इनका ध्यान रखें अपने नए या पुराने घर में—
——-घर के खिड़की-दरवाजे इस तरह होने चाहिए
कि सूरज
की रोशनी अच्छी तरह से
घर के अंदर आए।
—–ड्रॉइंग रूम में फूलों का गुलदस्ता लगाएं।
—–रसोई घर में
पूजा की आलमारी या मंदिर
नहीं रखना चाहिए।
——बेडरूम में भगवान के कैलेंडर, तस्वीरें या फिर
धार्मिक आस्था से जुड़ी वस्तुएं न रखें।
——घर में टॉइलेट के बगल में देवस्थान
नहीं होना चाहिए।
——दीपावली अथवा अन्य
किसी शुभ मुहूर्त में अपने घर में पूजास्थल में
वास्तुदोशनाशक कवच की स्थापना करें और नित्य
इसकी पूजा करें. इस कवच को दोषयुक्त स्थान पर
भी स्थापित करके आप वास्तुदोषों से सरलता से
मुक्ति पा सकते हैं.
——-अपने घर में ईशान कोण अथवा ब्रह्मस्थल में स्फटिक
श्रीयंत्र की शुभ मुहूर्त में
स्थापना करें. यह यन्त्र लक्ष्मीप्रदायक
भी होता ही है, साथ
ही साथ घर में स्थित
वास्तुदोषों का भी निवारण करता है.
——-प्रातःकाल के समय एक कंडे पर
थोड़ी अग्नि जलाकर उस पर
थोड़ी गुग्गल रखें और ‘ॐ नारायणाय नमन’
मंत्र का उच्चारण करते हुए तीन बार
घी की कुछ बूँदें डालें. अब गुग्गल से
जो धूम्र उत्पन्न हो, उसे अपने घर के प्रत्येक कमरे में जाने
दें. इससे घर की नकारात्मक ऊर्जा ख़त्म
होगी और वातुदोशों का नाश होगा.
——-प्रतीदिन शाम के समय घर मे कपूर जलाएं
इससे घर मे मौजूद नकारात्मक ऊर्जा खत्म
हो जाती है।
——वास्तु पूजन के पश्चात् भी कभी-
कभी मिट्टी में
किन्हीं कारणों से कुछ दोष रह जाते हैं
जिनका निवारण कराना आवश्यक है।
——-घर के सभी प्रकार के वास्तु दोष दूर करने के
लिए मुख्य द्वार पर एक ओर केले का वृक्ष
दूसरी ओर तुलसी का पौधा गमले में
लगायें।
——दुकान की शुभता बढ़ाने के लिए प्रवेश द्वार के
दोनों ओर गणपति की मूर्ति या स्टिकर लगायें। एक
गणपति की दृष्टि दुकान पर पड़ेगी, दूसरे
गणपति की बाहर की ओर।
——हल्दी को जल में घोलकर एक पान के पत्ते
की सहायता से अपने सम्पूर्ण घर में छिडकाव करें।
इससे घर में लक्ष्मी का वास
तथा शांति भी बनी रहती है
——अपने घर के मन्दिर में घी का एक
दीपक नियमित जलाएं तथा शंख
की ध्वनि तीन बार सुबह और शाम के
समय करने से नकारात्मक ऊर्जा घर से बहार
निकलती है.
——घर में उत्पन्न वास्तुदोष घर के मुखिया को कष्टदायक होते
हैं. इसके निवारण के लिये घर के
मुखिया को सातमुखी रूद्राक्ष धारण करना चाहिए.
—–यदि आपके घर का मुख्य द्वार दक्षिणमुखी है,
तो यह भी मुखिया के के लिये हानिकारक होता है.
इसके लिये मुख्यद्वार पर श्वेतार्क
गणपति की स्थापना करनी चाहिए.
—–अपने घर के पूजा घर में देवताओं के चित्र भूलकर
भी आमने-सामने नहीं रखने चाहिए
इससे बड़ा दोष उत्पन्न होता है.
——अपने घर के ईशान कोण में स्थित पूजा-घर में अपने
बहुमूल्य वस्तुएँ नहीं छिपानी चाहिए.
