Monday, May 26, 2014

भकूट दोष

भकूट दोष
नाड़ी दोष की भांति ही भकूट
दोष को भी गुण मिलान से बनने वाले दोषों में से बहुत
गंभीर दोष माना जाता है.
किसी कुंडली में जिस राशि में
चन्द्रमा स्थित होते हैं
वही राशि कुंडली का भकूट
कहलाती है। भकूट दोष का निर्णय वर वधू
की जन्म कुंडलियों में
चन्द्रमा की किसी राशि में उपस्थिति के
कारण बन रहे संबंध के चलते किया जाता है। यदि वर-वधू
की कुंडलियों में चन्द्रमा परस्पर 6-8, 9-5
या 12-2 राशियों में स्थित हों तो भकूट मिलान के 0 अंक माने जाते
हैं तथा इसे भकूट दोष माना जाता है। उदाहरण के लिए मान
लीजिए कि वर की जन्म
कुंडली में चन्द्रमा मेष राशि में स्थित हैं, अब :
यदि कन्या की जन्म कुंडली में
चन्द्रमा कन्या राशि में स्थित हैं तो इसे षड़-अष्टक भकूट दोष
का नाम दिया जाता है क्योंकि मेष राशि से गिनती करने
पर कन्या राशि छठे तथा कन्या राशि से गिनती करने पर
मेष राशि आठवें स्थान पर आती है।
यदि कन्या की जन्म कुंडली में
चन्द्रमा धनु राशि में स्थित हैं तो इसे नवम-पंचम भकूट दोष
का नाम दिया जाता है क्योंकि मेष राशि से गिनती करने
पर धनु राशि नवम तथा धनु राशि से गिनती करने पर
मेष राशि पांचवे स्थान पर आती है।
यदि कन्या की जन्म कुंडली में
चन्द्रमा मीन राशि में स्थित हैं तो इसे द्वादश-
दो भकूट दोष का नाम दिया जाता है क्योंकि मेष राशि से
गिनती करने पर मीन राशि बारहवें
तथा मीन राशि से गिनती करने पर मेष
राशि दूसरे स्थान पर आती है।
भकूट दोष की प्रचलित धारणा के अनुसार षड़-
अष्टक भकूट दोष होने से वर-वधू में से एक
की मृत्यु हो जाती है, नवम-पंचम
भकूट दोष होने से दोनों को संतान पैदा करने में मुश्किल
होती है या फिर सतान
होती ही नहीं तथा द्वादश-
दो भकूट दोष होने से वर-वधू
को दरिद्रता का सामना करना पड़ता है। भकूट दोष को निम्नलिखित
स्थितियों में निरस्त अथवा कम प्रभावी माना जाता है :
यदि वर-वधू दोनों की जन्म कुंडलियों में चन्द्र
राशियों का स्वामी एक ही ग्रह
हो तो भकूट दोष खत्म हो जाता है। जैसे कि मेष-वृश्चिक
तथा वृष-तुला राशियों के एक दूसरे से छठे-आठवें स्थान पर होने
के पश्चात भी भकूट दोष
नहीं बनता क्योंकि मेष-वृश्चिक दोनों राशियों के
स्वामी मंगल हैं तथा वृष-तुला दोनों राशियों के
स्वामी शुक्र हैं। इसी प्रकार मकर-
कुंभ राशियों के एक दूसरे से 12-2 स्थानों पर होने के पश्चात
भी भकूट दोष नहीं बनता क्योंकि इन
दोनों राशियों के स्वामी शनि हैं।

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