दैनिक जीवन में ज्योतिषीय उपचार
============================
एक कुशल गृहिणी चूल्हा जलाने के बाद
पहली रोटी कुत्तों के लिए और एक
रोटी गाय के लिए बचाकर रखती है। घर
की सफाई के दौरान जब पोंछा लगाती है
तो बाल्टी के पानी में नमक
मिलाती है। शाम के समय मंदिर जाते हुए
चींटियों के लिए थोड़ा आटा और
चीनी लेकर निकलती है। देखने
में ये दैनिक जीवन का हिस्सा दिखाई दे सकते हैं, लेकिन
अधिकांश महत्वपूर्ण ज्योतिषीय उपचार
इन्हीं से जुड़े हुए हैं। महंगे रत्नों या पुरोहितों के
सान्निध्य में यज्ञ हवन करवाने की तुलना में
रोजाना का यह मौन यज्ञ आपको कई तरह की बाधाओं
सेबचाकर रखता है। दिनचर्या से जुड़े ये नियम सामान्य नियम न होकर
ज्योतिषीय उपचारों के नियम हैं।
साधना और दान जरूरी
किसी भी जातक
की कुंडली में पीड़ा देने वाले
ग्रहों में राहू, केतू और शनि शामिल है। इसके अलावा हर लग्न के
लिए बाधक स्थानाधिपति व मारक
ग्रहों की पीड़ा भी शामिल
होती है। इन समस्याओं का समाधान हमारे घर में मौजूद
है। किसी ग्रह का प्रभाव बढ़ाने या खराब प्रभाव
को खत्म करने के लिए रत्न पहनाए जाते हैं, लेकिन
पीड़ादायी ग्रहों का उपचार करने के लिए
दो ही साधन प्रमुख हैं, इनमें पहला है दान और
दूसरा है साधना। साधना किसी समय विशेष पर
की जा सकती है, लेकिन दान का महत्व
हर दिन है। दान का क्रम आगे बढऩे से पूर्वजन्म के
कर्मों का बंधन भी ढीला होने लगता है और
जातक क्रमश: अधिक सुखी होता जाता है। हर ग्रह
से संबंधित उपचार पूर्व में ही तय हैं।
सूर्य: करें काली गाय की सेवा
किसी जातक की कुंडली में सूर्य
खराब परिणाम दे रहा हो तो लाल किताब के अनुसार उस जातक के
मुंह से बोलते समय थूक उछलता रहता है। शरीर के
कुछ अंग आंशिक या पूर्ण रूप से नाकारा होने लगते हैं। ऐसे
जातकों को सुबह उठकर सूर्य देवता को अध्र्य देना चाहिए और लाल
मुंह के बंदर की सेवा करनी चाहिए। आठवें
का सूर्य होने पर सफेद गाय की बजाय लाल
या काली गाय की सेवा करने के लिए
कहा जाता है।
चंद्र: बुजुर्गों का लें आशीर्वाद
माता की सेवा करने से चंद्रमा के शुभ फल मिलने शुरू होते
हैं। घर के बुजुर्गों, साधु और ब्राह्मणों के पांव छू कर
आशीर्वाद लेने से चंद्रमा के खराब
प्रभावों को भी दूर किया जा सकता है। रात के समय
सिरहाने के नीचे पानी रख कर सुबह उसे
पौधों में डालने से चंद्र्रमा का असर दुरुस्त होता है। घर
का उत्तरी-पश्चिमी कोना चंद्रमा का स्थान
होता है। यहां पौधे लगाए जाएं और सुबह-शाम
पानी दिया जाए तो चंद्रमा का प्रभाव उत्तम बना रहता है।
मंगल: भाइयों की करें सहायता
आंख में खराबी, लंबे समय से संतानोत्पत्ति में बाधा मंगल
के खराब प्रभाव का परिणाम है। भाइयों की सहायता व
ताऊ-ताई की सेवा से मंगल का अच्छा प्रभाव मिलता है।
लाल रंग का रुमाल पास रखने से मंगल का दुष्प्रभाव खत्म होता है।
महिलाओं में मंगल का असर बढ़ाने के लिए तो उन्हें लाल चूडिय़ां, लाल
सिंदूर, लाल साड़ी, लाल बिंदी लगाने के लिए
कहा जाता है।
बुध: घर में जमे कचरे को हटाएं
गंध का पता न लगे और सामने के दांत गिरने लगें तो समझ