—–पूजाकक्ष की दीवारों का रंग सफ़ेद
हल्का पीला अथवा हल्का नीला होना चाहिए.
—–यदि झाडू के बार-बार पैर का स्पर्थ होता है, तो यह धन-
नाश का कारण होता है. झाडू के ऊपर कोई वजनदार वास्तु
भी नहीं रखें.। ध्यान रखें
की बाहर से आने वाले
व्यक्ति की दृष्टि झारू पड़ न परे।
——अपने घर में दीवारों पर सुन्दर,
हरियाली से युक्त और मन को प्रसन्न करने वाले
चित्र लगाएं. इससे घर के मुखिया को होने
वाली मानसिक परेशानियों से निजात
मिलती है.
——घर की पूर्वोत्तर दिशा में
पानी का कलश रखें। इससे घर में
समृद्धि आती है।
—–बेडरूम में भगवान के कैलेंडर या तस्वीरें या फिर
धार्मिक आस्था से जुड़ी वस्तुएं
नहीं रखनी चाहिए। बेडरूम
की दीवारों पर पोस्टर
या तस्वीरें नहीं लगाएं तो अच्छा है।
हां अगर आपका बहुत मन है, तो प्राकृतिक सौंदर्य दर्शाने
वाली तस्वीर लगाएं। इससे मन
को शांति मिलती है, पति-पत्नी में झगड़े
नहीं होते।
—-गणेश पूजा, नवग्रह शांति और वास्तु पुरुष
की पूजा,नवचंडी यज्ञ, शांतिपाठ,
अग्नि होत्र यज्ञ
—-वास्तु पुरूष की मूर्ति, चांदी का नाग,
तांबा का वायर, मोती और पौला ये सब वस्तुएं लाल
मिटटी के साथ लाल कपड़े में रखकर उसको पूर्व
दिशा में रखें।
—-लाल रेती, काजू, पौला को लाल कपड़ों में रख कर
मंगलवार को पश्चिम दिशा में रखें और
उसकी पूजा की जाएं है तो घर में
शांति की वृद्घि होती है।
—–वास्तु पुरुष की योग्य पूजा बाद
उसकी आज्ञा प्राप्त करने के बाद
पुरानी इमारत तोड़नी चाहिए।
—-तोड़ते समय मिट्टी का घड़ा, जल अथवा बैठक घर
में नहीं ले जानी चाहिए।
—-प्रवेश
की सीढ़ियों की प्रतिदिन
पूजा करें, वहां कुंकुम और चावल के साथ स्वास्तिक,
मिट्टी के घड़े का चित्र बनाएं।
—रक्षोज्ञा सूक्त जप, होम, अनुष्ठान
इत्यादि भी करना चाहिए।
—ओम नमो भगवती वास्तु देवताय नमः- इस मंत्र
का जप प्रतिदिन 108बार और कुल 12500 जप तब तक करें
और अंत में दसमसा होम करें।
—-वास्तु पुरुष की प्रार्थना करें।
—दक्षिण-पश्चिम दिशा अगर कट गइ हो तो अथवा घर में
अशांति हो तो पितृशांति, पिडदान, नागबली, नारायण
बली इत्यादि करें।
—-प्रत्येक सोमवार और अमावास्या के दिन
रुद्री करें।
—-घर में गणपति की मूर्ति या छबि रखें।
—प्रत्येक घर में पूजा कक्ष बहुत ज़रूरी है।
—-नवग्रह शांति के बिना ग्रह प्रवेश मत करें।
—-जो मकान बहुत वर्षों से रिक्त हो उसको वास्तुशांति के बाद में
उपयोग में लेना चाहिए। वास्तु शांति के बाद उस घर
को तीन महिने से अधिक समय तक
खाली मत रखें।
—–भंडार घर
कभी भी खाली मत रखें।
—–घर में पानी से भरा मटका हो वहां पर रोज सांझ
को दीपक जलाएं।
—प्रति वर्ष ग्रह शांति कराए क्योंकि हम अपने
जीवन में बहुत से पाप करते रहते हैं।
——-घर के खिड़की-दरवाजे इस तरह होने चाहिए
कि सूरज
की रोशनी अच्छी तरह से
घर के अंदर आए।
—–ड्रॉइंग रूम में फूलों का गुलदस्ता लगाएं।
—–रसोई घर में
पूजा की आलमारी या मंदिर
नहीं रखना चाहिए।
——बेडरूम में भगवान के कैलेंडर, तस्वीरें या फिर
धार्मिक आस्था से जुड़ी वस्तुएं न रखें।
——घर में टॉइलेट के बगल में देवस्थान
नहीं होना चाहिए।
——दीपावली अथवा अन्य
किसी शुभ मुहूर्त में अपने घर में पूजास्थल में
वास्तुदोशनाशक कवच की स्थापना करें और नित्य
इसकी पूजा करें. इस कवच को दोषयुक्त स्थान पर
भी स्थापित करके आप वास्तुदोषों से सरलता से
मुक्ति पा सकते हैं.
