Wednesday, July 16, 2014

दुर्घटना और वास्तु

दुर्घटना और वास्तु
आए दिन मीडिया के माध्यम से वाहनों से
दुर्घटना होने की खबर पढ़ने, देखने, सुनने
को मिलती रहती है।
ऐसी दुर्घटना जिसमेें
किसी का जीवन समाप्त हो जाए उनके
घरों में निश्चित रूप से दो या दो से अधिक वास्तुदोष होेतेे है।
यदि किसी के घर में केवल एक महत्वपूर्ण
वास्तुदोष है तो उस घर में हादसे से
किसी की मृत्यु
नहीं हो सकती, केवल
गंभीर दुर्घटना के योग ही बनते है।
हादसा किस प्रकार का होगा यह निर्भर करता है वास्तुदोष
भवन के किस दिशा में किस प्रकार का है परंतु यह तय है
कि हादसे वाले घर का नैऋत्य कोण जरूर दोषपूर्ण होता है। जैसे
नैऋत्य कोण में भूमिगत
पानी की टंकी, कुआं, बोरवेल
या किसी भी प्रकार से फर्श
नीचा हो, या दक्षिण या पश्चिम नैऋत्य कोण बढ़
जाए। इस दोष के साथ यदि उस घर के पश्चिम नैऋत्य कोण में
मुख्य द्वार हो तो घर के पुरूष सदस्य के साथ और यदि मुख्य
द्वार दक्षिण नैऋत्य कोण में हो तो उस घर
की स्त्री के साथ
किसी भी प्रकार
की दुर्घटना में मृत्यु
की संभावना बलवति हो जाती है। यह
तो हुआ एक वास्तुदोष उनके यहां दूसरा वास्तुदोष ईशान कोण में
अवश्य ही होगा। इसी प्रकार ईशान
कोण की दीवार अंदर दब जाए और
किसी कारण आग्नेय कोण
की दीवार आगे बढ़ जाए या भवन
का आग्नेय कोण नैऋत्य कोण से ऊंचा और ईशान कोण
की तुलना में नीचा हो जाए तो विवाद के
फलस्वरूप रक्त रंजित जैसे हत्या, गंभीर
मारपीट आदि हादसे हो सकते है। यदि उत्तर
वाव्यय कोण नैऋत्य कोण से ऊंचा और ईशान कोण
की तुलना में नीचा हो जाए या ढंक जाए
तो घर की किसी महिला सदस्य विशेषतौर
पर कन्या संतान के साथ दुःखद हादसा हो सकता है और
यदि पश्चिम वायव्य ढंक जाए तो पुरूष संतान के साथ घटना घट
सकती है इत्यादि ऐसे अन्य कई दोष हो सकते
है।
जो मकान दो से भी ज्यादा वास्तुदोषों से युक्त है
जिनमें नैऋत्य कोण के साथ मकान का कोई दूसरा भाग
भी वास्तुदोष युक्त हो तभी वहां निवास
करने वाले स्त्री-पुरूषों किसी के साथ
भी दुखद हादसे हो सकते है। ऐसे दोषपूर्ण घरों में
निवास करने वालो को चाहिए कि वे अपने घर के
वास्तुदोषों को शीघ्रता-शीघ्र दूर करे
ताकि परिवार का कोई सदस्य
किसी भी प्रकार के दुखद हादसे
का शिकार ना हो।

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