जन्म के समय चंद्रमा जिस नक्षत्र व राशि में भ्रमण कर
रहा है उस बच्चे का जन्म का वही नक्षत्र व
राशि निर्धारित होती है. आजीवन इस
नक्षत्र का प्रभाव उस बच्चे पर पड़ता है.ऐसा उसके पूर्व
जन्मों के संस्कारों पर निर्भर होता है.किस नक्षत्र में जन्म लेने
वाले बच्चे का कैसा भविष्य रहेगा,ऐसा हमारे ऋषियों ने (जो महान
वैज्ञानिक भी थे) अपने अनुभव के आधार पर
निर्धारित किया है जो इस प्रकार है-
अश्वनी नक्षत्र -में उत्त्पन्न मनुष्य सुन्दर रूप
वाला ,सुभग(भाग्यवान),हर एक कामों में
चतुर,मोटी देह वाला,बड़ा धनवान और लोगों का प्रिय
होता है.
भरणी नक्षत्र-में उत्त्पन्न मनुष्य निरोग,सत्य-
वक्ता,सुन्दर जीवन,दृढ नियम वाला,खूब
सुखी और धनवान होता है.
कृतिका नक्षत्र -में जन्म लेने वाला मनुष्य कंजूस,पाप-कर्म
करने वाला,हर समय भूखा,नित्य पीड़ित रहने
वाला और सदा नीच कर्म करने वाला होता है.
रोहिणी नक्षत्र-में जन्म लेने वाला बुद्धिमान,राजा से
मान्य,प्रिय बोलने वाला,सत्य -वक्ता,और सुन्दर रूप
वाला होता है.
मृगशिरा नक्षत्र-में उत्त्पन्न मनुष्य देह आकृति से
ठीक ,मानसिक रूप से असंतुष्ट,समाज प्रिय ,अपने
कार्य में दक्ष,चपल-चंचल,संगीत-
प्रेमी,सफल व्यवसायी,अन्वेषक,अल्प-
व्यवहारी,परोपकारी,नेत्रित्व
क्षमताशील होता है.
आर्द्रा नक्षत्र-में उत्त्पन्न मनुष्य कृतघ्न -किये हुए उपकार
को न मानने वाला -क्रोधी,पाप में रत रहने वाला ,शठ
और धन-धान्य से रहित होता है.
पुनर्वसु नक्षत्र -में जन्म लेने वाला मनुष्य शान्त स्वभाव
वाला,सुखी,अत्यंत
भोगी,सुभग,सभी जनों का प्रेमी
और पुत्र,मित्र आदि से युक्त होता है.
पुष्य नक्षत्र -में उत्त्पन्न मनुष्य देव,धर्म,धन आदि सबों से
युक्त,पुत्र से युत,पंडित(ज्ञानी),शान्त
स्वभाव ,सुभग और सुखी होता है.
आश्लेषा नक्षत्र -में उत्त्पन्न मनुष्य सब पदार्थों को खाने
वाला अर्थात मांसाहारी ,दुष्ट आचरण वाला,कृतघ्न,ठग
और दुर्जन तथा स्वार्थपरक कामों को करने वाला होता है.
मघा नक्षत्र -में उत्त्पन्न मनुष्य
धनी,भोगी,नौकरी से
संपन्न,पितृ-भक्त,बड़ा उद्योगी,सेनापति
या राजसेवा करने वाला होता है.
पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र-में जन्म लेने वाला मनुष्य
विद्या ,गौ,धन आदि से युक्त,गम्भीर,स्
त्री-प्रिय,सुखी और विद्वान से आदर
पाने वाला होता है.
उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र -में उत्त्पन्न मनुष्य
सहनशील,वीर,कोमल वचन बोलने
वाला,शस्त्र विद्या में प्रवीण ,महान योद्धा और
लोकप्रिय होता है.
हस्त नक्षत्र -में उत्त्पन्न मनुष्य मिथ्या बोलने
वाला,ढीठ ,शराबी,चोर,बंधु
हीन और पर
स्त्रीगामी होता है.
चित्रा नक्षत्र-में जन्म लेने वाला मनुष्य पुत्र और
स्त्री से युक्त,सदा संतुष्ट,धन-धान्य से युक्त
देवता और ब्राह्मणों का भक्त होता है.
स्वाती नक्षत्र -में उत्त्पन्न मनुष्य
चतुर ,धर्मात्मा,कंजू
स,स्त्रियों का प्रेमी,सुशील और देश
भक्त होता है.
