शनि मंगल की युति
शनि को कार्य के लिये और मंगल को तकनीक के लिये
माना जाता है। शनि का रंग काला है तो मंगल का रंग लाल
है,दोनो को मिलाने पर कत्थई रंग का निर्माण होजाता है। कत्थई
रंग से सम्बन्ध रखने वाली वस्तुयें व्यक्ति स्थान
पदार्थ सभी शनि मंगल की युति में जोडे
जाते है। शनि जमा हुआ ठंडा पदार्थ है तो मंगल गर्म
तीखा पदार्थ है,दोनो को मिलाने पर शनि अपने रूप में
नही रह पाता है जितना तेज मंगल के अन्दर
होता है
उतना ही शनि ढीला हो जाता है।
इस बात को रोजाना की जिन्दगी में समझने
के लिये घर मे बनने वाली आलू
की सब्जी के लिये सोचिये,आलू
की सिफ़्त शनि में
जोडी जाती है कारण जमीन
के अन्दर से यह सब्जी उगती है
जड के रूप में इसका आस्तित्व है,जब निकाला जाता है
तो जमा हुआ पानी और अन्य पदार्थों का मिश्रण
होता है। यह सूर्य की गर्मी से सड
जाता है इसके लिये इसे कोड स्टोरेज में रखा जाता है और समय
पर निकाल कर इसे प्रयोग में
लाया जाता है,सब्जी बनाते वक्त इसे छिलके को निकाल
कर मिर्च मशाले आदि के साथ सब्जी के रूप में
पकाया जाता है जितनी गर्मी इसे
दी जायेगी उतना ही पतला यह
पक जायेगा,लेकिन अपने अन्दर के पानी के अनुसार
ही यह ढीला या कडक बनेगा,भोजन के
समय इसे प्रयोग करने पर अपने रूप परिवर्तन से आराम से
खाया जा सकता है। अगर इसे गर्म नही किया जाये
तो यह पकेगा नही और कसैला स्वाद देगा और
खाया भी नही जायेगा। सीधे
आग में डालने पर यह जल जायेगा,फ़्लेम वाली आग
में यह
पकेगा नही,जितनी मन्दी आग
से इसे पकाया जायेगा उतना ही स्वादिष्ट बनेगा।
दूसरा उदाहरण मंगल की भोजन में प्रयोग
की जाने वाली मिर्च से
भी लिया जाता है,जब मिर्च अधिक
हो जाती है तो शरीर के अन्दर
जमा हुआ कफ़ जो शनि के द्वारा पैदा किया जाता है पिघलना शुरु
हो जाता है,जितनी अधिक मिर्च
खायी जाती है उतना अधिक कफ़
शरीर से पिघलना शुरु हो जाता है,यहां तक कि अगर
अधिक मिर्ची खायी जाये
तो शरीर में जलन
पैदा हो जाती है,शरीर में वसा के रूप में
जमा शनि का पदार्थ पिघल कर आन्सू की रूप में कफ़
के रूप में नाक के रूप में पेशाब के समय चर्बी के रूप
में मल को पतला करने के बाद दस्त के रूप में निकल जायेगा,अधिक
मिर्च के प्रयोग करने पर यह शरीर
की रक्षा के रूप में उपस्थित और
सर्दी गर्मी से शरीर
को बचाने वाले पदार्थ को शरीर से निकाल कर बाहर
कर देगी। उसी प्रकार से
धीमी आंच पर रखा हुआ
पानी भी भाप की शक्ल में
बर्तन से विलीन हो जायेगा। यह मंगल
की सिफ़्त है।
शनि पत्थर है और उसे लाल रंग से रंग दिया जाये तो वह धर्म
के रूप में बन जायेगा,
शनि चोर है तो मंगल सिपाही है।
शनि पत्थर है तो मंगल लोहा है,इसलिये
ही शनि के लिये लोहे का छल्ला पहिना जाता है।
रिस्तो मे देखा जाये तो शनि कर्म है मंगल भाई है,
शनि दुख है तो मंगल भाई का दुख है,
शनि खेती का काम है तो मंगल
मशीनरी है,
शनि जेल है तो मंगल उसका प्रहरी है,
शनि विदेशी है तो मंगल उसे कन्ट्रोल करने वाला है,
शनि कोयला है तो मंगल तपती हुई आग है,
शनि कमजोर है तो मंगल उसके अन्दर शक्ति को देने वाला है,
शनि डाकू है तो मंगल
उसकी उसकी साहस
की सीमा है
,शनि बुजुर्ग दार्शनिक है तो मंगल उसके तामसिक विचार है,
शनि कब्रिस्तान है तो मंगल जलती हुई आग है,
शनि खंडहर है तो मंगल उसके अन्दर
तपती हुयी रेत है,
शनि बाल है तो मंगल उसे काटने वाला नाई है,
शनि लकवा है तो मंगल गर्म सेंक है,
शनि फ़ोडा है तो मंगल आपरेशन है,
शनि कर्म है तो मंगल रसोई है
,शनि मधुमक्खी है तो मंगल उसके अन्दर
का जहर है,
शनि आलू का पकौडा है तो मंगल उसके अन्दर
मीठी चटनी है।
शनि काम करने वाले कर्मचारी है तो मंगल कार्य
स्थल की रखवाली करने वाला गार्ड है।
शनि घर है तो मंगल उसका दरवाजा है।
मंगल खून चोट चेचक अपेन्डिक्स हार्निया देता है तो
शनि वात लकवा ह्रदय
की बीमारी ट्यूमर ब्रांकाइटिस
की बीमारी देता है।
