Sunday, May 25, 2014

ईशान कोण को जाने

ईशान कोण को जाने -
वास्तु शास्त्र में ईशान कोण का वृहद् महत्व्य बताया गया है |
यह वह स्थान है जिस पर गुरु ग्रह
व्र्हस्पति का अधिपत्य है | साथ ही यहाँ वास्तु
पुरुष का मस्तक भी है जिसे महादेव शिव
का शीश होने
की संज्ञा भी दी जाती है
| शायद ऐसा इसलिए है क्यूंकि उत्तर और पूर्व
दोनों ही शुभ उर्जा के विशेष महत्व्यपूर्ण स्रोत
है | इसलिए इसका शुद्ध, साफ़ सुथरा होना आवश्यक है |
यदि ईशान में दोष हो जाये तो उस घर के
सभी सदस्यों का विकास अवरुद्ध हो जाता है, विवाह
योग्य कन्या हो तो विवाह में बाधा आती है |
सामाजिक अपयश, गंभीर रोग आदि घर कर जाते है |
हर प्रकार की समृद्धि के लिए इस स्थान का जागृत
होना बेहद अनिवार्य है | यदि ईशान कोण में मंदिर,
साधना कक्ष, अध्यन कक्ष, भूगर्भ जल स्थान घर के अन्य
स्थान से अधिक खुला स्थान नहीं है तो यह दोष
है | वही अक्सर लोग यहाँ जैसे शौचालय, स्टोर
आदि बना कर इस स्थान को दूषित, अपवित्र अनदेखा कर देते है
| यह क्षेत्र जलकुंड, कुआं अथवा पेयजल के
किसी अन्य स्रोत हेतु सर्वोत्तम स्थान है।
क्या हो-
- यहाँ तुलसी का पौधा लगा कर, सालिगराम व शिव
को रख कर पूजा करने से सम्पन्नता आती है |
- इस स्थान पर यदि प्रवेश द्वार
हो तो माँ लक्ष्मी की निरंतर
कृपा बनी रहती है |
- इस स्थान को साफ़ सुथरा रखना घर के हर सदस्य
की नैतिक ज़िम्मेदारी है |
- इस स्थान पर जल क्षेत्र होना बेहद लाभ देता है |
- यह स्थान पूजा पाठ का सबसे उपयुक्त स्थान है |
- इस स्थान को कभी भूल से भी बंद न
करे |
क्या न हो-
- यहाँ कभी गन्दगी न करे |
- इस स्थान को बंद न करे और न ही रखे |
- यहाँ कभी अग्नि का स्थान न रखे |
- यहाँ कभी भी शौचालय न बनाये |
- यहाँ पर भारी सामान व विद्युत् उपकरण न रखे |
- यहाँ किसी भी परिस्थति में गंदे कपडे,
जूठे बर्तन, जूते, न हो |
- यदि जब तक अनिवार्य न हो तब तक घर के बड़े
बुजुर्गो का स्थान यहाँ न बनाये |

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