विशाखा नक्षत्र -में उत्त्पन्न मनुष्य अधिक
लोभी ,अधिक घमंडी,कठोर,कलहप्रिय
और वेश्यागामी होता है.
अनुराधा नक्षत्र -में उत्त्पन्न मनुष्य अपने पुरुषार्थ से विदेश
में रहने वाला ,अपने भाई -बंधुओं की सेवा करने
वाला परन्तु ढीठ होता है.
ज्येष्ठा नक्षत्र -में उत्त्पन्न मनुष्य मित्रों से संपन्न,श्रेष्ठ,
कवि,सहशील,विद्वान,धर्म में तत्पर और
शूद्रों द्वारा पूजा जाता है.
मूल नक्षत्र -में जन्म लेने वाला मनुष्य सुख-संपन्न,धन,वाहन
से युक्त,हिंसक,बलवान,विचारवान,शत् रुहंता,विद्वान और पवित्र
होता है.
पूर्वाषाढ़ नक्षत्र -में उत्त्पन्न मनुष्य देखने मात्र से
ही परोपकारी ,भाग्यवान,लोकप्रिय और
सम्पूर्ण विद्वान होता है.
उत्तराषाढ़ नक्षत्र-में उत्त्पन्न मनुष्य बहू-मित्र
संपन्न,हृष्ट-पुष्ट,वीर,विजयी,स
ुखी और विनीत स्वभाव का होता है.
श्रवण नक्षत्र -में उत्त्पन्न मनुष्य किये हुए उपकार
को मानने वाला,सुन्दर,दानी,सर्वगुण-संपन् न,धनवान
और अधिक संतान्युक्त होता है.
धनिष्ठा नक्षत्र -में उत्त्पन्न मनुष्य गाने
का शौक़ीन ,भाइयों से आदर प्राप्त करने वाला,स्वर्ण-
रत्न आदि से भूषित तथा सैंकड़ों मनुष्यों का मालिक बन कर
रहता है.
शतभिषा नक्षत्र-में उत्त्पन्न मनुष्य कंजूस,धनवान,पर-
स्त्री का सेवक तथा विदेशी महिला से
काम करने वाला होता है.
पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र-में उत्त्पन्न मनुष्य सभा-
वक्ता,सुखी,संतान-युक्त,अधिक सोने वाला और
अकर्मण्य होता है.
उत्तराभाद्रपद नक्षत्र -में उत्त्पन्न मनुष्य गौर-वर्ण,सत्व-ग
ुण युक्त ,धर्मग्य,साहसी,शत्रु हन्ता और देव-
तुली होता है.
रेवती नक्षत्र-में उत्त्पन्न मनुष्य के सर्वांग
पूर्ण-पुष्ट,पवित्र,चतुर,सज्जन, वीर,विद्वान और
भौतिक सुखों से संपन्न होता है.
इन सत्ताईस नक्षत्रों के एक २८ वां नक्षत्र
भी होता है जो उत्तराषाढ़ नक्षत्र
की अंतिम १५ घटी तथा श्रवण नक्षत्र
की प्रारम्भिक ०४ घटी अर्थात कुल १९
घटी का बनता है .इसे ‘अभिजित नक्षत्र ‘कहते
हैं.
अभिजित नक्षत्र-में जन्मा मनुष्य उत्तम भाग्य
शाली होता है.वह अत्यंत सुन्दर,कान्तियु
क्त,स्वजनों का प्रिय,कुलीन,यश्
भागी,ब्राह्मण एवं देवता का भक्त,स्पष्ट-वक्
ता और अपने खानदान में नृप तुल्य होता है.
अपने-अपने पूर्वजन्मों के संचित संस्कारों के आधार पर मनुष्य
विभिन्न नक्षत्रों में जन्म लेकर तदनुरूप चरित्र तथा आचरण
वाला बन जाता है.यदि आप अपने कर्म को परिष्कृत करके
आचरण करें तो आगामी जन्म अपने अनुकूल
नक्षत्र में भी प्राप्त कर सकते हैं.तो चुनिए अपने
आगामी जन्म का नक्षत्र और अभी से
सदाचरण में लग जाइए और अपने भाग्य के विधाता स्वंय बन
जाइए.
जो यह कहना चाहें कि,पूर्व जन्म और पुनर्जन्म
होता ही नहीं है ,वे इस आलेख
को सहजता से नजर-अंदाज कर सकते हैं.
