गोमती चक्र के तांत्रिक प्रयोग
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गोमती चक्र की बनावट को देखा जाये तो उसके
ऊपर चिकने भाग पर हिन्दी के ७ का अंक
बना मिलता है,वर्तमान के ज्योतिषियों के अनुसार यह अंक राहु
का अंक कहा जाता है और पानी की वस्तु
जिसे चन्द्रमा का रूप दिया जाता है उसके अन्दर इस अंक के होने से
यह राहु कृत प्रभावो को दूर रखने के लिये
अपनी युति को प्रदान करता है साथ
ही बेकार की शंका को दूर रखने मे सहायक
होता है,जिनकी कुंडली मे राहु चन्द्र
की युति होती है वह इसे
चांदी की अंगूठी या पेंडल मे
बनवाकर धारण कर सकते है।
होली, दिवाली और नव रात्रों आदिपर
गोमती चक्र की विशेष
पूजा होती है। सर्वसिद्धि योग, अमृत योग और रविपुष्य
योग आदि विभिन्न मुहूर्तों पर गोमती चक्र
की पूजा बहुत फलदायक होती है।
प्रयोग ----
1 किसी भी रवि पुष्य
को गोमती चक्र प्राप्त कर
चांदी की डिब्बी मेँ इत्र लगाकर
पूजन स्थान पर घर मेँ रखेँ
शांती बनी रहेगी
2 व्यपारियोँ को एक बर्तन मे गोमती चक्र रख कर
पानी से बर्तन भर देँना चाहिए। नित्य
पानी बदलतेँ रहे तो व्यापार मेँ लाभ होता है
3 एक गोमती चक्र को 11 श्वेत गुंजा के साथ कपडे मे
लपेट कर रोगी के सर के नीचे रखेँ
तो रोगी को जल्दी आराम हो जाता है
4 इसे अपने बच्चे के गले मे बांध दे तो नजर
नही लगती
5 अपने जन्मांक की संख्या मे जेब मे रख अदालत जावेँ
मुकद्दमे के चक्कर से छूट जाऐँगेँ
6 शत्रु पग की मिट्टी के साथ
गोमती चक्र जल मे प्रवाहित करेँ तो शत्रुता त्याग मित्र
बने सर्व जन आकर्षण प्रयोग है
7 तांबे के पात्र मे सात चक्र रख
उसका पानी पीने से उदर रोग जड से समाप्त
होते हैँ
8 चार गोमती चक्र अपने सर से उतार कर चारो दिशाओ मे
शुक्ल पक्ष के बुधवार के दिन फेँक आवेँ ताँत्रिक अभिकर्म खत्म
होता है।
9 गोमती चक्र की भस्म शहद मे मिलाकर
पैरो के नाखून मे लगाने के बाद वात का दर्द दूर होता देखा गया है। साथ
ही पैर के अंगूठे मे लगाने के बाद नेत्र
ज्योति भी बढती देखी गयी है।
10 गोमती चक्र कम कीमत वाला एक
ऐसा पत्थर है जो गोमती नदी मे मिलता है।
विभिन्न तांत्रिक कार्यो तथा असाध्य रोगों में इसका प्रयोग होता है।
असाध्य रोगों को दुर करने तथा मानसिक शान्ति प्राप्त करने के लिये
लगभग 10 गोमती चक्र लेकर रात को पानी में
डाल देना चाहिऐ। सुबह उस
पानी को पी जाना चाहिऐ । इससे पेट संबंध के
विभिन्न रोग दुर होते है।
11 धन लाभ के लिऐ 11 गोमती चक्र अपने पुजा स्थान
मे रखना चाहिऐ उनके सामने ॐ श्री नमः का जाप
करना चाहिऐ। इससे आप जो भी कार्य करेंगे उसमे
आपका मन लगेगा और सफलता प्राप्त होगी ।
किसी भी कार्य को उत्साह के साथ करने
की प्रेरणा मिलेगी।
12
गोमती चक्रों को यदि चांदी अथवा किसी अन्य
धातु की डिब्बी में सिंदुर तथा अक्षत डालकर
रखें तो ये शीघ्र फलदायक होते है।
13 यदि घर में भूत-प्रेतों का उपद्रव
हो तो दो गोमती चक्र लेकर घर के मुखिया के ऊपर घुमाकर
आग में डाल दें तो घर से भूत-प्रेत का उपद्रव समाप्त हो जाता है।
14 प्रमोशन नहीं हो रहा हो तो एक
गोमती चक्र लेकर शिव मंदिर में शिवलिंग पर चढ़ा दें और
सच्चे ह्रदय से प्रार्थना करें। निश्चय ही प्रमोशन के
रास्ते खुल जाएंगे।
15 यदि घर में
बीमारी हो या किसी का रोग शांत
नहीं हो रहा हो तो एक गोमती चक्र लेकर
उसे चांदी में पिरोकर रोगी के पलंग के पाये पर
बांध दें। उसी दिन से रोगी को आराम मिलने
लगता है।
