कुंडली मे एक्सीडेन्ट योग :
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ज्योतिष शास्त्र द्वारा जाना जा सकता है कि हमे कोई वाहन या अन्य
कोई दुर्घटना से कोई नुकसान तो नहीं? मंगल, शनि, राहु,
सूर्य यह सब ग्रह अष्टम स्थान मे हों तथा इन पर कोई शुभ
ग्रहों की दृष्टि न हो तब इस तरह का योग बनाते हं।
उपरोक्त चारों ग्रह में से कोई एक ग्रह भी पाप ग्रह
से युक्त हो तो सड़क दुर्घटना का भय रहता है।पितृ दोष का विचार
भी अष्टम भाव से किया जाता है, पितृदोष
भी दुर्घटना का कारण होता हैं।
स्त्री जाति की पत्रिका में उसके
पति की आयु का विचार अष्टम भाव से होता है।नवांश
कुंडली मे सूर्य मंगल यदि एक दूसरे पर दृष्टि रखते
हों तो भी सड़क दुर्घटना का खतरा बनता है। राहु
की महादशा हो तथा सूर्य या चंद्र अष्टम स्थित हो,
तो भी यह खतरा बना रहता है।द्वितीय
स्थान दूषित होने पर भी यह खतरा मंडराता
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ज्योतिष शास्त्र द्वारा जाना जा सकता है कि हमे कोई वाहन या अन्य
कोई दुर्घटना से कोई नुकसान तो नहीं? मंगल, शनि, राहु,
सूर्य यह सब ग्रह अष्टम स्थान मे हों तथा इन पर कोई शुभ
ग्रहों की दृष्टि न हो तब इस तरह का योग बनाते हं।
उपरोक्त चारों ग्रह में से कोई एक ग्रह भी पाप ग्रह
से युक्त हो तो सड़क दुर्घटना का भय रहता है।पितृ दोष का विचार
भी अष्टम भाव से किया जाता है, पितृदोष
भी दुर्घटना का कारण होता हैं।
स्त्री जाति की पत्रिका में उसके
पति की आयु का विचार अष्टम भाव से होता है।नवांश
कुंडली मे सूर्य मंगल यदि एक दूसरे पर दृष्टि रखते
हों तो भी सड़क दुर्घटना का खतरा बनता है। राहु
की महादशा हो तथा सूर्य या चंद्र अष्टम स्थित हो,
तो भी यह खतरा बना रहता है।द्वितीय
स्थान दूषित होने पर भी यह खतरा मंडराता
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