रहा है उस बच्चे का जन्म का वही नक्षत्र व
राशि निर्धारित होती है. आजीवन इस
नक्षत्र का प्रभाव उस बच्चे पर पड़ता है.ऐसा उसके पूर्व
जन्मों के संस्कारों पर निर्भर होता है.किस नक्षत्र में जन्म लेने
वाले बच्चे का कैसा भविष्य रहेगा,ऐसा हमारे ऋषियों ने (जो महान
वैज्ञानिक भी थे) अपने अनुभव के आधार पर
निर्धारित किया है जो इस प्रकार है-
अश्वनी नक्षत्र -में उत्त्पन्न मनुष्य सुन्दर रूप
वाला ,सुभग(भाग्यवान),हर एक कामों में
चतुर,मोटी देह वाला,बड़ा धनवान और लोगों का प्रिय
होता है.
भरणी नक्षत्र-में उत्त्पन्न मनुष्य निरोग,सत्य-
वक्ता,सुन्दर जीवन,दृढ नियम वाला,खूब
सुखी और धनवान होता है.
कृतिका नक्षत्र -में जन्म लेने वाला मनुष्य कंजूस,पाप-कर्म
करने वाला,हर समय भूखा,नित्य पीड़ित रहने
वाला और सदा नीच कर्म करने वाला होता है.
रोहिणी नक्षत्र-में जन्म लेने वाला बुद्धिमान,राजा से
मान्य,प्रिय बोलने वाला,सत्य -वक्ता,और सुन्दर रूप
वाला होता है.
मृगशिरा नक्षत्र-में उत्त्पन्न मनुष्य देह आकृति से
ठीक ,मानसिक रूप से असंतुष्ट,समाज प्रिय ,अपने
कार्य में दक्ष,चपल-चंचल,संगीत-
प्रेमी,सफल व्यवसायी,अन्वेषक,अल्प-
व्यवहारी,परोपकारी,नेत्रित्व
क्षमताशील होता है.
आर्द्रा नक्षत्र-में उत्त्पन्न मनुष्य कृतघ्न -किये हुए उपकार
को न मानने वाला -क्रोधी,पाप में रत रहने वाला ,शठ
और धन-धान्य से रहित होता है.
पुनर्वसु नक्षत्र -में जन्म लेने वाला मनुष्य शान्त स्वभाव
वाला,सुखी,अत्यंत
भोगी,सुभग,सभी जनों का प्रेमी
और पुत्र,मित्र आदि से युक्त होता है.
पुष्य नक्षत्र -में उत्त्पन्न मनुष्य देव,धर्म,धन आदि सबों से
युक्त,पुत्र से युत,पंडित(ज्ञानी),शान्त
स्वभाव ,सुभग और सुखी होता है.
आश्लेषा नक्षत्र -में उत्त्पन्न मनुष्य सब पदार्थों को खाने
वाला अर्थात मांसाहारी ,दुष्ट आचरण वाला,कृतघ्न,ठग
और दुर्जन तथा स्वार्थपरक कामों को करने वाला होता है.
मघा नक्षत्र -में उत्त्पन्न मनुष्य
धनी,भोगी,नौकरी से
संपन्न,पितृ-भक्त,बड़ा उद्योगी,सेनापति
या राजसेवा करने वाला होता है.
पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र-में जन्म लेने वाला मनुष्य
विद्या ,गौ,धन आदि से युक्त,गम्भीर,स्
त्री-प्रिय,सुखी और विद्वान से आदर
पाने वाला होता है.
उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र -में उत्त्पन्न मनुष्य
सहनशील,वीर,कोमल वचन बोलने
वाला,शस्त्र विद्या में प्रवीण ,महान योद्धा और
लोकप्रिय होता है.
हस्त नक्षत्र -में उत्त्पन्न मनुष्य मिथ्या बोलने
वाला,ढीठ ,शराबी,चोर,बंधु
हीन और पर
स्त्रीगामी होता है.
चित्रा नक्षत्र-में जन्म लेने वाला मनुष्य पुत्र और
स्त्री से युक्त,सदा संतुष्ट,धन-धान्य से युक्त
देवता और ब्राह्मणों का भक्त होता है.
स्वाती नक्षत्र -में उत्त्पन्न मनुष्य
चतुर ,धर्मात्मा,कंजू
स,स्त्रियों का प्रेमी,सुशील और देश
भक्त होता है.
