Saturday, April 26, 2014

स्फटिक

स्फटिक-- आर्थिक तंगी का नाश करता है।यह विभिन्न
क्षेत्रों में सफलता दिलाने वाला और विघ्रो को मिटाने वाला होता है।
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स्फटिक एक रंगहीन, पारदर्शी, निर्मल और
शीत प्रभाव वाला उपरत्न है। इसको कई नामों से
जाना जाता है, जैसे- 'सफ़ेद बिल्लौर', अंग्रेज़ी में 'रॉक
क्रिस्टल', संस्कृत में 'सितोपल', शिवप्रिय, कांचमणि और फिटक आदि।
इसे फिटकरी भी कहा जाता है। सामान्यत:
यह काँच जैसा प्रतीत होता है, परंतु यह काँच
की अपेक्षा अधिक
दीर्घजीवी होता है। कटाई में
काँच के मुकाबले इसमें कोण अधिक उभरे होते हैं।
इसकी प्रवृत्ति[2]
ठंडी होती है। अत: ज्वर, पित्त-विकार,
निर्बलता तथा रक्त विकार जैसी व्याधियों में वैद्यजन
इसकी भस्मी का प्रयोग करते हैं। स्फटिक
को नग के बजाय माला के रूप में पहना जाता है। स्फटिक
माला को भगवती लक्ष्मी का रूप माना जाता है।
रासायनिक संरचना
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स्फटिक की रासायनिक संरचना सिलिकॉन डाइऑक्साइड है।
तमाम क्रिस्टलों में यह सबसे अधिक साफ, पवित्र और ताकतवर है।
स्फटिक शुद्ध क्रिस्टल है, या फिर यह
भी कहा जा सकता है कि अंग्रेज़ी में शुद्ध
क्वार्टज क्रिस्टल का देसी नाम स्फटिक है। 'प्योर स्नो'
या 'व्हाइट क्रिस्टल' भी इसी के नाम हैं।
यह सफ़ेदी लिए हुए रंगहीन,
पारदर्शी और चमकदार होता है। यह सफ़ेद बिल्लौर
अर्थात रॉक क्रिस्टल से हू-ब-हू मिलता है।
विशेषताएँ
स्फटिक की सबसे
बड़ी खूबी यह है कि यह पहनने वाले
किसी भी पुरुष
या स्त्री को एकदम स्वस्थ रखता है। इसके बारे में यह
भी माना जाता है कि इसे धारण करने से भूत-प्रेत
आदि की बाधा से मुक्त रहा जा सकता है। कई प्रकार के
आकार और प्रकारों में स्फटिक मिलता है। इसके
मणकों की माला फैशन और हीलिंग पावर्स
दोनों के लिहाज से लोकप्रिय है। यह इंद्रधनुष
की छटा-सी खिल उठती है। इसे
पहनने मात्र से ही शरीर में
इलैक्ट्रोकैमिकल संतुलन उभरता है और तनाव-दबाव से मुक्त होकर
शांति मिलने लगती है। स्फटिक की माला के
मणकों से रोजाना सुबह लक्ष्मी देवी का मंत्र
जप करना आर्थिक तंगी का नाश करता है। स्फटिक के
शिवलिंग की पूजा-अर्चना से धन-दौलत,
खुशहाली और बीमारी आदि से
राहत मिलती है तथा सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त
होती हैं।
रुद्राक्ष और मूंगा के साथ पिरोया गया स्फटिक का ब्रेसलेट खूब
पहना जाता है। इससे व्यक्ति को डर और भय
नहीं लगता। उसकी सोच-समझ में
तेजी और विकास होने लगता है। मन इधर-उधर भटकने
की स्थिति में, सुख-शांति के लिए स्फटिक पहनने
की सलाह दी जती है। कहते
हैं कि स्फटिक के शंख से ईश्वर को जल तर्पण करने वाला पुरुष
या स्त्री जन्म-मृत्यु के फेर से मुक्त हो जता है।
इसकी प्रवृत्ति [तासीर]
ठंडी होती है। अत: ज्वर, पित्त-विकार,
निर्बलता तथा रक्त विकार जैसी व्याधियों में वैद्यजन