लीजिए कि बुध का खराब प्रभाव आ रहा है। ऐसे में
फिटकरी से दांत साफ करने से बुध का खराब प्रभाव कम
होता है। बुध खराब होने से व्यापारियों का दिया या लिया धन अटकने
लगता है। गायों को नियमित रूप से पालक खिलाने से यह रुका हुआ
धन फिर से मिलने लगता है। छत पर जमा कचरा भी ऋण
को बढ़ाता है। इसे हटाने से ऋण का बोझ कम होता है और व्यापार
सुचारू चलता है।
गुरु: ईष्ट देव को पूजें
रमते साधु को पीले वस्त्र दान करने और भोजन कराने से
गुरु के अच्छे परिणाम हासिल होते हैं। जिन
जातकों की गुरु की दशा चल
रही हो, अगर वे नियमित रूप से अपने ईष्ट के मंदिर
जाएं और पीपल में जल सीचें तो गुरु
की दशा में अच्छे लाभ हासिल कर सकते हैं।
इसी दशा में स्कूल, धर्म स्थान में नियमित अंतराल में दान
करना भी भाग्य को बढ़ाता है।
शुक्र: गाय को दें गुड़
चमड़ी के रोग और अंगूठे पर चोट से शुक्र के खराब
प्रभाव का पता चलता है। अगर प्रतिदिन रात के समय अपने हिस्से
की एक रोटी गाय को दें तो शुक्र का प्रभाव
यानी समृद्धि तेजी से बढ़ती है।
शुक्र का खराब प्रभाव हो तो रात के समय बैठी गाय
को गुड़ देना लाभदायक है। सुहागिनों समय-समय पर सुहाग
की वस्तुएं देने से शुक्र के प्रभाव बढ़ता है।
शनि: साधु को दें दान
जूते खोने, घर में हानि, पालतू पशु मरने और आग लगने से
शनि का खराब प्रभाव देखा जाता है। डाकोत को नियमित रूप से तेल देने,
साधु को लोहे का तवा, चिमटा या अंगीठी दान
करने से शनि का प्रभाव अच्छा हो जाता है। शनि के अच्छे प्रभाव
लेने के लिए नंगे पैर मंदिर जाना चाहिए।
राहू: हरियाली का रखें वास
अनचाही समस्याएं राहू से आती हैं। घर
का दक्षिणी-पश्चिमी कोना राहू का है। इस
कोने में
कभी गंदगी नहीं रहनी चाहिए।
घर के दक्षिणी पूर्वी कोने में आवश्यक रूप
से हरियाली का वास रखना चाहिए। परिवार का जो सदस्य
राहू से पीडि़त हो उसे हरियाली के पास रखें।
अंधेरे और गंदगी वाले कोनों में राहू का वास होता है।
अगर हर कोने को साफ और उजला रखेंगे तो राहू के खराब प्रभाव से
दूर रहेंगे।
केतु: घर में रखें पालतू जानवर
जोड़ों का दर्द और पेशाब
की बीमारी मुख्य रूप से केतु
की समस्या के कारण आते हैं। कान बींधना,
पालतू जानवर (खासकर कुत्ता) पालना केतू के खराब प्रभाव को कम
करता है। संतान को कष्ट होने और रोजगार
की समस्या होने पर काला-सफेद कंबल साधु को देने से
कष्ट दूर होता है।
ये भी हैं घरेलू उपचार
इन उपचारों के अलावा बहुत से घरेलू नुस्खे ऐसे भी हैं
जो हम दैनिक जीवन में इस्तेमाल करते रहते हैं। खाने
में हल्दी का इस्तेमाल गुरु को दुरुस्त करता है। सात्विक
खाने में यदि नियमित हींग का इस्तेमाल राहू का प्रभाव
कम करता है। चौके में बैठकर खाना खाने से राहू
की दशा का खराब प्रभाव कम हो सकता है। घर में नमक
मिला पोंछा लगाने से नकारात्मक ऊर्जा में
कमी आती है। अतिथि को संतुष्ट कर भेजने
से सांसारिक साधनों में तेजी से वृद्धि होती है।
सुहागिनों के घर में बार-बार प्रवेश करने से शुक्र
यानी समृद्धि बढ़ती है।
