...तो इसलिए सोमवार को जरूर काटने चाहिए नाखून
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ज्योतिष शास्त्र व हिन्दू धर्म के अनुसार सप्ताह में सात दिन
माने गए हैं। सातों दिन
को किसी ना किसी विशेष ग्रह
का माना गया है। हर दिन से जुड़ी हमारे यहां कोई
ना कोई विशेष परंपरा या मान्यता है जैसे गुरुवार के दिन घर
की सफाई करना निषेध माना गया है। ठीक
वैसे ही गुरुवार को नाखून काटना व
बालों की धुलाई
को भी अच्छा नहीं माना गया है।
आपने अक्सर हमारे बढ़े- बूजुर्गो को कहते हुए
सुना होगा कि गुरुवार को नाखून नहीं काटने चाहिए।
अक्सर इस तरह की परंपराओं को लोग अंधविश्वास
मानकर उनका पालन नहीं करते हैं। लेकिन हमारे
बढ़े-बूजुर्गो द्वारा बनाई गई सारी परंपराओं और
रीति-रिवाजों के पीछे एक सुनिश्वित
वैज्ञानिक कारण है। किसी बात को पूरा का पूरा समाज
यूं ही नहीं मानने लग जाता। अनुभव,
उदाहरण, आंकड़े और परिणामों के आधार पर
ही कोई नियम या परंपरा परे समाज में स्थान और
मान्यता प्राप्त करते हैं। बेहद महत्वपूर्ण और अनिवार्य
परंपराओं व नियमों में बाल और नाखून काटने के विषय में
भी स्पष्ट संकेत प्राप्त होते हैं।
आज भी हम घर के बड़े और बुजुर्गों को यह
कहते हुए सुनते हैं कि, शनिवार, मंगलवार और गुरुवार के दिन
नाखून भूल कर भी नहीं काटना चाहिये।
पर आखिर ऐसा क्यों?जब हम अंतरिक्ष विज्ञान और ज्योतिष
की प्राचीन और प्रामाणिक
पुस्तकों का अध्ययन करते तो इन
प्रश्रों का बड़ा ही स्पष्ट वैज्ञानिक समाधान प्राप्त
होता है। वह यह कि शनिवार, मंगलवार और गुरुवार के दिन
ग्रह-नक्षत्रों की दशाएं तथा अंनत ब्रह्माण्ड में
से आने वाली अनेक सूक्ष्मातिसूक्ष्म किरणें
मानवीय मस्तिष्क पर अत्यंत
संवेदनशील प्रभाव डालती हैं। यह
स्पष्ट है कि इंसानी शरीर में उंगलियों के
अग्र भाग तथा सिर अत्यंत संवेदनशील होते हैं।
कठोर नाखूनों और बालों से
इनकी सुरक्षा होती है।
इसीलिये ऐसे प्रतिकूल समय में
इनका काटना शास्त्रों में वर्जित, निंदनीय और
अधार्मिक कार्य माना गया है।
इसीलिए इस दिन नाखून नहीं काटने
चाहिए जबकि इसके ठीक ऐसे ही एक
अन्य मान्यता यह भी है कि नाखून सोमवार के दिन
काटना चाहिए। हमारे धर्मशास्त्रों व पुराणों में कहा गया है
कि शनिवार को नाखून काटने से मनुष्य की आयु सात
वर्ष घटती है। जबकि सोमवार के दिन नाखून काटने
से आयु सात वर्ष बढ़ती है क्योंकि इस दिन
ग्रहों से आने वाली किरणे शरीर के लिए
अत्यंत शुभ होती है।
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ज्योतिष शास्त्र व हिन्दू धर्म के अनुसार सप्ताह में सात दिन
माने गए हैं। सातों दिन
को किसी ना किसी विशेष ग्रह
का माना गया है। हर दिन से जुड़ी हमारे यहां कोई
ना कोई विशेष परंपरा या मान्यता है जैसे गुरुवार के दिन घर
की सफाई करना निषेध माना गया है। ठीक
वैसे ही गुरुवार को नाखून काटना व
बालों की धुलाई
को भी अच्छा नहीं माना गया है।
आपने अक्सर हमारे बढ़े- बूजुर्गो को कहते हुए
सुना होगा कि गुरुवार को नाखून नहीं काटने चाहिए।
अक्सर इस तरह की परंपराओं को लोग अंधविश्वास
मानकर उनका पालन नहीं करते हैं। लेकिन हमारे
बढ़े-बूजुर्गो द्वारा बनाई गई सारी परंपराओं और
रीति-रिवाजों के पीछे एक सुनिश्वित
वैज्ञानिक कारण है। किसी बात को पूरा का पूरा समाज
यूं ही नहीं मानने लग जाता। अनुभव,
उदाहरण, आंकड़े और परिणामों के आधार पर
ही कोई नियम या परंपरा परे समाज में स्थान और
मान्यता प्राप्त करते हैं। बेहद महत्वपूर्ण और अनिवार्य
परंपराओं व नियमों में बाल और नाखून काटने के विषय में
भी स्पष्ट संकेत प्राप्त होते हैं।
आज भी हम घर के बड़े और बुजुर्गों को यह
कहते हुए सुनते हैं कि, शनिवार, मंगलवार और गुरुवार के दिन
नाखून भूल कर भी नहीं काटना चाहिये।
पर आखिर ऐसा क्यों?जब हम अंतरिक्ष विज्ञान और ज्योतिष
की प्राचीन और प्रामाणिक
पुस्तकों का अध्ययन करते तो इन
प्रश्रों का बड़ा ही स्पष्ट वैज्ञानिक समाधान प्राप्त
होता है। वह यह कि शनिवार, मंगलवार और गुरुवार के दिन
ग्रह-नक्षत्रों की दशाएं तथा अंनत ब्रह्माण्ड में
से आने वाली अनेक सूक्ष्मातिसूक्ष्म किरणें
मानवीय मस्तिष्क पर अत्यंत
संवेदनशील प्रभाव डालती हैं। यह
स्पष्ट है कि इंसानी शरीर में उंगलियों के
अग्र भाग तथा सिर अत्यंत संवेदनशील होते हैं।
कठोर नाखूनों और बालों से
इनकी सुरक्षा होती है।
इसीलिये ऐसे प्रतिकूल समय में
इनका काटना शास्त्रों में वर्जित, निंदनीय और
अधार्मिक कार्य माना गया है।
इसीलिए इस दिन नाखून नहीं काटने
चाहिए जबकि इसके ठीक ऐसे ही एक
अन्य मान्यता यह भी है कि नाखून सोमवार के दिन
काटना चाहिए। हमारे धर्मशास्त्रों व पुराणों में कहा गया है
कि शनिवार को नाखून काटने से मनुष्य की आयु सात
वर्ष घटती है। जबकि सोमवार के दिन नाखून काटने
से आयु सात वर्ष बढ़ती है क्योंकि इस दिन
ग्रहों से आने वाली किरणे शरीर के लिए
अत्यंत शुभ होती है।
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