दीपक
अगर हमें आर्थिक लाभ प्राप्त करना हो, तो नियम पूर्वक
अपने घर के मंदिर में शुद्ध घी का दीपक
जलाना चाहिए।
अगर हमे शत्रुओं से पीड़ा हो, तो सरसों के तेल
का दीपक भैरवजी के सामने
जलाना चाहिए।
भगवान सूर्य की प्रसन्नता के लिए सरसों के तेल
का दीपक जलाना चाहिए।
शनि ग्रह की प्रसन्नता के लिए तिल के तेल
का दीपक जलाना चाहिए।
पति की आयु के लिए महुए के तेल का और
राहू-केतू ग्रह के लिए अलसी के तेल
का दीपक जलाना चाहिए।
किसी भी देवी या देवता की पूजा में
शुद्ध गाय का घी या एक फूल
बत्ती या तिल के तेल का दीपक
आवश्यक रूप से जलाना चाहिए।
भगवान गणेश की कृपा प्राप्ति के लिए
तीन
बत्तियों वाला घी का दीपक जलाना चाहिए।
भैरव साधना के लिए चौमुखा सरसों के तेल का दीपक
जलाना चाहिए।
मुकदमा जीतने के लिए पांच
मुखी दीपक जलाना चाहिए।
भगवान कार्तिक की प्रसन्नता के लिए
भी पांच मुखी दीपक
जलाना चाहिए।लक्ष्मी के लिए
सातमुखी दीपक
आठ और बारह मुखी दीपक भगवान
शिव की प्रसन्नता के लिए और साथ में
पीली सरसों के तेल
का दीपक जलाना चाहिए।
भगवान विष्णु की प्रसन्नता के लिए सोलह
बत्तियों का दीपक जलाना चाहिए।
लक्ष्मीजी की प्रसन्नता के
लिए सात मुखी घी का दीपक
जलाना चाहिए।
भगवान विष्णु की दशावतार आराधना के समय दस
मुखी दीपक जलाना चाहिए।
इष्ट सिद्धी, ज्ञान प्राप्ति के लिए गहरा और गोल
दीपक प्रयोग में लेना चाहिए।
शत्रुनाश, आप्ती निवारण के लिए मध्य में से ऊपर
उठा हुआ दीपक प्रयोग में लेना चाहिए।
लक्ष्मी प्राप्ति के लिए दीपक सामान्य
गहरा होना चाहिए।
हनुमान भगवान की प्रसन्नता के लिए तिकोने
दीपक का प्रयोग करना चाहिए और उसमें
चमेली के तेल का प्रयोग कर दीपक
जलाना चाहिए।
दीपक कई प्रकार के हो सकते हैं।
जैसे मिट्टी, आटा, तांबा, चांदी, लोहा,
पीतल तथा स्वर्ण धातु का।
सर्व प्रकार की साधनाओं में मूंग, चावल, गेहूं, उड़द
और ज्वार को सामान्य भाग में लेकर इसके आटे
का दीपक श्रेष्ठ होता है
। किसी-किसी साधना में अखंड जोत
जलाने का भी विशेष्ा विधान है जिसे शुद्ध गाय के
घी और तिल के तेल के साथ
भी जलाया जा सकता है। विशेष्ात: यह प्रयोग
आश्रमों और
देव स्थानों के लिए प्रयोग करना चाहिए।
अगर हमें आर्थिक लाभ प्राप्त करना हो, तो नियम पूर्वक
अपने घर के मंदिर में शुद्ध घी का दीपक
जलाना चाहिए।
अगर हमे शत्रुओं से पीड़ा हो, तो सरसों के तेल
का दीपक भैरवजी के सामने
जलाना चाहिए।
भगवान सूर्य की प्रसन्नता के लिए सरसों के तेल
का दीपक जलाना चाहिए।
शनि ग्रह की प्रसन्नता के लिए तिल के तेल
का दीपक जलाना चाहिए।
पति की आयु के लिए महुए के तेल का और
राहू-केतू ग्रह के लिए अलसी के तेल
का दीपक जलाना चाहिए।
किसी भी देवी या देवता की पूजा में
शुद्ध गाय का घी या एक फूल
बत्ती या तिल के तेल का दीपक
आवश्यक रूप से जलाना चाहिए।
भगवान गणेश की कृपा प्राप्ति के लिए
तीन
बत्तियों वाला घी का दीपक जलाना चाहिए।
भैरव साधना के लिए चौमुखा सरसों के तेल का दीपक
जलाना चाहिए।
मुकदमा जीतने के लिए पांच
मुखी दीपक जलाना चाहिए।
भगवान कार्तिक की प्रसन्नता के लिए
भी पांच मुखी दीपक
जलाना चाहिए।लक्ष्मी के लिए
सातमुखी दीपक
आठ और बारह मुखी दीपक भगवान
शिव की प्रसन्नता के लिए और साथ में
पीली सरसों के तेल
का दीपक जलाना चाहिए।
भगवान विष्णु की प्रसन्नता के लिए सोलह
बत्तियों का दीपक जलाना चाहिए।
लक्ष्मीजी की प्रसन्नता के
लिए सात मुखी घी का दीपक
जलाना चाहिए।
भगवान विष्णु की दशावतार आराधना के समय दस
मुखी दीपक जलाना चाहिए।
इष्ट सिद्धी, ज्ञान प्राप्ति के लिए गहरा और गोल
दीपक प्रयोग में लेना चाहिए।
शत्रुनाश, आप्ती निवारण के लिए मध्य में से ऊपर
उठा हुआ दीपक प्रयोग में लेना चाहिए।
लक्ष्मी प्राप्ति के लिए दीपक सामान्य
गहरा होना चाहिए।
हनुमान भगवान की प्रसन्नता के लिए तिकोने
दीपक का प्रयोग करना चाहिए और उसमें
चमेली के तेल का प्रयोग कर दीपक
जलाना चाहिए।
दीपक कई प्रकार के हो सकते हैं।
जैसे मिट्टी, आटा, तांबा, चांदी, लोहा,
पीतल तथा स्वर्ण धातु का।
सर्व प्रकार की साधनाओं में मूंग, चावल, गेहूं, उड़द
और ज्वार को सामान्य भाग में लेकर इसके आटे
का दीपक श्रेष्ठ होता है
। किसी-किसी साधना में अखंड जोत
जलाने का भी विशेष्ा विधान है जिसे शुद्ध गाय के
घी और तिल के तेल के साथ
भी जलाया जा सकता है। विशेष्ात: यह प्रयोग
आश्रमों और
देव स्थानों के लिए प्रयोग करना चाहिए।
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