इसकी भस्मी का प्रयोग करते हैं। स्फटिक
कंप्यूटर से निकलने वाले ‘बुरे’ रेडिएशन (यानी हानिकारक
विकिरण) को अपनी ओर खींचकर सोख
लेती है । स्फटिक को नग के बजाय माला के रू प में
पहना जाता है। स्फटिक
माला को भगवती लक्ष्मी का रू प
माना जाता है। अन्य उपयोग इस प्रकार हैं-
लक्ष्मी प्राप्ति के लिए इसे पूजा स्थल में रखें तथा इससे
"ú श्री लक्ष्म्यै
स्फटिक को हीरे का उपरत्न कहा जाता है। स्फटिक
को कांचमणि, बिल्लोर, बर्फ का पत्थर तथा अंग्रेजी में रॉक
क्रिस्टल कहा जाता है। यह एक पारदर्शी रत्न है।
इसे स्फटिक मणि भी कहा जाता है। स्फटिक बर्फ के
पहाड़ों पर बर्फ के नीचे टुक ड़े के रूप में पाया जाता है।
यह बर्फ के समान पारदर्शी और सफेद होता है। यह
मणि के समान है। इसलिए स्फटिक के श्रीयंत्र
को बहुत पवित्र माना जाता है। यह यंत्र ब्रम्हा, विष्णु, महेश
यानि त्रिमूर्ति का स्वरुप माना जाता है।स्फटिक श्रीयंत्र
का स्फटिक का बना होने के कारण इस पर जब सफेद प्रकाश
पड़ता है तो ये उस प्रकाश को परावर्तित कर इन्द्र धनुष के रंगों के
रूप में परावर्तित कर देती है।
यदि आप चाहते है
कि आपकी जिन्दगी भी खुशी और
सकारात्मक ऊर्जा के रंगों से भर जाए तो घर में स्फटिक
श्रीयंत्र स्थापित करें। यह यंत्र घर से हर तरह
की नेगेटिव एनर्जी को दूर करता है। घर में
पॉजिटिव माहौल को बनाता है। जिस घर में यह यंत्र स्थापित कर
दिया जाता है वहां पैसा बरसने लगता है साथ
ही जो भी व्यक्ति इसे स्थापित करता है
उसके जीवन में नाम पैसा दौलत शोहरत सब कुछ
होता है।
स्फटिक की सबसे
बड़ी खूबी है कि यह पहनने वाले
या वाली को एकदम फिट रखता है और बताते हैं
कि इसका साथ भूत-प्रेत बाधा से मुक्त रखता है।
स्फटिक में दिव्य शक्तियां या ईश्वरीय पावर्स मौजूद
होती हैं। इस कदर कि स्फटिक में बंद
एनर्जी के जरिए आपकी तमन्नाओं को ईश्वर
तक खुद-ब-खुद पहुंचाता जता है। फिर यह धारण करने वाले के
मनमर्जी मुताबिक काम करता जता है और आपके दिमाग
या मन में किसी किस्म के नकारात्मक विचार हरगिज
नहीं पनप पाते।
स्फटिक किस्म-किस्म के आकार और प्रकार में आता है। स्फटिक के
मणकों की माला फैशन और हीलिंग पावर्स
दोनों लिहाज से लोकप्रिय है। यह इंद्रधनुष की छटा-
सी खिल उठती है। इसे पहनने भर से
शरीर में इलैक्ट्रोकैमिकल संतुलन उभरता है और तनाव-
दबाव से मुक्त होकर शांति मिलने लगती है। स्फटिक
की माला के मणकों से रोजना सुबह
लक्ष्मी देवी का मंत्र जप करना आर्थिक
तंगी का नाश करता है। स्फटिक के शिवलिंग
की पूज-अर्चना से धन-दौलत, खुशहाली,
बीमारी से राहत और पॉजिटिव पावर्स प्राप्त
होती हैं।
रुद्राक्ष और मूंगा संग पिरोई स्फटिक का ब्रेसलेट हीलिंग
यंत्र के तौर पर खूब पहना जाता है। इससे डर-भय छूमंतर होते देर
नहीं लगती। सोच-समझ में
तेजी और विकास होने लगता है। मन इधर-उधर भटकने
की स्थिति में, सुख-शांति के लिए स्फटिक के पेंडेंट पहनने
की सलाह दी जती है और