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एक कुशल गृहिणी चूल्हा जलाने के बाद
पहली रोटी कुत्तों के लिए और एक
रोटी गाय के लिए बचाकर रखती है। घर
की सफाई के दौरान जब पोंछा लगाती है
तो बाल्टी के पानी में नमक
मिलाती है। शाम के समय मंदिर जाते हुए
चींटियों के लिए थोड़ा आटा और
चीनी लेकर निकलती है। देखने
में ये दैनिक जीवन का हिस्सा दिखाई दे सकते हैं, लेकिन
अधिकांश महत्वपूर्ण ज्योतिषीय उपचार
इन्हीं से जुड़े हुए हैं। महंगे रत्नों या पुरोहितों के
सान्निध्य में यज्ञ हवन करवाने की तुलना में
रोजाना का यह मौन यज्ञ आपको कई तरह की बाधाओं
सेबचाकर रखता है। दिनचर्या से जुड़े ये नियम सामान्य नियम न होकर
ज्योतिषीय उपचारों के नियम हैं।
साधना और दान जरूरी
किसी भी जातक
की कुंडली में पीड़ा देने वाले
ग्रहों में राहू, केतू और शनि शामिल है। इसके अलावा हर लग्न के
लिए बाधक स्थानाधिपति व मारक
ग्रहों की पीड़ा भी शामिल
होती है। इन समस्याओं का समाधान हमारे घर में मौजूद
है। किसी ग्रह का प्रभाव बढ़ाने या खराब प्रभाव
को खत्म करने के लिए रत्न पहनाए जाते हैं, लेकिन
पीड़ादायी ग्रहों का उपचार करने के लिए
दो ही साधन प्रमुख हैं, इनमें पहला है दान और
दूसरा है साधना। साधना किसी समय विशेष पर
की जा सकती है, लेकिन दान का महत्व
हर दिन है। दान का क्रम आगे बढऩे से पूर्वजन्म के
कर्मों का बंधन भी ढीला होने लगता है और
जातक क्रमश: अधिक सुखी होता जाता है। हर ग्रह
से संबंधित उपचार पूर्व में ही तय हैं।
सूर्य: करें काली गाय की सेवा
किसी जातक की कुंडली में सूर्य
खराब परिणाम दे रहा हो तो लाल किताब के अनुसार उस जातक के
मुंह से बोलते समय थूक उछलता रहता है। शरीर के
कुछ अंग आंशिक या पूर्ण रूप से नाकारा होने लगते हैं। ऐसे
जातकों को सुबह उठकर सूर्य देवता को अध्र्य देना चाहिए और लाल
मुंह के बंदर की सेवा करनी चाहिए। आठवें
का सूर्य होने पर सफेद गाय की बजाय लाल
या काली गाय की सेवा करने के लिए
कहा जाता है।
चंद्र: बुजुर्गों का लें आशीर्वाद
माता की सेवा करने से चंद्रमा के शुभ फल मिलने शुरू होते
हैं। घर के बुजुर्गों, साधु और ब्राह्मणों के पांव छू कर
आशीर्वाद लेने से चंद्रमा के खराब
प्रभावों को भी दूर किया जा सकता है। रात के समय
सिरहाने के नीचे पानी रख कर सुबह उसे
पौधों में डालने से चंद्र्रमा का असर दुरुस्त होता है। घर
का उत्तरी-पश्चिमी कोना चंद्रमा का स्थान
होता है। यहां पौधे लगाए जाएं और सुबह-शाम
पानी दिया जाए तो चंद्रमा का प्रभाव उत्तम बना रहता है।
मंगल: भाइयों की करें सहायता
आंख में खराबी, लंबे समय से संतानोत्पत्ति में बाधा मंगल
के खराब प्रभाव का परिणाम है। भाइयों की सहायता व
ताऊ-ताई की सेवा से मंगल का अच्छा प्रभाव मिलता है।
लाल रंग का रुमाल पास रखने से मंगल का दुष्प्रभाव खत्म होता है।
महिलाओं में मंगल का असर बढ़ाने के लिए तो उन्हें लाल चूडिय़ां, लाल
सिंदूर, लाल साड़ी, लाल बिंदी लगाने के लिए
कहा जाता है।
बुध: घर में जमे कचरे को हटाएं
गंध का पता न लगे और सामने के दांत गिरने लगें तो समझ
