सूर्य ग्रह आत्मा और पिता का प्रतिधिनित्व
करता है,लकडी,मिर्च,घास,जानवर
हिरन,शेर,ऊन,स्वर्ण,आभूषण,ताम्ब ा आदि का कारक है,मन्दिर
सुन्दर महल,जन्गल,किला,और
नदी का किनारा इसका निवास स्थान है,पेट आन्ख और
ह्रदय, तथा चेहरा का प्रतिधिनित्व करता है,इस ग्रह
की खराबी से आन्ख,सिर,रक्तचा
प,गन्जापन,और बुखार
वाली बीमारिया होती है,सूर्य
जगत पिता है,इसी की शक्ति से समस्त
ग्रह चलायमान है,यह आत्म कारक एवम पित्र कारक
है,पुत्र राज्य सम्मान,पद
भाई,शक्ति,दायी आन्ख,चिकित्सा,प
ितरो की आत्मा,भगवान शिव और
राजनीति का कारक है,यह मेष राशि मे उच्च,और
तुला मे नीच का माना जाता है,यह ईस्वर अन्स है
। चन्द्रमा,मन्गल,गुरु,बुध.सूर्य के मित्र ग्रह है,शनि से
इसकी नही बनती है,शनि सूर्य
पुत्र ही है,छाया मार्तन्ड सम्भूतम,के अनुसार यह
सूर्य की छाया नामक पत्नी का पुत्र
है,पिता पुत्र की शत्रुता साधारण
होती है,सूर्य आत्मा है और शनि कार्य है
आत्मा और कार्य मे
कभी बनती नही है,सूर्य
से सम्बन्ध रखने बाले व्यक्तियो मे पिता,पुत्र,चाचा,और देवताओ मे
ब्रहमा,विष्णु,महेश माने जाते है
करता है,लकडी,मिर्च,घास,जानवर
हिरन,शेर,ऊन,स्वर्ण,आभूषण,ताम्ब
सुन्दर महल,जन्गल,किला,और
नदी का किनारा इसका निवास स्थान है,पेट आन्ख और
ह्रदय, तथा चेहरा का प्रतिधिनित्व करता है,इस ग्रह
की खराबी से आन्ख,सिर,रक्तचा
प,गन्जापन,और बुखार
वाली बीमारिया होती है,सूर्य
जगत पिता है,इसी की शक्ति से समस्त
ग्रह चलायमान है,यह आत्म कारक एवम पित्र कारक
है,पुत्र राज्य सम्मान,पद
भाई,शक्ति,दायी आन्ख,चिकित्सा,प
ितरो की आत्मा,भगवान शिव और
राजनीति का कारक है,यह मेष राशि मे उच्च,और
तुला मे नीच का माना जाता है,यह ईस्वर अन्स है
। चन्द्रमा,मन्गल,गुरु,बुध.सूर्य के मित्र ग्रह है,शनि से
इसकी नही बनती है,शनि सूर्य
पुत्र ही है,छाया मार्तन्ड सम्भूतम,के अनुसार यह
सूर्य की छाया नामक पत्नी का पुत्र
है,पिता पुत्र की शत्रुता साधारण
होती है,सूर्य आत्मा है और शनि कार्य है
आत्मा और कार्य मे
कभी बनती नही है,सूर्य
से सम्बन्ध रखने बाले व्यक्तियो मे पिता,पुत्र,चाचा,और देवताओ मे
ब्रहमा,विष्णु,महेश माने जाते है
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