बताते हैं कि स्फटिक के शंख से ईश्वर को जल तर्पण करने
वाला या वाली जन्म-मृत्यु के फेर से मुक्त हो जता है।
साथ-साथ खुशकिस्मती आपके घर-आंगन में वास करने
लगती है।
एक खास बात और है-अगर आपके बेटे
या बेटी का पढ़ाई-लिखाई में मन न लगे और एकाग्रता के
अभाव के चलते वह पढ़ाई में कमजोर हो तो फौरन स्फटिक का पिरामिड
उसके स्टडी टेबल या स्टडी रूम में रखने से
उत्तम नतीजे आने लगते हैं।
यही नहीं, स्फटिक यंत्र के सहारे तमाम
रुकावटें हटती जती हैं।
आपको सही समझ-बूझ से नवाजता है स्फटिक।
इसकी रासायनिक संरचना सिलिकॉन
डाइआक्साइड है। तमाम क्रिस्टलों में यह सबसे ज्यादा साफ, पवित्र
और ताकतवर है। यह है लिब्रा यानी तुला और टॉरस
या कहें वृष राशियों का बर्थ स्टोन, लेकिन इसे हर
राशि वाला या वाली पहन या रख
सकता या सकती है। कीमत केवल 10 से
20 रुपए प्रति कैरेट (0-200 मिलीग्राम) भाव पर
आसानी से मिलता है।
स्फटिक श्रीयंत्र
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श्री विद्या से संबंधित तंत्र ब्रह्माण्ड का सर्वश्रेष्ठ
तंत्र है जिसकी साधना ऐसे योग्य साधकों और
शिष्यों को प्राप्त होती है जो समस्त तंत्र साधनाओं
को आत्मसात कर चुके हों| .
श्री विद्या की साधना का सबसे प्रमुख साधन
है श्री यंत्र.| श्री यंत्र प्रमुख रूप से
ऐश्वर्य तथा समृद्धि प्रदान करने
वाली महाविद्या त्रिपुरसुंदरी महालक्ष्मी का सिद्ध
यंत्र है. यह यंत्र सही अर्थों में यंत्रराज है. इस
यंत्र को स्थापित करने का तात्पर्य श्री को अपने संपूर्ण
ऐश्वर्य के साथ आमंत्रित करना होता है | जो साधक
श्री यंत्र के माध्यम से
त्रिपुरसुंदरी महालक्ष्मी की साधना के
लिए प्रयासरत होता है, उसके एक हाथ में सभी प्रकार
के भोग होते हैं, तथा दूसरे हाथ में पूर्ण मोक्ष होता है. आशय
यह कि श्री यंत्र का साधक समस्त प्रकार के
भोगों का उपभोग करता हुआ अंत में मोक्ष को प्राप्त होता है. इस
प्रकार यह एकमात्र ऐसी साधना है जो एक साथ भोग
तथा मोक्ष दोनों ही प्रदान करती है, इसलिए
प्रत्येक साधक इस साधना को प्राप्त करने के लिए सतत
प्रयत्नशील रहता है.| स्फटिक का बना हुआ
श्री यंत्र अतिशीघ्र सफलता प्रदान
करता है. इस यंत्र की निर्मलता के समान
ही साधक का जीवन
भी सभी प्रकार की मलिनताओं से
परे हो जाता है.|।स्फटिक बर्फ के पहाड़ों पर बर्फ के
नीचे टुक ड़े के रूप में पाया जाता है। यह बर्फ के समान
पारदर्शी और सफेद होता है। यह मणि के समान है।
इसलिए स्फटिक के श्रीयंत्र को बहुत पवित्र
माना जाता है। स्फटिक श्रीयंत्र स्फटिक का बना होने के
कारण इस पर जब सफेद प्रकाश पड़ता है तो ये उस प्रकाश
को परावर्तित कर इन्द्र धनुष के रंगों के रूप में परावर्तित कर देता है।
यदि आप चाहते है
कि आपकी जिन्दगी भी खुशी और
सकारात्मक ऊर्जा के रंगों से भर जाए तो घर में स्फटिक
श्रीयंत्र स्थापित करें। यह यंत्र घर से हर तरह
की नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है। .
