वास्तुशास्त्र के अनुसार स्नानगृह में चंद्रमा का वास है
तथा शौचालय में राहू का। यदि किसी घर में स्नानगृह
और शौचालय एक साथ हैं तो चंद्रमा और राहू एक साथ होने से
चंद्रमा को राहू से ग्रहण लग जाता है, जिससे चंद्रमा दोषपूर्ण
हो जाता है। चंद्रमा के दूषित होते ही कई प्रकार के
दोष उत्पन्न होने लगते हैं। चंद्रमा मन और जल का कारक है
और राहु विष का। इस युति से जल विष युक्त हो जाता है।
जिसका प्रभाव पहले तो व्यक्ति के मन पर पड़ता है और
दूसरा उसके शरीर पर।
शास्त्रों में चन्द्रमा को सोम अर्थात अमृत कहा गया है और राहु
का विष। अमृत और विष एक साथ होना उसी प्रकार है
जैसे अग्नि और जल। दोनों ही विपरीत तत्व
हैं। इसलिए बाथरूम और टॉयलेट एक साथ होने पर परिवार में
अलगाव होता है। लोगों में
सहनशीलता की कमी आती है।
मन में एक दूसरे के प्रति द्वेष
की भावना बढ़ती है।
तथा शौचालय में राहू का। यदि किसी घर में स्नानगृह
और शौचालय एक साथ हैं तो चंद्रमा और राहू एक साथ होने से
चंद्रमा को राहू से ग्रहण लग जाता है, जिससे चंद्रमा दोषपूर्ण
हो जाता है। चंद्रमा के दूषित होते ही कई प्रकार के
दोष उत्पन्न होने लगते हैं। चंद्रमा मन और जल का कारक है
और राहु विष का। इस युति से जल विष युक्त हो जाता है।
जिसका प्रभाव पहले तो व्यक्ति के मन पर पड़ता है और
दूसरा उसके शरीर पर।
शास्त्रों में चन्द्रमा को सोम अर्थात अमृत कहा गया है और राहु
का विष। अमृत और विष एक साथ होना उसी प्रकार है
जैसे अग्नि और जल। दोनों ही विपरीत तत्व
हैं। इसलिए बाथरूम और टॉयलेट एक साथ होने पर परिवार में
अलगाव होता है। लोगों में
सहनशीलता की कमी आती है।
मन में एक दूसरे के प्रति द्वेष
की भावना बढ़ती है।
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