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गोमती चक्र की बनावट को देखा जाये तो उसके
ऊपर चिकने भाग पर हिन्दी के ७ का अंक
बना मिलता है,वर्तमान के ज्योतिषियों के अनुसार यह अंक राहु
का अंक कहा जाता है और पानी की वस्तु
जिसे चन्द्रमा का रूप दिया जाता है उसके अन्दर इस अंक के होने से
यह राहु कृत प्रभावो को दूर रखने के लिये
अपनी युति को प्रदान करता है साथ
ही बेकार की शंका को दूर रखने मे सहायक
होता है,जिनकी कुंडली मे राहु चन्द्र
की युति होती है वह इसे
चांदी की अंगूठी या पेंडल मे
बनवाकर धारण कर सकते है।
होली, दिवाली और नव रात्रों आदिपर
गोमती चक्र की विशेष
पूजा होती है। सर्वसिद्धि योग, अमृत योग और रविपुष्य
योग आदि विभिन्न मुहूर्तों पर गोमती चक्र
की पूजा बहुत फलदायक होती है।
प्रयोग ----
1 किसी भी रवि पुष्य
को गोमती चक्र प्राप्त कर
चांदी की डिब्बी मेँ इत्र लगाकर
पूजन स्थान पर घर मेँ रखेँ
शांती बनी रहेगी
2 व्यपारियोँ को एक बर्तन मे गोमती चक्र रख कर
पानी से बर्तन भर देँना चाहिए। नित्य
पानी बदलतेँ रहे तो व्यापार मेँ लाभ होता है
3 एक गोमती चक्र को 11 श्वेत गुंजा के साथ कपडे मे
लपेट कर रोगी के सर के नीचे रखेँ
तो रोगी को जल्दी आराम हो जाता है
4 इसे अपने बच्चे के गले मे बांध दे तो नजर
नही लगती
5 अपने जन्मांक की संख्या मे जेब मे रख अदालत जावेँ
मुकद्दमे के चक्कर से छूट जाऐँगेँ
6 शत्रु पग की मिट्टी के साथ
गोमती चक्र जल मे प्रवाहित करेँ तो शत्रुता त्याग मित्र
बने सर्व जन आकर्षण प्रयोग है
7 तांबे के पात्र मे सात चक्र रख
उसका पानी पीने से उदर रोग जड से समाप्त
होते हैँ
8 चार गोमती चक्र अपने सर से उतार कर चारो दिशाओ मे
शुक्ल पक्ष के बुधवार के दिन फेँक आवेँ ताँत्रिक अभिकर्म खत्म
होता है।
9 गोमती चक्र की भस्म शहद मे मिलाकर
पैरो के नाखून मे लगाने के बाद वात का दर्द दूर होता देखा गया है। साथ
ही पैर के अंगूठे मे लगाने के बाद नेत्र
ज्योति भी बढती देखी गयी है।
10 गोमती चक्र कम कीमत वाला एक
ऐसा पत्थर है जो गोमती नदी मे मिलता है।
विभिन्न तांत्रिक कार्यो तथा असाध्य रोगों में इसका प्रयोग होता है।
असाध्य रोगों को दुर करने तथा मानसिक शान्ति प्राप्त करने के लिये
लगभग 10 गोमती चक्र लेकर रात को पानी में
डाल देना चाहिऐ। सुबह उस
पानी को पी जाना चाहिऐ । इससे पेट संबंध के
विभिन्न रोग दुर होते है।
11 धन लाभ के लिऐ 11 गोमती चक्र अपने पुजा स्थान
मे रखना चाहिऐ उनके सामने ॐ श्री नमः का जाप
करना चाहिऐ। इससे आप जो भी कार्य करेंगे उसमे
आपका मन लगेगा और सफलता प्राप्त होगी ।
किसी भी कार्य को उत्साह के साथ करने
की प्रेरणा मिलेगी।
12
गोमती चक्रों को यदि चांदी अथवा किसी अन्य
धातु की डिब्बी में सिंदुर तथा अक्षत डालकर
रखें तो ये शीघ्र फलदायक होते है।
13 यदि घर में भूत-प्रेतों का उपद्रव
हो तो दो गोमती चक्र लेकर घर के मुखिया के ऊपर घुमाकर
आग में डाल दें तो घर से भूत-प्रेत का उपद्रव समाप्त हो जाता है।
14 प्रमोशन नहीं हो रहा हो तो एक
गोमती चक्र लेकर शिव मंदिर में शिवलिंग पर चढ़ा दें और
सच्चे ह्रदय से प्रार्थना करें। निश्चय ही प्रमोशन के
रास्ते खुल जाएंगे।
15 यदि घर में
बीमारी हो या किसी का रोग शांत
नहीं हो रहा हो तो एक गोमती चक्र लेकर
उसे चांदी में पिरोकर रोगी के पलंग के पाये पर
बांध दें। उसी दिन से रोगी को आराम मिलने
लगता है।
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