Sunday, April 20, 2014

जाने अपनी कुंडली के बारे में

जाने अपनी कुंडली के बारे में ------------
प्रस्तुत लेख उन जिज्ञासु लोगों को समर्पित है जो ज्योतिष शब्द देखते ही बिना किसी औपचारिकता के प्रश्न करना अपना जन्म सिद्ध अधिकार मानते है।
कुंडली में पाये जाने वाले कुछ प्रमुख योग ----
आज विशेष रूप से धन योग के बारे में ही जानेंगे। इन योगों को देखने के साथ - साथ कुंडली के अन्य ग्रहो -भावों के बारे में भी जानना आवश्यक है ------निम्न योग कुंडली में पाये जाने पर जातक के धन योग बनता है ------------------
१---- पांचवे भाव में शुक्र की राशि वृष या तुला हो और उसे शुक्र देखता हो तथा एकादश भाव में शनि हो।
२--- पांचवे भाव में बुध की राशि मिथुन या कन्या हो और उसमे बुध स्तिथ हो तथा एकादश भाव में चन्द्र व् मंगल हो।
३--- पांचवे भाव में शनि की राशि मकर या कुम्भ हो और उसमे शनि बैठा हो तथा एकादश भाव में बुध हो।
४---- पांचवे भाव में सूर्य की राशि सिंह हो और सूर्य उसमे बैठा हो ,तथा लाभ भाव में चन्द्र हो।
५---- पांचवे भाव में शनि अपनी राशि मकर ,कुम्भ में बैठा हो और एकादश भाव में मंगल हो।
६---- पांचवे भाव में गुरु अपनी राशि धनु या मीनमे बैठा हो और लाभ भाव में चन्द्र ,मंगल हो।
७---- सिंह लग्न हो और लग्नेश लग्न में हो और मंगल गुरु से युत या दृष्ट हो तो धन योग बनता है।
८--- कर्क लग्न में चन्द्र बैठा हो और गुरु मंगल से युक्त या दृष्ट हो।
९--- मंगल की राशि लग्न में हो और मंगल उसमे बैठा हो और बुध,शुक्र या शनि से दृष्ट हो।
१०---- गुरु की राशि लग्न में हो उसमे गुरु युत हो और बुध मंगल से दृष्ट हो तो धन योग बनता है।
११--- यदि बुध की राशि लग्न में हो और बुध उसमे स्तिथ हो तथा शनि ,शुक्र से दृष्ट हो।
१२---- शुक्र की राशि लग्न में हो और शुक्र उसमे बैठा हो तथा शनि ,बुध से दृष्ट हो तो कुंडली में धन योग बनता है।
१३--- जो भी ग्रह भाग्येश पंचमेश से युत या दृष्ट होते है वे अपने दशा ,अंतर्दशा काल में शुभ फल देते है।
१४---- जो ग्रह षष्टेश , अष्टमेश, द्वादशेश से युत होते है वे अपने दशा काल में बुरा फल देते है।
१५--- मारकेश अपने दशा काल में शुभ फल नही देता। 

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