विशाखा नक्षत्र -में उत्त्पन्न मनुष्य अधिक
लोभी ,अधिक घमंडी,कठोर,कलहप्रिय
और वेश्यागामी होता है.
अनुराधा नक्षत्र -में उत्त्पन्न मनुष्य अपने पुरुषार्थ से विदेश
में रहने वाला ,अपने भाई -बंधुओं की सेवा करने
वाला परन्तु ढीठ होता है.
ज्येष्ठा नक्षत्र -में उत्त्पन्न मनुष्य मित्रों से संपन्न,श्रेष्ठ,
कवि,सहशील,विद्वान,धर्म में तत्पर और
शूद्रों द्वारा पूजा जाता है.
मूल नक्षत्र -में जन्म लेने वाला मनुष्य सुख-संपन्न,धन,वाहन
से युक्त,हिंसक,बलवान,विचारवान,शत्
होता है.
पूर्वाषाढ़ नक्षत्र -में उत्त्पन्न मनुष्य देखने मात्र से
ही परोपकारी ,भाग्यवान,लोकप्रिय और
सम्पूर्ण विद्वान होता है.
उत्तराषाढ़ नक्षत्र-में उत्त्पन्न मनुष्य बहू-मित्र
संपन्न,हृष्ट-पुष्ट,वीर,विजयी,स
ुखी और विनीत स्वभाव का होता है.
श्रवण नक्षत्र -में उत्त्पन्न मनुष्य किये हुए उपकार
को मानने वाला,सुन्दर,दानी,सर्वगुण-संपन्
और अधिक संतान्युक्त होता है.
धनिष्ठा नक्षत्र -में उत्त्पन्न मनुष्य गाने
का शौक़ीन ,भाइयों से आदर प्राप्त करने वाला,स्वर्ण-
रत्न आदि से भूषित तथा सैंकड़ों मनुष्यों का मालिक बन कर
रहता है.
शतभिषा नक्षत्र-में उत्त्पन्न मनुष्य कंजूस,धनवान,पर-
स्त्री का सेवक तथा विदेशी महिला से
काम करने वाला होता है.
पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र-में उत्त्पन्न मनुष्य सभा-
वक्ता,सुखी,संतान-युक्त,अधिक सोने वाला और
अकर्मण्य होता है.
उत्तराभाद्रपद नक्षत्र -में उत्त्पन्न मनुष्य गौर-वर्ण,सत्व-ग
ुण युक्त ,धर्मग्य,साहसी,शत्रु हन्ता और देव-
तुली होता है.
रेवती नक्षत्र-में उत्त्पन्न मनुष्य के सर्वांग
पूर्ण-पुष्ट,पवित्र,चतुर,सज्जन,
भौतिक सुखों से संपन्न होता है.
इन सत्ताईस नक्षत्रों के एक २८ वां नक्षत्र
भी होता है जो उत्तराषाढ़ नक्षत्र
की अंतिम १५ घटी तथा श्रवण नक्षत्र
की प्रारम्भिक ०४ घटी अर्थात कुल १९
घटी का बनता है .इसे ‘अभिजित नक्षत्र ‘कहते
हैं.
अभिजित नक्षत्र-में जन्मा मनुष्य उत्तम भाग्य
शाली होता है.वह अत्यंत सुन्दर,कान्तियु
क्त,स्वजनों का प्रिय,कुलीन,यश्
भागी,ब्राह्मण एवं देवता का भक्त,स्पष्ट-वक्
ता और अपने खानदान में नृप तुल्य होता है.
अपने-अपने पूर्वजन्मों के संचित संस्कारों के आधार पर मनुष्य
विभिन्न नक्षत्रों में जन्म लेकर तदनुरूप चरित्र तथा आचरण
वाला बन जाता है.यदि आप अपने कर्म को परिष्कृत करके
आचरण करें तो आगामी जन्म अपने अनुकूल
नक्षत्र में भी प्राप्त कर सकते हैं.तो चुनिए अपने
आगामी जन्म का नक्षत्र और अभी से
सदाचरण में लग जाइए और अपने भाग्य के विधाता स्वंय बन
जाइए.
जो यह कहना चाहें कि,पूर्व जन्म और पुनर्जन्म
होता ही नहीं है ,वे इस आलेख
को सहजता से नजर-अंदाज कर सकते हैं.
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