घंटनाद क्यों? कब?
दर्शन करने के पश्चात बाहर निकलते समय घंट बजाकर,
परमात्मा के दर्शन-पूजन करने से उत्पन्न खुशी व
प्रसन्नता अभिव्यक्त की जाती है। पर
उसमें
इतनी सावधानी रखनी चाहिए
कि अपने घंटनाद से किसी की प्रार्थना व
पूजा मे खलल न पहुँचे। बहुत जोरों से घंटनाद
नहीं करना चाहिए।
मंदिर/चैत्य से कैसे निकलें?
इसके बाद मंदिर से बाहर निकलते वक्त
परमात्मा की तरफ पीठ न करते हुए
उलटे पाँव या तिरछा होकर निकलें। मंदिर के बाहर आकर
चौकी पर या सीढ़ियों के पास
बनी हुई बैठक पर एक-दो मिनट रुकें। बैठकर
या खड़े आँखें मूँदकर बंद आँखों के परदे पर
परमात्मा की प्रतिमा को उभरने दें...। यदि हमने
स्वस्थ तन-मन-नयन से परमात्मा के दर्शन किए हैं,
तो निश्चित
ही परमात्मा की छवि उभरेगी।
यह एक सूचक है।
दर्शन करने के पश्चात बाहर निकलते समय घंट बजाकर,
परमात्मा के दर्शन-पूजन करने से उत्पन्न खुशी व
प्रसन्नता अभिव्यक्त की जाती है। पर
उसमें
इतनी सावधानी रखनी चाहिए
कि अपने घंटनाद से किसी की प्रार्थना व
पूजा मे खलल न पहुँचे। बहुत जोरों से घंटनाद
नहीं करना चाहिए।
मंदिर/चैत्य से कैसे निकलें?
इसके बाद मंदिर से बाहर निकलते वक्त
परमात्मा की तरफ पीठ न करते हुए
उलटे पाँव या तिरछा होकर निकलें। मंदिर के बाहर आकर
चौकी पर या सीढ़ियों के पास
बनी हुई बैठक पर एक-दो मिनट रुकें। बैठकर
या खड़े आँखें मूँदकर बंद आँखों के परदे पर
परमात्मा की प्रतिमा को उभरने दें...। यदि हमने
स्वस्थ तन-मन-नयन से परमात्मा के दर्शन किए हैं,
तो निश्चित
ही परमात्मा की छवि उभरेगी।
यह एक सूचक है।
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