Monday, April 28, 2014

वास्तु दोष निवारण हेतु कुछ जरुरी उपाय/टोटके

वास्तु दोष निवारण हेतु कुछ जरुरी उपाय/टोटके— 1
——-दक्षिण में सिर करके सोना चाहिए इससे व्यक्ति स्वस्थ
और दीर्घायु होता है।
—–पति पत्नी का सुंदर सा फोटो शयन कक्ष में
लगाएं।
—–शयन कक्ष
की उत्तरी दीवार पर हंस
अथवा सारस के जोड़े का फोटो लगाएं। इससे दाम्पत्य
जीवन में मधुरता बढ़ेगी और साथ
ही पारिवारिक कलह में
कमी आएगी।
——तिजोरी समतल धरातल पर रखें। इसे
किसी धातु पर न रखें और हिलने से बचाने के लिए
पत्थर के बजाय लकड़ी के टुकड़ों का उपयोग करें
—-तिजोरी में सुग्रधित चीजें जैसे-सेंट,
स्प्रे व अगरबत्ती आदि न रखें।
—–घर में नित्य घी का दीपक
जलाना चाहिए। दीपक जलाते समय लौ पूर्व
या दक्षिण दिशा की ओर हो या दीपक के
मध्य में (फूलदार बाती) बाती लगाना शुभ
फल देने वाला है।
—-रात्रि के समय शयन कक्ष में कपूर जलाने से
बीमारियां, दुःस्वपन नहीं आते, पितृ दोष
का नाश होता है एवं घर में
शांति बनी रहती है।
—–घर में कोई बीमार हो जाए तो उस
रोगी को शहद में चन्दन और गंगाजल मिला कर
चटाएं।
—–पुत्र बीमार हो तो कन्याओं को हलवा खिलाएं।
पीपल के पेड़
की लकड़ी सिरहाने रखें।
——पत्नी बीमार हो तो गोदान करें। जिस
घर में स्त्रीवर्ग को निरन्तर स्वास्थ्य
की पीड़ा रहती हो, उस
घर में तुलसी का पौधा लगाकर
उसकी श्रद्धापूर्वक देखभाल से रोग
पीड़ा समाप्त होती है।
—-सदैव पूर्व या दक्षिण दिशा की ओर सिर रख कर
ही सोना चाहिए। दक्षिण दिशा की ओर
सिर कर के सोने वाले व्यक्ति में चुम्बकीय बल रेखाएं
पैर से सिर की ओर जाती हैं, जो अधिक
से अधिक रक्त खींच कर सिर की ओर
लायेंगी, जिससे व्यक्ति विभिन्न रोंगो से मुक्त
रहता है और अच्छी निद्रा प्राप्त करता है।
——अगर परिवार में कोई व्यक्ति बीमार है
तथा लगातार औषधि सेवन के पश्चात् भी स्वास्थ्य
लाभ नहीं हो रहा है,
तो किसी भी रविवार से आरम्भ करके
लगातार 3 दिन तक गेहूं के आटे का पेड़ा तथा एक
लोटा पानी व्यक्ति के सिर के ऊपर से उबार कर जल
को पौधे में डाल दें तथा पेड़ा गाय को खिला दें। अवश्य
ही इन 3 दिनों के अन्दर व्यक्ति स्वस्थ महसूस
करने लगेगा। अगर टोटके की अवधि में
रोगी ठीक हो जाता है,
तो भी प्रयोग को पूरा करना है, बीच में
रोकना नहीं चाहिए।
—–चार-चार इंच का ताम्र धातु में निर्मित वास्तु दोष निवारण यन्त्र
भवन के मुख्य द्वार पर लगाना चाहिए.
——भवन के मुख्य द्वार के ऊपर
की दीवार पर बीच में गणेश
जी की प्रतिमा, अन्दर और बाहर
की तरफ, एक जगह पर आगे-पीछे
लगाएं.
——वास्तु के अनुसार सुबह पूजा-स्थल (ईशान कोण) में
श्री सूक्त, पुरूष सूक्त एवं संध्या समय
श्री हनुमान चालीसा का नित्यप्रति पठन
