Saturday, April 26, 2014

मनो-वाञ्छित पति पा सकती है।

॰ पति-स्तवनम्
नमः कान्ताय सद्-भर्त्रे, शिरश्छत्र-स्वरुपिणे।
नमो यावत् सौख्यदाय, सर्व-सेव-मयाय च।।
नमो ब्रह्म-स्वरुपाय, सती-सत्योद्-भवाय च।
नमस्याय प्रपूज्याय, हृदाधाराय ते नमः।।
सती-प्राण-स्वरुपाय, सौभाग्य-श्री-प्
रदाय च।
पत्नीनां परनानन्द-स्वरुपिणे च ते नमः।।
पतिर्ब्रह्मा पतिर्विष्णुः, पतिरेव महेश्वरः।
पतिर्वंश-धरो देवो, ब्रह्मात्मने च ते नमः।।
क्षमस्व भगवन् दोषान्, ज्ञानाज्ञान-विधापितान्।
पत्नी-बन्धो, दया-सिन्धो दासी-दोषान्
क्षमस्व वै।।
।।फल-श्रुति।।
स्तोत्रमिदं महालक्ष्मि, सर्वेप्सित-फल-प्रदम्।
पतिव्रतानां सर्वासाण, स्तोत्रमेतच्छुभावहम्।।
नरो नारी श्रृणुयाच्चेल्लभते सर्व-वाञ्छितम्।
अपुत्रा लभते पुत्रं, निर्धना लभते ध्रुवम्।।
रोगिणी रोग-मुक्ता स्यात्, पति-
हीना पतिं लभेत्।
पतिव्रता पतिं स्तुत्वा, तीर्थ-स्नान-फलं लभेत्।।
विधिः-
१॰ पतिव्रता नारी प्रातः-काल उठकर, रात्रि के
वस्त्रों को त्याग कर,
प्रसन्नता-पूर्वक उक्त स्तोत्र का पाठ करे। फिर घर के
सभी कामों से निबट
कर, स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण कर, भक्ति-पूर्वक
पति को सुगन्धित जल से
स्नान करा कर शुक्ल वस्त्र पहनावे। फिर आसन पर उन्हें
बिठाकर मस्तक पर
चन्दन का तिलक लगाए, सर्वांग में गन्ध का लेप कर, कण्ठ में
पुष्पों की
माला
पहनाए। तब धूप-दीप अर्पित कर, भोजन कराकर,
ताम्बूल अर्पित कर, पति को
श्रीकृष्ण या श्रीशिव-स्वरुप मानकर
स्तोत्र का पाठ करे।
२॰ कुमारियाँ श्रीकृष्ण, श्रीविष्णु,
श्रीशिव या अन्य किन्हीं
इष्टदेवता
का पूजन कर उक्त स्तोत्र के नियमित पाठ द्वारा मनो-वाञ्छित
पति पा सकती है।
३॰ प्रणय सम्बन्धों में माता-पिता या अन्य लोगों द्वारा बाधा डालने
की
स्थिति में उक्त स्तोत्र पाठ कर कोई
भी दुखी स्त्री अपनी कामना पूर्ण
कर
सकती है।
४॰ उक्त स्तोत्र का पाठ केवल स्त्रियों को करना चाहिए। पुरुषों को
‘विरह-ज्वर-विनाशक, ब्रह्म-शक्ति-स्तोत्र’ का पाठ
करना चाहिए, जिससे
पत्नी
का सुख प्राप्त हो सकेगा।.................

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