——-अपने घर में ईशान कोण अथवा ब्रह्मस्थल में स्फटिक
श्रीयंत्र की शुभ मुहूर्त में
स्थापना करें. यह यन्त्र लक्ष्मीप्रदायक
भी होता ही है, साथ
ही साथ घर में स्थित
वास्तुदोषों का भी निवारण करता है.
——-प्रातःकाल के समय एक कंडे पर
थोड़ी अग्नि जलाकर उस पर
थोड़ी गुग्गल रखें और ‘ॐ नारायणाय नमन’
मंत्र का उच्चारण करते हुए तीन बार
घी की कुछ बूँदें डालें. अब गुग्गल से
जो धूम्र उत्पन्न हो, उसे अपने घर के प्रत्येक कमरे में जाने
दें. इससे घर की नकारात्मक ऊर्जा ख़त्म
होगी और वातुदोशों का नाश होगा.
——-प्रतीदिन शाम के समय घर मे कपूर जलाएं
इससे घर मे मौजूद नकारात्मक ऊर्जा खत्म
हो जाती है।
——वास्तु पूजन के पश्चात् भी कभी-
कभी मिट्टी में
किन्हीं कारणों से कुछ दोष रह जाते हैं
जिनका निवारण कराना आवश्यक है।
——-घर के सभी प्रकार के वास्तु दोष दूर करने के
लिए मुख्य द्वार पर एक ओर केले का वृक्ष
दूसरी ओर तुलसी का पौधा गमले में
लगायें।
——दुकान की शुभता बढ़ाने के लिए प्रवेश द्वार के
दोनों ओर गणपति की मूर्ति या स्टिकर लगायें। एक
गणपति की दृष्टि दुकान पर पड़ेगी, दूसरे
गणपति की बाहर की ओर।
——हल्दी को जल में घोलकर एक पान के पत्ते
की सहायता से अपने सम्पूर्ण घर में छिडकाव करें।
इससे घर में लक्ष्मी का वास
तथा शांति भी बनी रहती है
——अपने घर के मन्दिर में घी का एक
दीपक नियमित जलाएं तथा शंख
की ध्वनि तीन बार सुबह और शाम के
समय करने से नकारात्मक ऊर्जा घर से बहार
निकलती है.
——घर में उत्पन्न वास्तुदोष घर के मुखिया को कष्टदायक होते
हैं. इसके निवारण के लिये घर के
मुखिया को सातमुखी रूद्राक्ष धारण करना चाहिए.
—–यदि आपके घर का मुख्य द्वार दक्षिणमुखी है,
तो यह भी मुखिया के के लिये हानिकारक होता है.
इसके लिये मुख्यद्वार पर श्वेतार्क
गणपति की स्थापना करनी चाहिए.
—–अपने घर के पूजा घर में देवताओं के चित्र भूलकर
भी आमने-सामने नहीं रखने चाहिए
इससे बड़ा दोष उत्पन्न होता है.
——अपने घर के ईशान कोण में स्थित पूजा-घर में अपने
बहुमूल्य वस्तुएँ नहीं छिपानी चाहिए.
