Saturday, April 26, 2014

त्राटक

त्राटक ;--------चित्त वृत्ति को साधने के लिये महापुरुषो ने कई उपाय बताये है।
पहला उपाय योगात्मक उपाय बताया है। जिसे त्राटक के नाम से
जाना जाता है। एक सफ़ेद कागज पर एक
सेंटीमीटर का वृत बना लिया जाता है उसे
जहां बैठने के बाद कोई
बाधा नही पैदा होती है उस स्थान पर
ठीक आंखो के सामने वाले स्थान पर चिपका कर दो से
तीन फ़ुट की दूरी पर
बैठा जाता है,उस वृत को एक टक देखा जाता है उसे देखने के
समय मे जो भी मन के अन्दर आने जाने वाले विचार
होते है उन्हे दूर रखने का अभ्यास किया जाता है,पहले यह
क्रिया एक या दो मिनट से शुरु
की जाती है उसके बाद इस
क्रिया को एक एक मिनट के अन्तराल से पन्द्रह मिनट तक
किया जाता है। इस क्रिया के करने के उपरान्त
कभी तो वह वृत आंखो से ओझल हो जाता है
कभी कई रूप प्रदर्शित करने
लगता है,कभी लाल हो जाता है
कभी नीला होने लगता है और
कभी बहुत ही चमकदार रूप मे
प्रस्तुत होने लगता है। कभी उस वृत के रूप मे
अजीब सी दुनिया दिखाई देने
लगती है कभी अन्जान से लोग
उसी प्रकार से घूमने लगते है जैसे
खुली आंखो से बाहर
की दुनिया को देखा जाता है। वृत को हमेशा काले रंग
से बनाया जाता है। दो से तीन महिनो के अन्दर मन
की साधना सामने आने लगती है और
जो भी याद किया जाता है पढा जाता है देखा जाता है
वह दिमाग मे हमेशा के लिये बैठने लगता है। ध्यान
रखना चाहिये कि यह दिन मे एक बार
ही किया जाता है,और इस क्रिया को करने के बाद
आंखो को ठंडे पानी के छींटे देने के बाद
आराम देने की जरूरत होती है,जिसे
चश्मा लगा हो या जो शरीर से कमजोर हो या जो नशे
का आदी हो उसे यह
क्रिया नही करनी चाहिये।
दूसरी क्रिया को करने के लिये
किसी एकान्त स्थान मे आरामदायक जगह पर
बैठना होता है जहां कोई दिमागी रूप से
या शरीर के द्वारा अडचन नही पैदा हो।
पालथी मारक बैठने के बाद दोनो आंखो को बन्द करने
के बाद नाक के ऊपर अपने ध्यान को रखना पडता है उस समय
भी विचारों को आने जाने से रोका जाता है,और
धीरे धीरे यह क्रिया पहले पन्द्रह
मिनट से शुरु करने के बाद एक घंटा तक
की जा सकती है इस क्रिया के
द्वारा भी अजीब अजीब
कारण और रोशनी आदि सामने आती है
उस समय भी अपने को स्थिर रखना पडता है। इस
क्रिया को करने से पहले तामसी भोजन नशा और
गरिष्ठ भोजन को नही करना चाहिये। बेल्ट
को भी नही बांधना चाहिये। इसे करने के
बाद धीरे धीरे मानसिक भ्रम
वाली पोजीशन समाप्त होने
लगती है।
तीसरी जो शरीर
की मशीनी क्रिया के नाम से
जानी जाती है,वह शब्द को लगातार
मानसिक रूप से उच्चारित करने के बाद
की जाती है उसके लिये
भी पहले की दोनो क्रियाओं को ध्यान मे
रखकर या एकान्त और सुलभ आसन को प्राप्त करने के बाद
ही किया जा सकता है,नींद
नही आये या मुंह के सूखने पर
पानी का पीना भी जरूरी है।
बीज मंत्र जो अलग अलग तरह के है उन्हे
प्रयोग मे लाया जाता है,भूमि तत्व के लिये केवल होंठ से प्रयोग
आने वाले बीज मंत्र,जल तत्व को प्राप्त करने के
लिये जीभ के द्वारा उच्चारण करने वाले
बीज मंत्र,वायु तत्व को प्राप्त करने के लिये तालू से
उच्चारण किये जाने वाले बीज मंत्र और अग्नि तत्व
को प्राप्त करने के लिये दांतो की सहायता से उच्चारित
बीज मंत्र का उच्चारण किया जाता है साथ
ही आकाश तत्व को प्राप्त करने के लिये गले से
उच्चारण वाले बीज मंत्रो का उच्चारण करना चाहिये।
ज्योतिष भगवत प्राप्ति और भविष्य को देखने
की क्रिया के लिये दूसरे नम्बर
की क्रिया के साथ तालू से उच्चारित बीज
मंत्र को ध्यान मे चलाना चाहिये। जैसे
क्रां क्रीं क्रौं बीजो का लगातार मनन और
ध्यान को दोनो आंखो के बीच मे नाक के
ऊपरी हिस्से मे ध्यान को रखकर
किया जाना लाभदायी होता

1 comment:

  1. kya Kautilya Pandit ke pass yesha kon sa brean hai jo bina padhe har question ka ansher aashni se de deta hai kyu ki ushka age 5years hai aur eas age me utna padhna aur question ka ansher aashni se de dena possable nahi hai phir wo kish praker de deta hai please bole kya ye tritak dhyan se puri tarh sambhave hai kya eas taknick se apna carer ko bana sakte hai koye ve question ka answer aashani se de sakte hai kya

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