करने से की शांति प्राप्त होती है.
—–यदि भवन में जल का बहाव गलत दिशा में हो,
या पानी की सप्लाई ठीक
दिशा में नहीं है, तो उत्तर-पूर्व में कोई फाऊन्टेन
(फौव्वारा) इत्यादि लगाएं. इससे भवन में जल
संबंधी दोष दूर हो जाएगा.
——टी. वी. एंटीना/ डिश
वगैरह ईशान या पूर्व की ओर न लगाकर नैऋत्य
कोण में लगाएं, अगर भवन का कोई भूभाग ईशान से ऊँचा है,
तो उसका कीदोष निवारण हो जाएगा.
——भवन या व्यापारिक संस्थान में
कभी भी संगमरमर/ ग्रेनाईट पत्थर
का उपयोग न करें. ग्रेनाईट चुम्बकीय प्रभाव में
व्यवधान उत्पन कर नकारात्मक उर्जा का संचार करता है.
——-भूखंड के ब्रह्म स्थल (केन्द्र स्थान) में ताम्र धातु
निर्मित एक पिरामिड दबाएं .
——-जब भी जल का सेवन करें, सदैव अपना मुख
उत्तर-पूर्व की दिशा की ओर
ही रखें.
——भोजन करते समय, थाली दक्षिण-पूर्व
की ओर रखें और पूर्व की ओर मुख
कर के ही भोजन करें.
—— दक्षिण-पश्चिम कोण में दक्षिण की ओर
सिराहना कर के सोने से नींद गहरी और
अच्छी आती है. यदि दक्षिण
की ओर सिर करना संभव न हो तो पूर्व
दिशा की ओर की कर सकते हैं.
——यदि भवन की उत्तर-पूर्व दिशा का फर्श
दक्षिण-पश्चिम में बने फर्श से ऊँचा हो तो दक्षिण-पश्चिम में
फर्श को ऊँचा करें.यदि ऐसा करना संभव न हो तो पश्चिम दिशा के
कोणे में एक छोटा सा चबूतरा टाईप का बना सकते हैं.
—-दक्षिण-पश्चिम दिशा में अधिक दरवाजे, खिडकियाँ हों तो,
उन्हे बन्द कर के, उनकी संख्या को कम कर दें.
—–भवन के दक्षिण-पश्चिम कोने में सफेद/क्रीम
रंग के फूलदान में पीले रंग के फूल रखने से पारिवारिक
सदस्यों के वैचारिक मतभेद दूर होकर
आपसी सौहार्द में वृ्द्धि होती है.
——-श्यनकक्ष में कभी भी दर्पण न
लगाएं. यदि लगाना ही चाहते हैं तो इस प्रकार लगाएं
कि आप उसमें प्रतिबिम्बित न हों, अन्यथा प्रत्येक दूसरे वर्ष
किसी गंभीर रोग से कष्ट का सामना करने
को तैयार रहें.
——–
अमावस्या को प्रातः मेंहदी का दीपक
पानी मिला कर बनाएं। तेल
का चैमुंहा दीपक बना कर 7 उड़द के दाने, कुछ
सिन्दूर, 2 बूंद दही डाल कर 1 नींबू
की दो फांकें
शिवजी या भैरों जी के चित्र का पूजन कर,
जला दें। महामृत्युजंय मत्र की एक माला या बटुक
भैरव स्तोत्र का पाठ कर रोग-शोक दूर करने
की भगवान से प्रार्थना कर घर के दक्षिण
की ओर दूर सूखे कुंए में नींबू सहित
डाल दें। पीछे मुड़कर नहीं देखें। उस
दिन एक ब्राह्मण -ब्राह्मणी को भोजन करा कर
वस्त्रादि का दान भी कर दें। कुछ दिन तक पक्षियों,
पशुओं और रोगियों की सेवा तथा दान-पुण्य
भी करते रहें। इससे घर
की बीमारी, भूत बाधा,
मानसिक अशांति निश्चय ही दूर
होती है।

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