श्री यंत्र शांति, समृद्धि, सद्भाव, और
अच्छी किस्मत में प्रवेश करने के लिए जाना जाता है.।
यह यंत्र ब्रम्हा, विष्णु, महेश यानि त्रिमूर्ति का स्वरुप
माना जाता है। यह विविध वास्तु दोषों के निराकरण के लिए श्रेष्ठतम
उपाय है.। श्री यंत्र पर ध्यान लगाने से मानसिक
क्षमता में वृद्धि होती है.। उच्च यौगिक दशा में यह
सहस्रार चक्र के भेदन में सहायक माना गया है.। कार्यस्थल पर
इसका नित्य पूजन व्यापार में विकास देता है.। घर पर इसका नित्य
पूजन करने से संपूर्ण दांपत्य सुख प्राप्त होता है.। पूरे विधि विधान
से इसका पूजन यदि प्रत्येक
दीपावली की रात्रि को संपन्न कर
लिया जाय तो उस घर में साल भर किसी प्रकार
की कमी नही होती है.।
सारे विघ्न टल जाते हैं...
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स्फटिक रत्नों की श्रेणी में आता है,
स्फटिक की अनेक मूर्तियां बनती है। गणेश
की मूर्ति का महत्व अधिक माना जाता है। स्फटिक के
गणेश की मूर्ति को घर में या कार्यालय में स्थापित करने से
अनेक प्रकार के विघ्र टल जाते है। यदि स्फटिक
श्री गणेश को किसी व्यक्ति को भेंट किया जाए
तो अनन्त पुण्य प्राप्त होता है। यह विभिन्न क्षेत्रों में
सफलता दिलाने वाला और विघ्रो को मिटाने वाला माना जाता है।
- भगवान शिव का सबसे प्रिय रत्न होने के कारण स्फटिक गणेश
भी बहुत प्रिय है।
- इसके प्रभाव से ग्रहों के अशुभ दूर हो जाता है।
- घर का हर कार्य बिना रुकावट के सम्पन्न हो जाए इसके लिए घर
के मुख्य दरवाजे के ऊपर स्फटिक गणेश को स्थापित करने से
इच्छा अनुसार लाभ होता है।
- स्फटिक श्री गणेश को शुभ समय में प्रतिष्ठित करके
रोज पूजन कर उसके सम्मुख अथर्वशीष का पाठ करें।
- पंचमेवा का सवा माह नियमित भोग लगाने से
लक्ष्मी की प्राप्ति होती है।
- किसी भी स्फटिक
की मूर्ति को बार- बार स्पर्श करने से मस्तिष्क
को धनात्मक उर्जा मिलती है
क्रिसटल थेरेपि
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क्रिसटल थेरेपि ईश्वरीय शक्ति एवं प्रकाश से भरपूर
क्रिसटल का प्रयोग सदियों से ही हमारे संत महात्मा एवं
सिद्ध व्यक्ति अपनी प्राण ऊर्जा को विकसित करने
तथा नकारात्मक भावनाओं, वातावरण एवं रोगों से बचने के लिए विविघ
तरीकों से करते रहे हैं।
ईश्वरीय शक्ति एवं प्रकाश से भरपूर स्फटिक
( Crystal) का प्रयोग सदियों से ही हमारे संत
महात्मा एवं सिद्ध व्यक्ति अपनी प्राण
ऊर्जा को विकसित करने तथा नकारात्मक भावनाओं, वातावरण एवं रोगों से
बचने के लिए विविघ तरीकों से करते रहे हैं। एक सामान्य
व्यक्ति के लिए स्फटिक हमेशा एक रहस्यमय या सामान्य पदार्थ
ही बना रहा और वे इसका लाभ
नहीं उठा सके परंतु हाल ही में गहन
वैज्ञानिक अनुसंघानों ने व रहस्य शोघक चिकित्सकों ने
सैंकडो प्रयोगों से इसकी उपचारक शक्तियों,
शरीर मन एवं भावनाओं पर होने वाले आघ्यात्मिक
प्रभावों को बखूबी स्थापित किया है।
इसी कारण स्फटिक चिकित्सा ( Crystal Healing )
एक अलग चिकित्सा पद्धति के रूप में
