Sunday, April 27, 2014

रतिपति गन्धर्व साधना

रतिपति गन्धर्व साधना
साधना क्षेत्र में गन्धर्व साधना का विवरण ज्यादा प्राप्त
नहीं होता है, सदगुरुदेव के आशीर्वाद
से कुछ विभिन्न शक्तियों से युक्त
गंधर्वों की साधना मुझे प्राप्त
हुयी थी.उनमे से पूर्ण गृहस्थ सुख
के लिए रतिपति गन्धर्व
की साधना की जाती है ,
स्वामी प्रज्ञानंद जी का तो ये
भी कहना रहा है की यदि व्यक्ति के
वीर्य में शुक्राणु न हो, तब भी पूर्ण
निष्ठां से की गयी ये साधना शुक्राणुओं
की उत्पत्ति कर देती है और सामान्य
रूप से जिस व्यक्ति में काम शक्ति की न्यूनता है
उसके लिए तो इस साधना से बड़ी कोई
साधना ही नहीं है.
पूर्णिमा की प्रातः भगवान महामृत्युंजय का पूजन
गणपति और माँ पार्वती के साथ करें
तथा महामृत्युंजय मन्त्र की ११
माला भी संपन्न कर ले.ब्राम्हण को भोजन तथा दान
दक्षिणा से तृप्त कर दें ,रात्रि में शयन कक्ष में
ही आसन पर बैठ कर हाथ में गन्धर्व
मुद्रिका धारण कर सामने घृत दीप प्रज्वलित कर
मोतियों की माला से २१ माला मंत्र जप संपन्न करें.
एक पूर्णिमा से दूसरी पूर्णिमा तक नित्य निम्न मंत्र
का २१ माला जप होना चाहिए. साधना का प्रभाव तो पहले दिन से
ही दिखने लग जाता है स्त्री या पुरुष
पूर्ण काम शक्ति और संतान प्राप्ति की क्षमता से
युक्त होते जाते हैं. और ये रति शक्ति सामान्य से बहुत अधिक
होती है.
मन्त्र- ॐ गन्धर्व रतिपति रतिबलम् कुरु ॐ.

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