लीजिए कि बुध का खराब प्रभाव आ रहा है। ऐसे में
फिटकरी से दांत साफ करने से बुध का खराब प्रभाव कम
होता है। बुध खराब होने से व्यापारियों का दिया या लिया धन अटकने
लगता है। गायों को नियमित रूप से पालक खिलाने से यह रुका हुआ
धन फिर से मिलने लगता है। छत पर जमा कचरा भी ऋण
को बढ़ाता है। इसे हटाने से ऋण का बोझ कम होता है और व्यापार
सुचारू चलता है।
गुरु: ईष्ट देव को पूजें
रमते साधु को पीले वस्त्र दान करने और भोजन कराने से
गुरु के अच्छे परिणाम हासिल होते हैं। जिन
जातकों की गुरु की दशा चल
रही हो, अगर वे नियमित रूप से अपने ईष्ट के मंदिर
जाएं और पीपल में जल सीचें तो गुरु
की दशा में अच्छे लाभ हासिल कर सकते हैं।
इसी दशा में स्कूल, धर्म स्थान में नियमित अंतराल में दान
करना भी भाग्य को बढ़ाता है।
शुक्र: गाय को दें गुड़
चमड़ी के रोग और अंगूठे पर चोट से शुक्र के खराब
प्रभाव का पता चलता है। अगर प्रतिदिन रात के समय अपने हिस्से
की एक रोटी गाय को दें तो शुक्र का प्रभाव
यानी समृद्धि तेजी से बढ़ती है।
शुक्र का खराब प्रभाव हो तो रात के समय बैठी गाय
को गुड़ देना लाभदायक है। सुहागिनों समय-समय पर सुहाग
की वस्तुएं देने से शुक्र के प्रभाव बढ़ता है।
शनि: साधु को दें दान
जूते खोने, घर में हानि, पालतू पशु मरने और आग लगने से
शनि का खराब प्रभाव देखा जाता है। डाकोत को नियमित रूप से तेल देने,
साधु को लोहे का तवा, चिमटा या अंगीठी दान
करने से शनि का प्रभाव अच्छा हो जाता है। शनि के अच्छे प्रभाव
लेने के लिए नंगे पैर मंदिर जाना चाहिए।
राहू: हरियाली का रखें वास
अनचाही समस्याएं राहू से आती हैं। घर
का दक्षिणी-पश्चिमी कोना राहू का है। इस
कोने में
कभी गंदगी नहीं रहनी चाहिए।
घर के दक्षिणी पूर्वी कोने में आवश्यक रूप
से हरियाली का वास रखना चाहिए। परिवार का जो सदस्य
राहू से पीडि़त हो उसे हरियाली के पास रखें।
अंधेरे और गंदगी वाले कोनों में राहू का वास होता है।
अगर हर कोने को साफ और उजला रखेंगे तो राहू के खराब प्रभाव से
दूर रहेंगे।
केतु: घर में रखें पालतू जानवर
जोड़ों का दर्द और पेशाब
की बीमारी मुख्य रूप से केतु
की समस्या के कारण आते हैं। कान बींधना,
पालतू जानवर (खासकर कुत्ता) पालना केतू के खराब प्रभाव को कम
करता है। संतान को कष्ट होने और रोजगार
की समस्या होने पर काला-सफेद कंबल साधु को देने से
कष्ट दूर होता है।
ये भी हैं घरेलू उपचार
इन उपचारों के अलावा बहुत से घरेलू नुस्खे ऐसे भी हैं
जो हम दैनिक जीवन में इस्तेमाल करते रहते हैं। खाने
में हल्दी का इस्तेमाल गुरु को दुरुस्त करता है। सात्विक
खाने में यदि नियमित हींग का इस्तेमाल राहू का प्रभाव
कम करता है। चौके में बैठकर खाना खाने से राहू
की दशा का खराब प्रभाव कम हो सकता है। घर में नमक
मिला पोंछा लगाने से नकारात्मक ऊर्जा में
कमी आती है। अतिथि को संतुष्ट कर भेजने
से सांसारिक साधनों में तेजी से वृद्धि होती है।
सुहागिनों के घर में बार-बार प्रवेश करने से शुक्र
यानी समृद्धि बढ़ती है।
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