Wednesday, April 30, 2014

क्या हैं बंधन और उनके उपाय

. क्या हैं बंधन और उनके उपाय?
बंधन अर्थात् बांधना। जिस प्रकार रस्सी से बांध देने से
व्यक्ति असहाय हो कर कुछ कर नहीं पाता,
उसी प्रकार किसी व्यक्ति, घर, परिवार, व्यापार
आदि को तंत्र-मंत्र आदि द्वारा अदृश्य रूप से बांध दिया जाए
तो उसकी प्रगति रुक जाती है और घर परिवार
की सुख शांति बाधित हो जाती है। ये बंधन
क्या हैं और इनसे मुक्ति कैसे पाई जा सकती है जानने
केलिए पढ़िए यह आलेख...
मानव अति संवेदनशील प्राणी है।
प्रकृति और भगवान हर कदम पर हमारी मदद करते
हैं। आवश्यकता हमें सजग रहने की है। हम
अपनी दिनचर्या में अपने आस-पास होने
वाली घटनाओं पर नजर रखें और मनन करें। यहां बंधन
के कुछ उदाहरण प्रस्तुत हैं।
किसी के घर में ८-१० माह का छोटा बच्चा है। वह
अपनी सहज बाल हरकतों से सारे परिवार का मन मोह
रहा है। वह खुश है, किलकारियां मार रहा है। अचानक वह
सुस्त या निढाल हो जाता है।
उसकी हंसी बंद हो जाती है।
वह बिना कारण के रोना शुरू कर देता है, दूध पीना छोड़
देता है। बस रोता और चिड़चिड़ाता ही रहता है। हमारे
मन में अनायास ही प्रश्न आएगा कि ऐसा क्यों हुआ?
किसी व्यवसायी की फैक्ट्री या व्यापार
बहुत अच्छा चल रहा है। लोग उसके व्यापार
की तरक्की का उदाहरण देते हैं। अचानक
उसके व्यापार में नित नई परेशानियां आने लगती हैं।
मशीन और मजदूर की समस्या उत्पन्न
हो जाती है। जो फैक्ट्री कल तक फायदे में
थी, अचानक घाटे की स्थिति में आ
जाती है।
व्यवसायी की फैक्ट्री उसे
कमा कर देने के स्थान पर उसे खाने लग गई। हम सोचेंगे
ही कि आखिर ऐसा क्यों हो रहा है?
किसी परिवार का सबसे जिम्मेदार और समझदार व्यक्ति,
जो उस परिवार का तारणहार है, समस्त परिवार
की धुरी उस व्यक्ति के आस-पास
ही घूम रही है, अचानक
बिना किसी कारण के उखड़ जाता है। बिना कारण के घर में
अनावश्यक कलह करना शुरू कर देता है। कल तक
की उसकी सारी समझदारी और
जिम्मेदारी पता नहीं कहां चली जाती है।
वह परिवार की चिंता बन जाता है। आखिर
ऐसा क्यों हो गया?
कोई परिवार संपन्न है। बच्चे ऐश्वर्यवान, विद्यावान व सर्वगुण
संपन्न हैं। उनकी सज्जनता का उदाहरण सारा समाज
देता है। बच्चे शादी के योग्य हो गए हैं, फिर
भी उनकी शादी में अनावश्यक
रुकावटें आने लगती हैं। ऐसा क्यों होता है?
आपके पड़ोस के एक परिवार में पति-पत्नी में अथाह प्रेम
है। दोनों एक दूसरे के लिए पूर्ण समर्पित हैं। आपस में एक दूसरे
का सम्मान करते हैं। अचानक उनमें कटुता व तनाव उत्पन्न
हो जाता है। जो पति-पत्नी कल तक एक दूसरे के लिए
पूर्ण सम्मान रखते थे, आज उनमें झगड़ा हो गया है। स्थिति तलाक
की आ गई है। आखिर ऐसा क्यों हुआ?
हमारे घर के पास हरा भरा फल-फूलों से लदा पेड़ है।
पक्षी उसमें चहचहा रहे हैं। इस वृक्ष से हमें
अच्छी छाया और हवा मिल रही है।
अचानक वह पेड़ बिना किसी कारण के जड़ से
ही सूख जाता है। निश्चय ही हमें भय
की अनुभूति होगी और मन में यह प्रश्न
उठेगा कि ऐसा क्यों हुआ?
