
०५. मोतियों की माला या चन्द्रकान्तमणि गले में धारण करें
|
०६. पूर्णिमा की रात को चन्द्र दर्शन करें व
चन्द्रमा को चावल एवं
दूध मिलाकर चांदी के बर्तन से अर्घ्य दें |
०७. सोमवती अमावस्या को ५ सुहागन
स्त्रियों को खीर का भोजन कराएँ व दक्षिणा दें |
मंगल
मंगल के लिए-
०१. मंगलवार को रेवड़ियाँ पानी में प्रवाहित करें |
०२. आटे के पेड़े में गुड व चीनी मिलाकर
गाय को खिलाएं |
०३. ताम्बे के बर्तन से जल पियें |
०४. लाल पुष्पों को जल में प्रवाहित करें, मंगलवार को हनुमान
जी के
मंदिर जा के हनुमान जी के चरणों से सिंदूर अपने
मस्तक से
लगायें |
०५. नित्य सुबह शाम हनुमान चालीसा व बजरंग बाण
का पाठ करें |
०६. दूध का उबाल चूल्हे पर न गिरने दें |
बुध के लिए-
बुध
०१. एक हरी इलाईची प्रतेक बुधवार
को जल में प्रवाहित करें |
०२. बुधवार को इलाईची व तुलसी के पत्ते
सेवन करें |
०३. हरे सीता फल के अन्दर ताम्बे के पैसे डालकर
नदी में प्रवाहित
करें |
०५. संकटनाशन गणपति स्तोत्र का पाठ नित्य करें |
०६. बुधवार के दिन ५ बालक व बालिकाओं को भोजन कराएँ |
०७. बुधवार को गाय को हरी घास खिलाएं |
०८. दुर्गासप्तशती का पाठ करवाएं | यदि संभव
हो तो स्वयं करें |
गुरु के लिए-
गुरु
०१. नौ या बारह चमेली के फूल नदी में
गुरुवार को प्रवाहित करें |
०२. पीले कनेर के फूल विष्णु भगवान को पर्तेक
गुरुवार को अर्पण
करें |
०३. दत्तात्रेय वज्र कवच का पाठ प्रतिदिन करें व भगवान विष्णु
का
पूजन करें |
०५. गुरुवार को नमक का सेवन न करें, चने से बनी हुई
वस्तुओं का
सेवन करें |
०६. केला कभी न खाएं एवं गुरुवार को पीपल
के पेड़ व केले के पेड़
को हल्दी मिलाकर जल चढ़ाएं |
०७. विष्णुसहस्रनाम के १०८ पाठ करें या किसी योग्य
ब्राह्मण से
करवाएं |
शुक्र के लिए-
०१. सफ़ेद गुलाब के फूल शुक्रवार को नदी या कुएं में
डालें |
०२. प्रतेक शुक्रवार को तिल जौ व
देशी घी मिलाकर हवं करें |
०३. चांदी के गहने पहनें व गले में
हाथी का दांत पहने |
०४. लक्ष्मी या दुर्गा का पूजन करें |
०५. सफ़ेद गाय को शुक्र वार को रोटी खिलाएं |
०६. शुक्र वार को लाल ज्वार व
दही किसी धार्मिक स्थान पर दान करें |
०७. सफ़ेद कांच के बर्तन में चांदी डालकर धूप में रखें
व बाद में उसे पी लें |
०८.सफ़ेद रेशमी वस्त्र दान करें |
०९. चांदी घोड़े का रोज पूजन करें |
शनि के लिए-
०१.शनिवार को सफेदे का पत्ता अपनी जेब में रखें |
०२. नारियल के तेल में कपूर मिला के सिर पे लगायें |
०३. काले उड़द जल में प्रवाहित करें |
०४. ताम्बे या लोहे के पात्र से ही जल पियें |
०५. शनिवार को तेल से चुपड़ी रोटी काले
कुत्ते को खिलाएं |
०६. काले घोड़े की नाल या नाव
की कील
की अंगूठी बनवाकर
मध्यमा ऊँगली
में शनिवार को पहनें |
०७. शनिवार को लोहे के बर्तन में सरसों का तेल व ताम्बे
का सिक्का डालकर अपना चेहरा देख कर
शनि मंदिर में चढ़ें या मांगने वाले को दें |
०८. शनिवार को सरसों का तेल, मांस, अंडा, शराब का शेवन न करें |
०९. शनिवार को तेल या शराब बहते पानी में प्रवाहित
करें |
१०. चिड़ियों को बाजरा डालें व पीपल पर जल चढ़ाएं |
राहू के लिए-
०१. शिव जी को बेलपत्र चढ़ाएं व प्रतिदिन शिव मंदिर
जाएं |
०२. लोहे के पात्र में रखा जल ही पिएँ |
०३. नारियल में छेद करके उसके अन्दर ताम्बे
का पैसा नदी में बहा दें |
०४.
चांदी की अंगूठी बीच
वाली ऊँगली में पहनें |
०५. सोमवार को मूली दान करें |
०६. ४१ दिन तक १ रूपया प्रतिदिन भंगी को दें |
केतु के लिए-
०१. किसी ज्योतिर्लिंग पे नाग चढ़ाएं |
०२. लोहे के पात्र में रखा जल ही पिएँ |
०३. गुरु पूर्णिमा, गुरु द्वादशी, गुरु पंचमी, गुरु
प्रतिपदा, नाग पंचमी, को
रुद्राभिषेक करवाएं |
०४. कुतों को रोटी खिलाएं व गरीब और
अपाहिज को भोजन करवाएं |
०५. गुड के साथ चांवल बनाकर कोढियों को खिलाएं |
०६. कीड़ों के बिल में तिल डालें |
०७. बेल के अन्दर ताम्बे का पैसा डालकर नदी में
बहाएँ |
०८.चांदी की अंगूठी बीच
वाली ऊँगली में पहनें |
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