फैलती जा रही है।
प्राचीन काल में लगभग 30,000 वर्ष पहले के लोग
भी इसके जादुई गुणों को पहचानते थे व
अपनी प्रजा के रोग निदान के लिए इसका प्रयोग करते थे।
एटलान्टिस नाम की प्रसिद्ध सभ्यता के लोगों के पास 25
फीट लम्बा और 10 फीट चौडा विशाल
क्वार्ट्ज क्रिस्टल था जिसके ऊर्जा क्षेत्र का प्रयोग करके वहाँ के
लोगों की बीमारियों को ठीक
किया जाता था। यह कुदरती हरफनमौला पदार्थ
दो प्राकृतिक तत्वों ऑक्सीजन व सिलिकॉन के मिश्रण से
बना है। जब यह दोनों तत्व गर्मी और असहाय दबाव
के साथ भूगर्भ में एक साथ जुडते हैं तो कुदरती स्फटिक
का निर्माण होता है। प्राकृतिक स्फटिक के निर्माण में कई सौ वर्ष
लग जाते हैं।
एक मेडिकल डॉक्टर भौतिक शरीर का उपचार करता है।
एक मनोचिकित्सक मन तथा भावों की चिकित्सा करता है
और आघ्यात्मिक पुरूष आत्मा का उपचार करता है लेकिन एक
उपचारक को तन-मन और भावनाओं तीनों को संतुलित करके
उनका उपचार करना चाहिए क्योंकि मनुष्य इन
तीनों का संतुलित योग है। मानव शरीर
ऊर्जा व्यवस्थाओं की श्रृंखला है और जब कोई वस्तु
शरीर के किसी भी कोष
को ऊर्जा पाने से रोकती है या अवरोघ
डालती है तो वह कोष कमजोर हो जाता है और वह
मस्तिष्क को अघिक ऊर्जा भेजने के लिए संदेश देता है यदि मस्तिष्क
उसकी प्रार्थना सुन लेता है और उसके पास जो पर्याप्त
ऊर्जा होती है उसे भेज देता है तो वह कोष फिर से
अपना कार्य सुचारू रूप से करने लगता है अन्यथा शरीर
या उसका प्रभावित अंग बीमार पड जाता है अर्थात्
शरीर का सार तत्व ऊर्जा है। स्फटिक विभिन्न प्रकार
की ऊर्जाओं को जैविक ऊर्जा में रूपान्तरित करने और
उसका विस्तार करने का कार्य करता है जिससे
हमारी जैविक ऊर्जा पुन: शक्ति प्राप्त
करती है और संतुलित हो जाती है।
स्फटिक शरीर में रोग प्रतिरोघक शक्ति का विकास कर प्राण
शक्ति को कई गुना बढा देता है जिससे रोगों से लडने
की हमारी आन्तरिक क्षमता मजबूत
हो जाती है।
क्वार्ट्ज स्फटिक की प्राकृतिक ऊर्जा केवल
शरीर पर ही नहीं बल्कि मन
एवं भावनाओं पर भी गहरा प्रभाव
डालती है। स्फटिक वास्तव में
हमारी मानसदृष्टि ( Visualization )
की शक्ति को बढा देता है। इसका प्रभाव हमारे मस्तिष्क
रूपी कम्प्यूटर पर पडता है अत: इसके
द्वारा शरीर और मन में रहने
वाली नकारात्मक शक्ति को दूर कर उसके स्थान पर
सकारात्मक शक्ति का संचार किया जाता है। मन एवं भावनाओं के साथ-
साथ शरीर के सातों चक्रों को संतुलित करके स्फटिक
उनकी कार्य क्षमता का विकास करता है। क्रिस्टल
व्यक्ति के चारों ओर एक
शक्तिशाली सुरक्षा शक्ति का क्षेत्र लगभग 100
फीट तक बढा देता है। यह दूसरों द्वारा भेजे गए
नकारात्मक विचारों के रूपों को प्रभावहीन कर देता है,
इसके प्रयोग के बाद रोगियों के कमरों में जाने पर
भी (जहाँ शक्तिशाली नकारात्मक विचार होते
हैं) उनका कोई दुष्प्रभाव नहीं पडता।
क्वार्ट्ज क्रिस्टल की एक अद्वितीय
विशेषता यह है कि यह विचारों और निश्चयों को अपने अन्दर सोख
लेता है। हर प्रकार के स्फटिक में अपनी एक अलग
