Thursday, May 22, 2014

पंचक

धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद और
रेवती नक्षत्रों को पंचक कहा जाता है। ‘मुहूर्त
चिंतामणि’ में उल्लेख है कि इन नक्षत्रों की युति में
किसी की मृत्यु होने पर परिवार के अन्य
सदस्यों को मृत्यु या मृत्यु तुल्य कष्ट का भय बना रहता है,
इसलिए पंचक में दाह-संस्कार करते समय बहुत-
सी सावधानियों का पालन करना होता है। शास्त्रों में
पंचक के समय दक्षिण दिशा की यात्रा करना और
लकड़ी का सामान खरीदना वर्जित
बताया गया है। घर और भवन की छत ढलवाने
का कार्य भी पंचक काल में अशुभ माना जाता है।
यदि पंचक काल में कोई कार्य करना जरूरी हो तो उसे
धनिष्ठा नक्षत्र के अंत, शतभिषा नक्षत्र के मध्य,
पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र के प्रारम्भ और उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र
के अंत की पांच घड़ी का समय छोड़ कर
शेष समय में किया जा सकता है, क्योंकि शेष समय शुभ होता है।

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