—–पूजाकक्ष की दीवारों का रंग सफ़ेद
हल्का पीला अथवा हल्का नीला होना चाहिए.
—–यदि झाडू के बार-बार पैर का स्पर्थ होता है, तो यह धन-
नाश का कारण होता है. झाडू के ऊपर कोई वजनदार वास्तु
भी नहीं रखें.। ध्यान रखें
की बाहर से आने वाले
व्यक्ति की दृष्टि झारू पड़ न परे।
——अपने घर में दीवारों पर सुन्दर,
हरियाली से युक्त और मन को प्रसन्न करने वाले
चित्र लगाएं. इससे घर के मुखिया को होने
वाली मानसिक परेशानियों से निजात
मिलती है.
——घर की पूर्वोत्तर दिशा में
पानी का कलश रखें। इससे घर में
समृद्धि आती है।
—–बेडरूम में भगवान के कैलेंडर या तस्वीरें या फिर
धार्मिक आस्था से जुड़ी वस्तुएं
नहीं रखनी चाहिए। बेडरूम
की दीवारों पर पोस्टर
या तस्वीरें नहीं लगाएं तो अच्छा है।
हां अगर आपका बहुत मन है, तो प्राकृतिक सौंदर्य दर्शाने
वाली तस्वीर लगाएं। इससे मन
को शांति मिलती है, पति-पत्नी में झगड़े
नहीं होते।
—-गणेश पूजा, नवग्रह शांति और वास्तु पुरुष
की पूजा,नवचंडी यज्ञ, शांतिपाठ,
अग्नि होत्र यज्ञ
—-वास्तु पुरूष की मूर्ति, चांदी का नाग,
तांबा का वायर, मोती और पौला ये सब वस्तुएं लाल
मिटटी के साथ लाल कपड़े में रखकर उसको पूर्व
दिशा में रखें।
—-लाल रेती, काजू, पौला को लाल कपड़ों में रख कर
मंगलवार को पश्चिम दिशा में रखें और
उसकी पूजा की जाएं है तो घर में
शांति की वृद्घि होती है।
—–वास्तु पुरुष की योग्य पूजा बाद
उसकी आज्ञा प्राप्त करने के बाद
पुरानी इमारत तोड़नी चाहिए।
—-तोड़ते समय मिट्टी का घड़ा, जल अथवा बैठक घर
में नहीं ले जानी चाहिए।
—-प्रवेश
की सीढ़ियों की प्रतिदिन
पूजा करें, वहां कुंकुम और चावल के साथ स्वास्तिक,
मिट्टी के घड़े का चित्र बनाएं।
—रक्षोज्ञा सूक्त जप, होम, अनुष्ठान
इत्यादि भी करना चाहिए।
—ओम नमो भगवती वास्तु देवताय नमः- इस मंत्र
का जप प्रतिदिन 108बार और कुल 12500 जप तब तक करें
और अंत में दसमसा होम करें।
—-वास्तु पुरुष की प्रार्थना करें।
—दक्षिण-पश्चिम दिशा अगर कट गइ हो तो अथवा घर में
अशांति हो तो पितृशांति, पिडदान, नागबली, नारायण
बली इत्यादि करें।
—-प्रत्येक सोमवार और अमावास्या के दिन
रुद्री करें।
—-घर में गणपति की मूर्ति या छबि रखें।
—प्रत्येक घर में पूजा कक्ष बहुत ज़रूरी है।
—-नवग्रह शांति के बिना ग्रह प्रवेश मत करें।
—-जो मकान बहुत वर्षों से रिक्त हो उसको वास्तुशांति के बाद में
उपयोग में लेना चाहिए। वास्तु शांति के बाद उस घर
को तीन महिने से अधिक समय तक
खाली मत रखें।
—–भंडार घर
कभी भी खाली मत रखें।
—–घर में पानी से भरा मटका हो वहां पर रोज सांझ
को दीपक जलाएं।
—प्रति वर्ष ग्रह शांति कराए क्योंकि हम अपने
जीवन में बहुत से पाप करते रहते हैं।
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