प्यार-मुहब्बत किससे और कैसा
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आजकल जिसे देखो चाहे
वो लडकी हो या लड़का जो भी मुझसे
मिलता है या पूछता है तो बस एक ही प्रश्न
होता है कि,मेरा प्रेम विवाह होगा या समाजिक तय शुदा से.
अनुभव में चन्द्रमा मन का कारक पाया गया है.शुक्र प्रेम
तथा आकर्षण है.तो तृतीय भाव इसे आगे ले
जाता है.हालांकि इसमें मंगल को भी शामिल
किया जा सकता है.कारण मन (चन्द्र ) ने शुक्र ( आकर्षण व
प्रेम ) को देखा, प्रेम हो गया, लेकिन स्वीकृति के
लिये हिम्मत भी तो चाहिए, इसके लिए मंगल
(तृतीय भाव का कारक भी है.)
की जरूरत पडती है.कहने का मतलब
इसमें चन्द्र/मंगल/शुक्र का योगी होना परम
आवश्यकता है.लेकिन जहां तक मेरा अनुभव है इसमें सबसे
मुख्य भूमिका चन्द्रमा की है.क्यूंकि यह बहुत
ही कोमल एवं हृदय का घोतक है.अगर
चन्द्रमा राहू से पीड़ित हुआ तो ऐसा जातक प्रेम
का इजहार करने में संकोच करेगा,शनि-चन्द्र षडाष्टक से हैं
तो भी संकोच बनेगा. बल्कि यूँ कह लो एक
तरफ़ा प्रेम भी हो सकता है.अब अगर इसमें
एकादश को मिला लिया जाये "जो क ३ रे का भाग्य है"और जातक
का लाभ,तो इससे मालुम पड़ेगा की आपके प्यार
को प्यार से ही जवाब मिलेगा.यह ध्यान देने
की बात है अगर मंगल-चन्द्र
की कमजोरी या मजबूती ही हाँ और
ना है.
अगर ५-७ का योग ४ थे में हुआ/ अगर इस योग में अष्टमेश
सम्मलित है तो प्रेम टिकाऊ नहीं होता है.
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आजकल जिसे देखो चाहे
वो लडकी हो या लड़का जो भी मुझसे
मिलता है या पूछता है तो बस एक ही प्रश्न
होता है कि,मेरा प्रेम विवाह होगा या समाजिक तय शुदा से.
अनुभव में चन्द्रमा मन का कारक पाया गया है.शुक्र प्रेम
तथा आकर्षण है.तो तृतीय भाव इसे आगे ले
जाता है.हालांकि इसमें मंगल को भी शामिल
किया जा सकता है.कारण मन (चन्द्र ) ने शुक्र ( आकर्षण व
प्रेम ) को देखा, प्रेम हो गया, लेकिन स्वीकृति के
लिये हिम्मत भी तो चाहिए, इसके लिए मंगल
(तृतीय भाव का कारक भी है.)
की जरूरत पडती है.कहने का मतलब
इसमें चन्द्र/मंगल/शुक्र का योगी होना परम
आवश्यकता है.लेकिन जहां तक मेरा अनुभव है इसमें सबसे
मुख्य भूमिका चन्द्रमा की है.क्यूंकि यह बहुत
ही कोमल एवं हृदय का घोतक है.अगर
चन्द्रमा राहू से पीड़ित हुआ तो ऐसा जातक प्रेम
का इजहार करने में संकोच करेगा,शनि-चन्द्र षडाष्टक से हैं
तो भी संकोच बनेगा. बल्कि यूँ कह लो एक
तरफ़ा प्रेम भी हो सकता है.अब अगर इसमें
एकादश को मिला लिया जाये "जो क ३ रे का भाग्य है"और जातक
का लाभ,तो इससे मालुम पड़ेगा की आपके प्यार
को प्यार से ही जवाब मिलेगा.यह ध्यान देने
की बात है अगर मंगल-चन्द्र
की कमजोरी या मजबूती ही हाँ और
ना है.
अगर ५-७ का योग ४ थे में हुआ/ अगर इस योग में अष्टमेश
सम्मलित है तो प्रेम टिकाऊ नहीं होता है.
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