तुलसी की माला महत्व
गले में तुलसी की माला धारण करने से
जीवनशक्ति बढ़ती है, बहुत से रोगों से
मुक्ति मिलती है।
तुलसी की माला पर भगवन्नाम जप करने
से एवं गले में पहनने से आवश्यक एक्युप्रेशर बिन्दुओं पर
दबाव पड़ता है, जिससे मानसिक तनाव में लाभ होता है, संक्रामक
रोगों से रक्षा होती है तथा शरीर
स्वास्थ्य में सुधार होकर दीर्घायु
की प्राप्ति होती है।
तुलसी माला धारण करने से शरीर निर्मल,
रोगमुक्त व सात्त्विक बनता है।
तुलसी शरीर की विद्युत
संरचना को सीधे प्रभावित करती है।
इसको धारण करने से शरीर में
विद्युतशक्ति का प्रवाह बढ़ता है तथा जीव-
कोशों द्वारा धारण करने के सामर्थ्य में
वृद्धि होती है।
गले में माला पहने से बिजली की लहरें
निकलकर रक्त संचार में रूकावट
नहीं आनि देतीं। प्रबल विद्युतशक्ति के
कारण धारक के चारों ओर चुम्बकीय मंडल विद्यमान
रहता है।
तुलसी की माला पहनने से आवाज
सुरीली होती है, गले के
रोग नहीं होते, मुखड़ा गोरा,
गुलाबी रहता है। हृदय पर झूलने
वाली तुलसी माला फेफड़े और हृदय के
रोगों से बचाती है। इसे धारण करने वाले के स्वभाव में
सात्त्विकता का संचार होता है।
तुलसी की माला धारक के व्यक्तित्व
को आकर्षक बनाती है। कलाई में
तुलसी का गजरा पहनने से नब्ज
नहीं छूटती, हाथ सुन्न
नहीं होता, भुजाओं का बल बढ़ता है।
तुलसी की जड़ें कमर में बाँधने से
स्त्रियों को, विशेषतः गर्भवती स्त्रियों को लाभ
होता है। प्रसव वेदना कम होती है और
प्रसूति भी सरलता से हो जाती है।
कमर में
तुलसी की करधनी पहनने
से पक्षाघात नहीं होता, कमर, जिगर,
तिल्ली, आमाशय और यौनांग के विकार
नहीं होते हैं।
यदि तुलसी की लकड़ी से
बनी हुई मालाओं से अलंकृत होकर मनुष्य देवताओं
और पितरों के पूजनादि कार्य करे तो वह कोटि गुना फल देने
वाला होता है। जो मनुष्य
तुलसी की लकड़ी से
बनी हुई माला भगवान विष्णु को अर्पित करके
पुनः प्रसाद रूप से उसे भक्तिपूर्वक धारण करता है, उसके
पातक नष्ट हो जाते हैं।
गले में तुलसी की माला धारण करने से
जीवनशक्ति बढ़ती है, बहुत से रोगों से
मुक्ति मिलती है।
तुलसी की माला पर भगवन्नाम जप करने
से एवं गले में पहनने से आवश्यक एक्युप्रेशर बिन्दुओं पर
दबाव पड़ता है, जिससे मानसिक तनाव में लाभ होता है, संक्रामक
रोगों से रक्षा होती है तथा शरीर
स्वास्थ्य में सुधार होकर दीर्घायु
की प्राप्ति होती है।
तुलसी माला धारण करने से शरीर निर्मल,
रोगमुक्त व सात्त्विक बनता है।
तुलसी शरीर की विद्युत
संरचना को सीधे प्रभावित करती है।
इसको धारण करने से शरीर में
विद्युतशक्ति का प्रवाह बढ़ता है तथा जीव-
कोशों द्वारा धारण करने के सामर्थ्य में
वृद्धि होती है।
गले में माला पहने से बिजली की लहरें
निकलकर रक्त संचार में रूकावट
नहीं आनि देतीं। प्रबल विद्युतशक्ति के
कारण धारक के चारों ओर चुम्बकीय मंडल विद्यमान
रहता है।
तुलसी की माला पहनने से आवाज
सुरीली होती है, गले के
रोग नहीं होते, मुखड़ा गोरा,
गुलाबी रहता है। हृदय पर झूलने
वाली तुलसी माला फेफड़े और हृदय के
रोगों से बचाती है। इसे धारण करने वाले के स्वभाव में
सात्त्विकता का संचार होता है।
तुलसी की माला धारक के व्यक्तित्व
को आकर्षक बनाती है। कलाई में
तुलसी का गजरा पहनने से नब्ज
नहीं छूटती, हाथ सुन्न
नहीं होता, भुजाओं का बल बढ़ता है।
तुलसी की जड़ें कमर में बाँधने से
स्त्रियों को, विशेषतः गर्भवती स्त्रियों को लाभ
होता है। प्रसव वेदना कम होती है और
प्रसूति भी सरलता से हो जाती है।
कमर में
तुलसी की करधनी पहनने
से पक्षाघात नहीं होता, कमर, जिगर,
तिल्ली, आमाशय और यौनांग के विकार
नहीं होते हैं।
यदि तुलसी की लकड़ी से
बनी हुई मालाओं से अलंकृत होकर मनुष्य देवताओं
और पितरों के पूजनादि कार्य करे तो वह कोटि गुना फल देने
वाला होता है। जो मनुष्य
तुलसी की लकड़ी से
बनी हुई माला भगवान विष्णु को अर्पित करके
पुनः प्रसाद रूप से उसे भक्तिपूर्वक धारण करता है, उसके
पातक नष्ट हो जाते हैं।
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