वास्तु टिप्स .....
1. दक्षिण-पूर्व दक्षिण या पूर्व दिशा में फै
क्ट्री के पावर हाऊस, बायलर व जनरेटर के लिए
स्थान नियत करना लाभप्रद है।
2. प्रतिष्ठान के संपूर्ण जलीय व्यवस्था को ईशान
कोण में स्थापित करना चाहिए।
3. ओवर हैड टैंक के लिए उत्तर-पश्चिम दिशा में निश्चित करें।
4. तैयार माल रखने के लिए स्थान उत्तर-पश्चिम, उत्तर, पूर्व
या पूर्वोत्तर क्षेत्र में निश्चित करें और कच्चा मानल रखने के
लिए स्थन पश्चिमी क्षेत्र में नियत कर तदनुसार
निर्माण करायें। क्योंकि कच्चे माल का उत्पादन दक्षिण-पश्चिम से
आरंभ होकर उत्तर-पूर्व की ओर से
उसकी निकासी होनी चाहिए।
5. दक्षिण, दक्षिण-पश्चिम और दक्षिण दिशाएं
भारी मशीनें बैठाने के लिए उपयुक्त
होती है।
6. फर्श का ढलान दक्षिण-पश्चिम से उत्तर-पूर्व
की ओर होना श्रेयस्कर होता है।
7. फैक्ट्री में जल बहाव उत्तर-पूर्व
की ओर होना चाहिए।
8. तौल-नाप और धर्म कांटा हेतु उत्तर-पश्चिम का क्षेत्र
इस्तेमान किया जा सकता है।
9. स्वागत कक्ष, उत्तर-पूर्व क्षेत्र में रखें और गेस्ट हाउस
भी इसी दिशा में होना उत्तम होता है।
1. दक्षिण-पूर्व दक्षिण या पूर्व दिशा में फै
क्ट्री के पावर हाऊस, बायलर व जनरेटर के लिए
स्थान नियत करना लाभप्रद है।
2. प्रतिष्ठान के संपूर्ण जलीय व्यवस्था को ईशान
कोण में स्थापित करना चाहिए।
3. ओवर हैड टैंक के लिए उत्तर-पश्चिम दिशा में निश्चित करें।
4. तैयार माल रखने के लिए स्थान उत्तर-पश्चिम, उत्तर, पूर्व
या पूर्वोत्तर क्षेत्र में निश्चित करें और कच्चा मानल रखने के
लिए स्थन पश्चिमी क्षेत्र में नियत कर तदनुसार
निर्माण करायें। क्योंकि कच्चे माल का उत्पादन दक्षिण-पश्चिम से
आरंभ होकर उत्तर-पूर्व की ओर से
उसकी निकासी होनी चाहिए।
5. दक्षिण, दक्षिण-पश्चिम और दक्षिण दिशाएं
भारी मशीनें बैठाने के लिए उपयुक्त
होती है।
6. फर्श का ढलान दक्षिण-पश्चिम से उत्तर-पूर्व
की ओर होना श्रेयस्कर होता है।
7. फैक्ट्री में जल बहाव उत्तर-पूर्व
की ओर होना चाहिए।
8. तौल-नाप और धर्म कांटा हेतु उत्तर-पश्चिम का क्षेत्र
इस्तेमान किया जा सकता है।
9. स्वागत कक्ष, उत्तर-पूर्व क्षेत्र में रखें और गेस्ट हाउस
भी इसी दिशा में होना उत्तम होता है।
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