Monday, May 26, 2014

बृहस्पति

हिन्दू धर्मशास्त्रों और ज्योतिष ग्रंथों में गुरु
यानी बृहस्पति को शुभ देवता और ग्रह
माना गया है। इसके शुभ प्रभाव से जहां एक ओर
लंबी उम्र,
मनचाही नौकरी और धन के साथ
पिता का प्रेम और धर्म लाभ मिलता है। वहीं,
कन्या के जीवनसाथी का निर्णय करने
वाला भी देवगुरु बृहस्पति ही माने गए
है।
ज्योतिष शास्त्रों के मुताबिक शुभ ग्रह होने के बावजूद
हमेशा गुरु शुभ फल नहीं देता, बल्कि अशुभ
ग्रहों के प्रभाव में आने पर उसके बुरे प्रभाव से रोग,
नौकरी या कारोबार में परेशानी, माता-पिता से
विवाद और कन्या के विवाह में दिक्कतें
पैदा होती है। इसलिए गुरु दोष के बुरे असर से
बचने के लिए कुछ धार्मिक उपाय बताए गए हैं। इनसे गुरु
को अनुकूल बनाया जा सकता है। 1. हर रोज स्नान करें,
नाभि और मस्तक पर केसर तिलक लगाएं। साथ
ही भोजन में भी केसर का उपयोग करें।
2. किसी योग्य ब्राह्मण से
जानकारी लेकर हर गुरुवार को स्वयं गुरू पूजा करें। गुरु
मंत्रों, विष्णुसहस्त्रनाम, गुरूकवच का पाठ व जप करें या कराएं।
3. साधु, ब्राह्मण और पीपल के पेड़
की पूजा करें।
4. गुरुवार से शुरुआत कर पीपल
की जड़ में जल, चने की दाल और
पीले रंग की मिठाई चढ़ाएं।5.
यथाशक्ति हर गुरुवार को पीले वस्त्र में चने
की दाल, गुड़, बूंदी के लडडू,
पीला फूल, केले का फल, पीला चन्दन,
हल्दी, धार्मिक पुस्तकें, पीले रंग
की मिठाई और घी ब्राह्मण को दें।
6. सात गुरुवार तक गुरु बृहस्पति की पूजा में चढ़ाई
चने की दाल घोड़े को खिलाएं।
7. पीले रंग के धागे में गुरुवार के दिन 5
मुखी रुद्राक्ष धारण करें।
8. किसी ब्राह्मण को बेसन के लड्डू और केसर
मिली खीर का भोजन कराएं।

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