आजकल मै देखता हूँ कि कई लडकिया फैशन के कारण सिन्दूर से परहेज करती है..........
या तो वो कैमीकल वाला प्रयोग करती है तो मै आपको बता दू ये सिर्फ हमारे
रीति रिवाज ही नही है दरअसल इसके पीछे एकबड़ा वैज्ञानिक कारण है।
यह मामला पूरी तरह स्वास्थ्य से जुडा है। सिर के उस स्थान पर जहां मांग भरी जाने की परंपरा है, मस्तिष्क की एक महत्वपूर्ण ग्रंथी होती है, जिसे ब्रह्मरंध्र कहते हैं। यह अत्यंत संवेदनशील भी होती है। यह मांग के स्थान यानी कपाल के अंत से लेकर सिर के मध्य तक होती है। सिंदूर इसलिए लगाया जाता है क्योंकि इसमें पारा नाम की धातु होती है। पारा ब्रह्मरंध्र के लिए औषधि का काम करता है। महिलाओं को तनाव से दूर रखता है और मस्तिष्क हमेशा चैतन्य अवस्था में रखता है।
विवाह के बाद ही मांग इसलिए भरी जाती है
क्योंकि विवाह के बाद जब गृहस्थी का दबाव महिला पर आता है तो उसे तनाव चिंता और अनिद्रा जैसी बीमारिया आमतौर पर घेर लेती हैं।
पारा एकमात्र ऐसी धातु है जो तरल रूप में रहती है। यह मष्तिष्क के लिए लाभकारी है, इस कारण सिंदूर मांग में भरा जाता है।
या तो वो कैमीकल वाला प्रयोग करती है तो मै आपको बता दू ये सिर्फ हमारे
रीति रिवाज ही नही है दरअसल इसके पीछे एकबड़ा वैज्ञानिक कारण है।
यह मामला पूरी तरह स्वास्थ्य से जुडा है। सिर के उस स्थान पर जहां मांग भरी जाने की परंपरा है, मस्तिष्क की एक महत्वपूर्ण ग्रंथी होती है, जिसे ब्रह्मरंध्र कहते हैं। यह अत्यंत संवेदनशील भी होती है। यह मांग के स्थान यानी कपाल के अंत से लेकर सिर के मध्य तक होती है। सिंदूर इसलिए लगाया जाता है क्योंकि इसमें पारा नाम की धातु होती है। पारा ब्रह्मरंध्र के लिए औषधि का काम करता है। महिलाओं को तनाव से दूर रखता है और मस्तिष्क हमेशा चैतन्य अवस्था में रखता है।
विवाह के बाद ही मांग इसलिए भरी जाती है
क्योंकि विवाह के बाद जब गृहस्थी का दबाव महिला पर आता है तो उसे तनाव चिंता और अनिद्रा जैसी बीमारिया आमतौर पर घेर लेती हैं।
पारा एकमात्र ऐसी धातु है जो तरल रूप में रहती है। यह मष्तिष्क के लिए लाभकारी है, इस कारण सिंदूर मांग में भरा जाता है।
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