हमें अक्सर बहुत से ऐसे प्रसंग मिल जाएंगे
जो हमारी और हमारे आसपास
की व्यवस्था को झकझोर रहे होंगे, जिनमें 'क्यों''
की स्थिति उत्पन्न होगी।
विज्ञान ने एक नियम प्रतिपादित किया है कि हर
क्रिया की प्रतिक्रिया होती है। हमें निश्चय
ही मनन करना होगा कि उपर्युक्त घटनाएं जो हमारे
आसपास घटित हो रही हैं, वे किन क्रियाओं
की प्रतिक्रियाएं हैं? हमें यह
भी मानना होगा कि विज्ञान की एक निश्चित
सीमा है। अगर हम परावैज्ञानिक आधार पर इन
घटनाओं को विस्तृत रूप से देखें तो हम निश्चय ही यह
सोचने पर विवश होंगे कि कहीं यह बंधन या स्तंभन
की परिणति तो नहीं है ! यह आवश्यक
नहीं है कि यह किसी तांत्रिक अभिचार के
कारण हो रहा हो। यह स्थिति हमारी कमजोर ग्रह
स्थितियों व गण के कारण भी उत्पन्न
हो जाया करती है। हम भिन्न श्रेणियों के अंतर्गत
इसका विश्लेषण कर सकते हैं। इनके अलग-अलग लक्षण हैं। इन
लक्षणों और उनके निवारण का संक्षेप में वर्णन यहां प्रस्तुत है।
कार्यक्षेत्र का बंधन, स्तंभन या
रूकावटें
दुकान/फैक्ट्री/कार्यस्थल की बाधाओं के
लक्षण
किसी दुकान या फैक्ट्री के मालिक का दुकान
या फैक्ट्री में मन नहीं लगना।
ग्राहकों की संख्या में कमी आना।
आए हुए ग्राहकों से मालिक का अनावश्यक तर्क-वितर्क-कुतर्क
और कलह करना।
श्रमिकों व मशीनरी से संबंधित परेशानियां।
मालिक को दुकान में अनावश्यक शारीरिक व मानसिक
भारीपन रहना।
दुकान या फैक्ट्री जाने की इच्छा न करना।
तालेबंदी की नौबत आना।
दुकान ही मालिक को खाने लगे और अंत में दुकान बेचने
पर भी नहीं बिके।
कार्यालय बंधन के लक्षण
कार्यालय बराबर नहीं जाना।
साथियों से अनावश्यक तकरार।
कार्यालय में मन नहीं लगना।
कार्यालय और घर के रास्ते में शरीर में
भारीपन व दर्द की शिकायत होना।
कार्यालय में बिना गलती के भी अपमानित
होना।
घर-परिवार में बाधा के लक्षण
परिवार में अशांति और कलह।
बनते काम का ऐन वक्त पर बिगड़ना।
आर्थिक परेशानियां।
योग्य और होनहार बच्चों के रिश्तों में अनावश्यक अड़चन।
विषय विशेष पर परिवार के सदस्यों का एकमत न होकर अन्य
मुद्दों पर कुतर्क करके आपस में कलह कर विषय से भटक जाना।
परिवार का कोई न कोई सदस्य शारीरिक दर्द, अवसाद,
चिड़चिड़ेपन एवं निराशा का शिकार रहता हो।
घर के मुख्य द्वार पर अनावश्यक गंदगी रहना।
इष्ट की अगरबत्तियां बीच में
ही बुझ जाना।
भरपूर घी, तेल, बत्ती रहने के बाद
भी इष्ट का दीपक बुझना या खंडित होना।
पूजा या खाने के समय घर में कलह की स्थिति बनना।
व्यक्ति विशेष का बंधन
हर कार्य में विफलता।
हर कदम पर अपमान।
दिल और दिमाग का काम नहीं करना।
घर में रहे तो बाहर की और बाहर रहे तो घर
की सोचना।
शरीर में दर्द होना और दर्द खत्म होने के बाद
गला सूखना।
हमें मानना होगा कि भगवान दयालु है। हम सोते हैं पर
हमारा भगवान जागता रहता है। वह
हमारी रक्षा करता है। जाग्रत अवस्था में तो वह
उपर्युक्त लक्षणों द्वारा हमें बाधाओं आदि का ज्ञान
करवाता ही है, निद्रावस्था में भी स्वप्न के
माध्यम से संकेत प्रदान कर हमारी मदद करता है।
आवश्यकता इस बात की है कि हम होश व मानसिक
संतुलन बनाए रखें। हम किसी भी प्रतिकूल
स्थिति में अपने विवेक व अपने इष्ट की आस्था को न
खोएं, क्योंकि विवेक से बड़ा कोई साथी और भगवान से
बड़ा कोई मददगार नहीं है। इन बाधाओं के निवारण हेतु
