रामायण को घर में स्थान दिया जाता है लेकिन महाभारत
को नहीं.......
अधिकांश हिंदू परिवारों में धर्म ग्रंथ के नाम पर रामचरितमानस
या फिर श्रीमद् भागवत पुराण
ही मिलता है। महाभारत जिसे पांचवां वेद
माना जाता है, इसे घरों में नहीं रखा जाता। बड़े-
बुजुर्गों से पूछे तो जवाब मिलता है कि महाभारत घर में रखने से
घर का माहौल अशांत होता है, भाइयों में झगड़े होते हैं।
क्या ऐसा है......
वास्तव में महाभारत रिश्तों का ग्रंथ है। परिवारिक, सामाजिक और
व्यक्तिगत रिश्तों का ग्रंथ। इस ग्रंथ में कई ऐसी बातें
हैं जो सामान्य बुद्धि वाला इंसान नहीं समझ सकता।
पांच भाइयों के पांच अलग-अलग पिता से लेकर एक
ही महिला के पांच पति तक। सारे रिश्ते इतने बारिक
बुने गए हैं कि आम
आदमी जो इसकी गंभीरता और
पवित्रता को नहीं समझ सकता। वह इसे व्याभिचार
मान लेता है और इसी से समाज में रिश्तों का पतन
हो सकता है। इसलिए भारतीय
मनीषियों ने महाभारत को घर में रखने से
मनाही की है क्योंकि हर व्यक्ति इस
ग्रंथ में बताए गए रिश्तों की पवित्रता को समझ
नहीं सकता।
को नहीं.......
अधिकांश हिंदू परिवारों में धर्म ग्रंथ के नाम पर रामचरितमानस
या फिर श्रीमद् भागवत पुराण
ही मिलता है। महाभारत जिसे पांचवां वेद
माना जाता है, इसे घरों में नहीं रखा जाता। बड़े-
बुजुर्गों से पूछे तो जवाब मिलता है कि महाभारत घर में रखने से
घर का माहौल अशांत होता है, भाइयों में झगड़े होते हैं।
क्या ऐसा है......
वास्तव में महाभारत रिश्तों का ग्रंथ है। परिवारिक, सामाजिक और
व्यक्तिगत रिश्तों का ग्रंथ। इस ग्रंथ में कई ऐसी बातें
हैं जो सामान्य बुद्धि वाला इंसान नहीं समझ सकता।
पांच भाइयों के पांच अलग-अलग पिता से लेकर एक
ही महिला के पांच पति तक। सारे रिश्ते इतने बारिक
बुने गए हैं कि आम
आदमी जो इसकी गंभीरता और
पवित्रता को नहीं समझ सकता। वह इसे व्याभिचार
मान लेता है और इसी से समाज में रिश्तों का पतन
हो सकता है। इसलिए भारतीय
मनीषियों ने महाभारत को घर में रखने से
मनाही की है क्योंकि हर व्यक्ति इस
ग्रंथ में बताए गए रिश्तों की पवित्रता को समझ
नहीं सकता।
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