Monday, July 28, 2014

शुक्र ग्रह

शुक्र ग्रह
ज्योतिषशास्त्र के अनुसार शुक्र मीन राशि में उच्च
का तथा कन्या राशि में नीच का होता हैं। शुक्र
स्त्री ग्रह हैं। प्रायः माना जाता है कि उच्च
का शुक्र शुभ फल ही देता हैं जो असत्य हैं।
जबकि शुक्र या किसी ग्रह के शुभता एवं
अशुभता का फल कुंडली में शुक्र के स्थिति के
अनुसार होते हैं।
शुक्र शुभ होने से जातक का चेहरा आकर्षक, सुन्दर रुप
तथा मनमोहक व्यक्तित्व प्रदान करता हैं। शुभ शुक्र जातक
को रचनात्मक एवं कलात्मक कौशल प्रदान करता हैं। जिसके बल
पर जातक अपने जीवन में अनेक सफलता प्राप्त
करता हैं। जातक को शुक्र अधिक शौकीन बनाता हैं।
जातक को जीवन में अनेकों प्रकार
की सुख
सुविधा मिलती रहती हैं तथा जातक
उत्तम भोजन, कपड़ा, मकान, वाहन एवं
सुखी दाम्पत्य जीवन जीने
की ख्वाहिश रखता है। प्रेम प्रसंग में चतुर होते
हैं। शुभ शुक्र जातक को लेखन संगीत और गायन
के क्षेत्र अथवा परिधान के व्यवसायिक कार्यों के माध्यम से
सफलता प्राप्त करते हैं। शुक्र शुभ होने से जातक कम
परिश्रम में ही अधिक सफलता प्राप्त करता हैं।
ऐसे व्यक्ति के पास धन एवं समृध्दि सहजता से
आती रहती हैं। माता का सुख
उत्तमतया प्राप्त होता हैं। ऐसे व्यक्ति सामाजिक व्यवहार में
कुशल होते हैं। जिससे जातक का समाज में अधिक मान-सम्मान,
पद-प्रतिष्ठा तथा यश
की प्राप्ति होती हैं।
शुभ शुक्र जातक को आकर्षक व्यक्तित्व एवं
शारीरिक सुंदरता प्रदान करता हैं। जिसके फलस्वरूप
जातक समाज में स्थित अन्य लोगों को एवं विपरीत
लिंगीय जातकों को अपनी ओर
आसानी से आकर्षित कर लेता हैं। कुछ जातक
मॉडलिंग, सौंदर्य प्रसाधन, चिकित्सक, कम्प्यूटर
इंजिनीयर, होटल व्यवसाय, सुगंधित द्रव्य, आभूषण,
तथा जलीय वस्तु के द्वारा नाम, यश एवं
ख्याति प्राप्त करता हैं।
लग्न में शुक्र विलासी, स्त्रियों का उपयोग करने
वाला कामी, सुन्दर तथा लम्पट होता हैं।
द्वितीय भाव स्थित शुभ शुक्र
रिश्तेदारी से लाभ कराता है एवं धन का उपयोग भोग
विलास में करवाता हैं। तृतीय में शुभ शुक्र मित्र, भाई
एवं सहयोगी से लाभ एवं सहायता करवाता हैं।
चतुर्थ भाव स्थित शुभ शुक्र मातृत्व सुख उत्तम एवं सुन्दर
मकान व वाहन सुख दिलाता हैं। पंचम शुक्र अध्ययन, संतान
एवं प्रेम विवाह करते हैं। छठा भावस्थ शुभ शुक्र जातक
को ऐसा व्यवहार एवं वाक् शक्ति प्रदान करता है जिससे जातक
अपने विरोधी को भी अपने पक्षों में किये
रहता हैं। सातवां शुभ शुक्र जातक को प्रेम संबंध अनेकों से
बना रहता हैं। नवमस्थ शुभ शुक्र जातक
को दुर्गा जी का या भगवती का भक्त
बनाता हैं। दशम शुक्र जातक को राजकीय क्षेत्र
तथा पैतृक सम्पत्ति का उत्तम सुख प्रदान करता हैं। ग्यारहवें
भाव में शुक्र होने से जातक आभुषण एवं सौन्दर्य प्रसाधन के
कार्य से जीवकोपार्जन करते हैं।
चन्द्र-शुक्र या मंगल-शुक्र का योग हो तो अनेक
स्त्रियों का भोगकर्ता होता हैं। बुध-शुक्र का और गुरू-शुक्र
का योग विद्वान बनाता हैं। शनि-शुक्र के योग से नीच
वृत्ति उत्पन्न होती हैं। बुध, शुक्र, गुरू
वक्री दृष्टि हो तो हानि करते हैं।

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