शनि को कार्य के लिये और मंगल को तकनीक के लिये
माना जाता है। शनि का रंग काला है तो मंगल का रंग लाल
है,दोनो को मिलाने पर कत्थई रंग का निर्माण होजाता है। कत्थई
रंग से सम्बन्ध रखने वाली वस्तुयें व्यक्ति स्थान
पदार्थ सभी शनि मंगल की युति में जोडे
जाते है। शनि जमा हुआ ठंडा पदार्थ है तो मंगल गर्म
तीखा पदार्थ है,दोनो को मिलाने पर शनि अपने रूप में
नही रह पाता है जितना तेज मंगल के अन्दर
होता है
उतना ही शनि ढीला हो जाता है।
इस बात को रोजाना की जिन्दगी में समझने
के लिये घर मे बनने वाली आलू
की सब्जी के लिये सोचिये,आलू
की सिफ़्त शनि में
जोडी जाती है कारण जमीन
के अन्दर से यह सब्जी उगती है
जड के रूप में इसका आस्तित्व है,जब निकाला जाता है
तो जमा हुआ पानी और अन्य पदार्थों का मिश्रण
होता है। यह सूर्य की गर्मी से सड
जाता है इसके लिये इसे कोड स्टोरेज में रखा जाता है और समय
पर निकाल कर इसे प्रयोग में
लाया जाता है,सब्जी बनाते वक्त इसे छिलके को निकाल
कर मिर्च मशाले आदि के साथ सब्जी के रूप में
पकाया जाता है जितनी गर्मी इसे
दी जायेगी उतना ही पतला यह
पक जायेगा,लेकिन अपने अन्दर के पानी के अनुसार
ही यह ढीला या कडक बनेगा,भोजन के
समय इसे प्रयोग करने पर अपने रूप परिवर्तन से आराम से
खाया जा सकता है। अगर इसे गर्म नही किया जाये
तो यह पकेगा नही और कसैला स्वाद देगा और
खाया भी नही जायेगा। सीधे
आग में डालने पर यह जल जायेगा,फ़्लेम वाली आग
में यह
पकेगा नही,जितनी मन्दी आग
से इसे पकाया जायेगा उतना ही स्वादिष्ट बनेगा।
दूसरा उदाहरण मंगल की भोजन में प्रयोग
की जाने वाली मिर्च से
भी लिया जाता है,जब मिर्च अधिक
हो जाती है तो शरीर के अन्दर
जमा हुआ कफ़ जो शनि के द्वारा पैदा किया जाता है पिघलना शुरु
हो जाता है,जितनी अधिक मिर्च
खायी जाती है उतना अधिक कफ़
शरीर से पिघलना शुरु हो जाता है,यहां तक कि अगर
अधिक मिर्ची खायी जाये
तो शरीर में जलन
पैदा हो जाती है,शरीर में वसा के रूप में
जमा शनि का पदार्थ पिघल कर आन्सू की रूप में कफ़
के रूप में नाक के रूप में पेशाब के समय चर्बी के रूप
में मल को पतला करने के बाद दस्त के रूप में निकल जायेगा,अधिक
मिर्च के प्रयोग करने पर यह शरीर
की रक्षा के रूप में उपस्थित और
सर्दी गर्मी से शरीर
को बचाने वाले पदार्थ को शरीर से निकाल कर बाहर
कर देगी। उसी प्रकार से
धीमी आंच पर रखा हुआ
पानी भी भाप की शक्ल में
बर्तन से विलीन हो जायेगा। यह मंगल
की सिफ़्त है।
शनि पत्थर है और उसे लाल रंग से रंग दिया जाये तो वह धर्म
के रूप में बन जायेगा,
शनि चोर है तो मंगल सिपाही है।
शनि पत्थर है तो मंगल लोहा है,इसलिये
ही शनि के लिये लोहे का छल्ला पहिना जाता है।
रिस्तो मे देखा जाये तो शनि कर्म है मंगल भाई है,
शनि दुख है तो मंगल भाई का दुख है,
शनि खेती का काम है तो मंगल
मशीनरी है,
शनि जेल है तो मंगल उसका प्रहरी है,
शनि विदेशी है तो मंगल उसे कन्ट्रोल करने वाला है,
शनि कोयला है तो मंगल तपती हुई आग है,
शनि कमजोर है तो मंगल उसके अन्दर शक्ति को देने वाला है,
शनि डाकू है तो मंगल
उसकी उसकी साहस
की सीमा है
,शनि बुजुर्ग दार्शनिक है तो मंगल उसके तामसिक विचार है,
शनि कब्रिस्तान है तो मंगल जलती हुई आग है,
शनि खंडहर है तो मंगल उसके अन्दर
तपती हुयी रेत है,
शनि बाल है तो मंगल उसे काटने वाला नाई है,
शनि लकवा है तो मंगल गर्म सेंक है,
शनि फ़ोडा है तो मंगल आपरेशन है,
शनि कर्म है तो मंगल रसोई है
,शनि मधुमक्खी है तो मंगल उसके अन्दर
का जहर है,
शनि आलू का पकौडा है तो मंगल उसके अन्दर
मीठी चटनी है।
शनि काम करने वाले कर्मचारी है तो मंगल कार्य
स्थल की रखवाली करने वाला गार्ड है।
शनि घर है तो मंगल उसका दरवाजा है।
मंगल खून चोट चेचक अपेन्डिक्स हार्निया देता है तो
शनि वात लकवा ह्रदय
की बीमारी ट्यूमर ब्रांकाइटिस
की बीमारी देता है।
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