तरंग या कंपन होता है। एक उ”वल, स्वच्छ व पवित्र स्फटिक से
जो ऊर्जा निकलती है वह जैविक आभा मण्डल
द्वारा शीघ्र ही ग्रहण कर
ली जाती है। यह ऊर्जा जैविक आभा मंडल
से प्रभावित होती भी है और उस पर
अपना प्रभाव डालती भी है।
इसकी इसी विशेषता के कारण यह एक
कुशल प्राकृतिक उपचार का कार्य करता है। जैसे
ही यह किसी सजीव
प्राणी, पेड-पौघे, जीव जन्तु या वातावरण के
संपर्क में आता है, यह उस प्राणी या वस्तु
की प्राण ऊर्जा में सामान्य से कई गुना वृद्धि कर देता है
जिसे किर्लियन फोटोग्राफी या पेण्डुलम के माघ्यम से
बखूबी सिद्ध किया जा सकता है। स्फटिक मन
की शक्ति को सुझाव दिए गए स्थान पर भेज सकते हैं,
जहाँ पर उसे शारीरिक शक्ति के रूप में
बदला जा सकता है। क्वाट्ज क्रिस्टल को हाथ में पकडने या इसके
शरीर के संपर्क में आने से मस्तिष्क में अत्यघिक
मात्रा में अल्फा तरंगें उत्पन्न होती हैं।
अपनी कल्पना शक्ति को क्रिस्टल में डालने
की क्रिया का उपभोग करने से आपका मनोमस्तिष्क
अल्फा तरंगों की आवृत्ति पर कार्य करने लगता है।
अल्फा मनोमस्तिष्क का वह स्तर है जिस पर अवचेतन मन के
कम्प्यूटर के सुझाव को ग्रहण करने की क्षमता शुरू
हो जाती है। इस स्तर पर ही पुराने
हानिकारक प्रोग्राम को मिटाकर सही सुझावों द्वारा उपचार
की प्रक्रिया की गति को बढा दिया जाता है।
दवाओं और सर्जरी के साथ स्फटिक उपचार करने से
मरीज को कम समय में अघिक स्वास्थ्य लाभ मिलता है।
इसका कोई विपरीत प्रभाव नहीं पडता।
स्वच्छ पारदर्शी क्वार्ट्ज क्रिस्टल अपने अन्दर
इंद्रघनुषीय प्रकाश की किरणों को सोखने व
उन्हें प्रसारित ( Transmit ) करने का अद्भुत कार्य करता है।
अलग-अलग रंगों जैसे लाल, हरा, नीला,
बैंगनी, स्वच्छ पारदर्शी इत्यादि स्फटिक
अलग-अलग प्रकार के रोगियों की चिकित्सा में प्रयोग किए
जाते हैं। हरे स्फटिक से भौतिक शरीर, हल्के
गुलाबी स्फटिक से भावनात्मक शरीर,
नीले लाजवर्त ( Sodalite ) स्फटिक ( Rose
Quartz ) से मानसिक उपचार और आघ्यात्मिक शरीर के
लिए बैंगनी स्फटिक ( Amethyst ) का प्रयोग
किया जाता है। इनका उपयोग विभिन्न रूपों में सुविघानुसार
किया जा सकता है जैसे- माला पेंडल स्फटिक चक्र,
श्रीयंत्र, मूर्तियाँ Crystal Balls इत्यादि। ह्वदय चक्र
पर पैंडल या स्फटिक की माला के प्रयोग से रोग प्रतिरोघक
शक्ति बढ जाती है क्योंकि यह थाईमस ग्रन्थि को बल
प्रदान करती है। अपने आसपास के वातावरण में
इनका प्रयोग किया जा सकता है जैसे ऑफिस में मेज पर रखकर
या रोगी के बिस्तर के आसपास या तकिए के
नीचे रखकर ऊर्जा शक्ति के क्षेत्र
को बढाया जा सकता है।
अत: हम कह सकते हैं कि शक्तिवर्घक प्रकृति का यह अनमोल
सुरक्षा कवच मन, रोग एवं भावनाओं के उद्वेग को शांत कर
शरीर व मन की शिथिलता को दूर कर स्वास्थ्य
लाभ देता है, आत्मविश्वास और निर्भयता प्रदान कर व्यक्तित्व
को निखारता है तथा आघ्यात्मिक विकास में सहयोग करता है।

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