हम निम्नांकित उपाय कर सकते हैं।
उपाय : पूजा एवं भोजन के समय कलह की स्थिति बनने
पर घर के पूजा स्थल की नियमित सफाई करें और मंदिर में
नियमित दीप जलाकर पूजा करें। एक
मुट्ठी नमक पूजा स्थल से वार कर बाहर फेंकें,
पूजा नियमित होनी चाहिए।
इष्ट पर आस्था और विश्वास रखें।
स्वयं की साधना पर ज्यादा ध्यान दें।
गलतियों के लिये इष्ट से क्षमा मांगें।
इष्ट को जल अर्पित करके घर में उसका नित्य छिड़काव करें।
जिस पानी से घर में पोछा लगता है, उसमें थोड़ा नमक डालें।
कार्य क्षेत्र पर नित्य शाम को नमक छिड़क कर प्रातः झाडू से साफ
करें।
घर और कार्यक्षेत्र के मुख्य द्वार को साफ रखें।
हिंदू धर्मावलंबी हैं, तो गुग्गुल की और
मुस्लिम धर्मावलम्बी हैं, तो लोबान की धूप
दें।
व्यक्तिगत बाधा निवारण के लिए
व्यक्तिगत बाधा के लिए एक मुट्ठी पिसा हुआ नमक
लेकर शाम को अपने सिर के ऊपर से तीन बार उतार लें
और उसे दरवाजे के बाहर फेंकें। ऐसा तीन दिन लगातार
करें। यदि आराम न मिले तो नमक को सिर के ऊपर वार कर शौचालय में
डालकर फ्लश चला दें। निश्चित रूप से लाभ मिलेगा।
हमारी या हमारे परिवार के
किसी भी सदस्य की ग्रह
स्थिति थोड़ी सी भी अनुकूल
होगी तो हमें निश्चय ही इन उपायों से
भरपूर लाभ मिलेगा।
अपने पूर्वजों की नियमित पूजा करें। प्रति माह
अमावस्या को प्रातःकाल ५ गायों को फल खिलाएं।
गृह बाधा की शांति के लिए पश्चिमाभिमुख होकर क्क
नमः शिवाय मंत्र का २१ बार या २१ माला श्रद्धापूर्वक जप करें।
यदि बीमारी का पता नहीं चल
पा रहा हो और व्यक्ति स्वस्थ
भी नहीं हो पा रहा हो, तो सात प्रकार के
अनाज एक-एक मुट्ठी लेकर पानी में उबाल
कर छान लें। छने व उबले अनाज (बाकले) में एक तोला सिंदूर
की पुड़िया और ५० ग्राम तिल का तेल डाल कर
कीकर (देसी बबूल) की जड़ में
डालें या किसी भी रविवार को दोपहर १२ बजे
भैरव स्थल पर चढ़ा दें।
बदन दर्द हो, तो मंगलवार को हनुमान जी के चरणों में
सिक्का चढ़ाकर उसमें लगी सिंदूर का तिलक करें।
पानी पीते समय यदि गिलास में
पानी बच जाए, तो उसे अनादर के साथ फेंकें
नहीं, गिलास में ही रहने दें। फेंकने से
मानसिक
अशांति होगी क्योंकि पानी चंद्रमा का कारक
है।
नजर बाधा दूर करने के लिए
मिर्च, राई व नमक को पीड़ित व्यक्ति के सिर से वार कर
आग में जला दें। चंद्रमा जब राहु से पीड़ित होता है तब
नजर लगती है। मिर्च मंगल का, राई शनि का और नमक
राहु का प्रतीक है। इन तीनों को आग
(मंगल का प्रतीक) में डालने से नजर दोष दूर
हो जाता है। यदि इन तीनों को जलाने पर
तीखी गंध न आए तो नजर दोष
समझना चाहिए। यदि आए तो अन्य उपाय करने चाहिए।
आर्थिक परेशानियों से मुक्ति के लिए गणपति की नियमित
आराधना करें। इसके अलावा श्वेत गुजा (चिरमी) को एक
शीशी में गंगाजल में डाल कर प्रतिदिन
श्री सूक्त का पाठ करें। बुधवार को विशेष रूप से प्रसाद
चढ़ाकर पूजा करें।
विवाह बाधा दूर करने के लिए कन्या को चाहिए कि वह बृहस्पतिवार
को व्रत रखे और बृहस्पति की मंत्र के साथ पूजा करे।
इसके अतिरिक्त पुखराज या सुनैला धारण करे। छोटे बच्चे
को बृहस्पतिवार को पीले वस्त्र दान करे। लड़के
को चाहिए कि वह हीरा या अमेरिकन जर्कन धारण करे
और छोटी बच्ची को शुक्रवार को श्वेत वस्त्र
दान करे।

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