ज्योतिष को संपूर्ण कर देने वाली नील
सरस्वती साधना:-
इस साधना को यदि कोई ज्योतिषी पूर्ण करे
तो उसकी भविष्यवाणियाँ
अकाट्य होती हैं ।
उसका किया कुंडली विश्लेषण बिलकुल सत्य
निकलता है । मेरी तरफ से मेरे
ज्योतिषी मित्रों को ये साधना उपहार
स्वरुप ।
साधना सामग्री :- एक
नीला हकीक पत्थर,
सरस्वती यन्त्र, स्फटिक
माला, शुद्ध घी का एक बड़ा दीपक । ये
21 दिवसीय प्रयोग है और हर
दिन 1 माला गुरु मंत्र की और 1
माला नील सरस्वती मंत्र
की करने
का विधान है और हाँ इस साधना में आलौकिक
अनुभूतियाँ भी होती
हैं, अतः देह रक्षा मंत्र का 11 बार जप करके
ही साधना में बैठें ।
देह रक्षा मंत्र :-
॥ हूं हूं ह्रीं ह्रीं कालिके घोर दंष्ट्रे
प्रचंड
चंड नायिके दानवान दारय हन हन शरीरे
महाविघ्न छेदय छेदय स्वाहा हूँ फट ।
साधक अगर गुरु मंत्र से दीक्षित हे तो वो अपना गुरु
मंत्र करे या फिर निम्न लिखित गुरु मंत्र जाप करे ।
गुरु मंत्र :-
॥ ॐ द्रां दत्तात्रेयाय नमः ॥
समय:- रात्रि 12.00 से 3.00 बजे के मध्य ।
विधि:- देह रक्षा मंत्र का जप करें और उत्तर
की और मुख करके
सरस्वती यन्त्र के मध्य में नीले
हकीक पत्थर को स्थापित करें
और लघु पूजन करें । फिर संकल्प लेकर गुरु मंत्र
की एक माला
करें और तत्पश्चात नील सरस्वती मंत्र
की सिर्फ एक माला करनी है ।
ये विधान 21 दिनों तक चलेगा | 22 वे दिन हकीक
पत्थर को चांदी
में मढवा लें और दाहिने हाथ
की अनामिका ऊँगली में धारण कर लें ।
ये साधना बंद कमरे में नितांत अकेले होकर
की जाती है ।और सिर्फ
और सिर्फ दीपक के प्रकाश में ही ये
साधना करनी चाहिए और किसी
प्रकार के प्रकाश में नहीं ।
विनियोग :-
॥ ॐ अस्य नील
सरस्वती मंत्रस्य ब्रह्म ऋषिः,
गायत्री छन्दः, नील
सरस्वती देवता,
ममाभीष्ट सिद्धयर्थे जपे विनियोगः ॥
नील सरस्वती मंत्र :-
॥ ॐ श्रीं ह्रीं हसौ: हूँ
फट नीलसरस्वत्ये स्वाहा ॥
सरस्वती साधना:-
इस साधना को यदि कोई ज्योतिषी पूर्ण करे
तो उसकी भविष्यवाणियाँ
अकाट्य होती हैं ।
उसका किया कुंडली विश्लेषण बिलकुल सत्य
निकलता है । मेरी तरफ से मेरे
ज्योतिषी मित्रों को ये साधना उपहार
स्वरुप ।
साधना सामग्री :- एक
नीला हकीक पत्थर,
सरस्वती यन्त्र, स्फटिक
माला, शुद्ध घी का एक बड़ा दीपक । ये
21 दिवसीय प्रयोग है और हर
दिन 1 माला गुरु मंत्र की और 1
माला नील सरस्वती मंत्र
की करने
का विधान है और हाँ इस साधना में आलौकिक
अनुभूतियाँ भी होती
हैं, अतः देह रक्षा मंत्र का 11 बार जप करके
ही साधना में बैठें ।
देह रक्षा मंत्र :-
॥ हूं हूं ह्रीं ह्रीं कालिके घोर दंष्ट्रे
प्रचंड
चंड नायिके दानवान दारय हन हन शरीरे
महाविघ्न छेदय छेदय स्वाहा हूँ फट ।
साधक अगर गुरु मंत्र से दीक्षित हे तो वो अपना गुरु
मंत्र करे या फिर निम्न लिखित गुरु मंत्र जाप करे ।
गुरु मंत्र :-
॥ ॐ द्रां दत्तात्रेयाय नमः ॥
समय:- रात्रि 12.00 से 3.00 बजे के मध्य ।
विधि:- देह रक्षा मंत्र का जप करें और उत्तर
की और मुख करके
सरस्वती यन्त्र के मध्य में नीले
हकीक पत्थर को स्थापित करें
और लघु पूजन करें । फिर संकल्प लेकर गुरु मंत्र
की एक माला
करें और तत्पश्चात नील सरस्वती मंत्र
की सिर्फ एक माला करनी है ।
ये विधान 21 दिनों तक चलेगा | 22 वे दिन हकीक
पत्थर को चांदी
में मढवा लें और दाहिने हाथ
की अनामिका ऊँगली में धारण कर लें ।
ये साधना बंद कमरे में नितांत अकेले होकर
की जाती है ।और सिर्फ
और सिर्फ दीपक के प्रकाश में ही ये
साधना करनी चाहिए और किसी
प्रकार के प्रकाश में नहीं ।
विनियोग :-
॥ ॐ अस्य नील
सरस्वती मंत्रस्य ब्रह्म ऋषिः,
गायत्री छन्दः, नील
सरस्वती देवता,
ममाभीष्ट सिद्धयर्थे जपे विनियोगः ॥
नील सरस्वती मंत्र :-
॥ ॐ श्रीं ह्रीं हसौ: हूँ
फट नीलसरस्वत्ये स्वाहा ॥
No comments:
Post a Comment