हिंदुत्व में कर्पूर का उपयोग क्यों किया जाता है ?
क्या है इसका वैज्ञानिक दृष्टिकोण ?
हिंदू धर्म में किए जाने वाले विभिन्न धार्मिक कर्मकांडों तथा पूजन में
उपयोग की जाने वाली सामग्री के
पीछे सिर्फ धार्मिक कारण
ही नहीं है इन सभी के
पीछे कहीं न कहीं हमारे
ऋषि-मुनियों की वैज्ञानिक सोच भी निहित
है।
प्राचीन समय से ही हमारे देश में विभिन्न
धार्मिक कार्यक्रमों में कर्पूर का उपयोग किया जाता है। कर्पूर का सबसे
अधिक उपयोग आरती में किया जाता है।
प्राचीन काल से ही हमारे देश में
देशी घी के दीपक व कर्पूर के
देवी-देवताओं की आरती करने
की परंपरा चली आ रही है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान आरती करने के
प्रसन्न होते हैं व साधक की मनोकामना पूर्ण करते
हैं। कर्पूर अति सुगंधित पदार्थ होता है। इसके दहन से वातावरण
सुगंधित हो जाता है।
वैज्ञानिक शोधों से यह भी ज्ञात हुआ है
कि इसकी सुगंध से जीवाणु, विषाणु
आदि बीमारी फैलाने वाले जीव
नष्ट हो जाते हैं जिससे वातावरण शुद्ध हो जाता है
तथा बीमारी होने का भय
भी नहीं रहता। यही कारण
है कि पूजन, आरती आदि धार्मिक कर्मकांडों में कर्पूर
का विशेष महत्व बताया गया है।
कर्पूर के फायदे :
पितृदोष निदान : कर्पूर अति सुगंधित पदार्थ होता है। इसके दहन से
वातावरण सुगंधित हो जाता है। कर्पूर जलाने से देवदोष व पितृदोष
का शमन होता है।
अनिंद्रा : रात में सोते वक्त कर्पूर जलाने से नींद
अच्छी आती है। प्रतिदिन सुबह और शाम
कर्पूर जलाते रहने से घर में
किसी भी प्रकार
की आकस्मि घटना और
दुर्घटना नहीं होती।
जीवाणु नाशक : वैज्ञानिक शोधों से यह
भी ज्ञात हुआ है कि इसकी सुगंध से
जीवाणु, विषाणु आदि बीमारी फैलाने
वाले जीव नष्ट हो जाते हैं जिससे वातावरण शुद्ध
हो जाता है तथा बीमारी होने का भय
भी नहीं रहता।
औषधि के रूप में उपयोग :
* कर्पूर का तेल त्वचा में रक्त संचार को सहज बनाता है।
* गर्दन में दर्द होने पर कर्पूर युक्त बाम लगाने पर आराम
मिलता है।
* सूजन, मुहांसे और तैलीयत्वचा के उपचार में
इसका उपयोग किया जाता है।
* आर्थराइटिस के दर्द से राहत पाने के लिए कर्पूर मिश्रित मलहम
का प्रयोग करें।
* पानी में कर्पूर के तेल की कुछ
बूंदों को डालकर नहाएं। यह आपको तरोताजा रखेगा।
* कफ की वजह से छाती में होने
वाली जकड़न में कर्पूर का तेल मलने से राहत
मिलती है।
* कर्पूर युक्त मलहम की मालिश से मोच और
मांसपेशियों में खिंचाव और दर्द में राहत मिलती है।
क्या है इसका वैज्ञानिक दृष्टिकोण ?
हिंदू धर्म में किए जाने वाले विभिन्न धार्मिक कर्मकांडों तथा पूजन में
उपयोग की जाने वाली सामग्री के
पीछे सिर्फ धार्मिक कारण
ही नहीं है इन सभी के
पीछे कहीं न कहीं हमारे
ऋषि-मुनियों की वैज्ञानिक सोच भी निहित
है।
प्राचीन समय से ही हमारे देश में विभिन्न
धार्मिक कार्यक्रमों में कर्पूर का उपयोग किया जाता है। कर्पूर का सबसे
अधिक उपयोग आरती में किया जाता है।
प्राचीन काल से ही हमारे देश में
देशी घी के दीपक व कर्पूर के
देवी-देवताओं की आरती करने
की परंपरा चली आ रही है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान आरती करने के
प्रसन्न होते हैं व साधक की मनोकामना पूर्ण करते
हैं। कर्पूर अति सुगंधित पदार्थ होता है। इसके दहन से वातावरण
सुगंधित हो जाता है।
वैज्ञानिक शोधों से यह भी ज्ञात हुआ है
कि इसकी सुगंध से जीवाणु, विषाणु
आदि बीमारी फैलाने वाले जीव
नष्ट हो जाते हैं जिससे वातावरण शुद्ध हो जाता है
तथा बीमारी होने का भय
भी नहीं रहता। यही कारण
है कि पूजन, आरती आदि धार्मिक कर्मकांडों में कर्पूर
का विशेष महत्व बताया गया है।
कर्पूर के फायदे :
पितृदोष निदान : कर्पूर अति सुगंधित पदार्थ होता है। इसके दहन से
वातावरण सुगंधित हो जाता है। कर्पूर जलाने से देवदोष व पितृदोष
का शमन होता है।
अनिंद्रा : रात में सोते वक्त कर्पूर जलाने से नींद
अच्छी आती है। प्रतिदिन सुबह और शाम
कर्पूर जलाते रहने से घर में
किसी भी प्रकार
की आकस्मि घटना और
दुर्घटना नहीं होती।
जीवाणु नाशक : वैज्ञानिक शोधों से यह
भी ज्ञात हुआ है कि इसकी सुगंध से
जीवाणु, विषाणु आदि बीमारी फैलाने
वाले जीव नष्ट हो जाते हैं जिससे वातावरण शुद्ध
हो जाता है तथा बीमारी होने का भय
भी नहीं रहता।
औषधि के रूप में उपयोग :
* कर्पूर का तेल त्वचा में रक्त संचार को सहज बनाता है।
* गर्दन में दर्द होने पर कर्पूर युक्त बाम लगाने पर आराम
मिलता है।
* सूजन, मुहांसे और तैलीयत्वचा के उपचार में
इसका उपयोग किया जाता है।
* आर्थराइटिस के दर्द से राहत पाने के लिए कर्पूर मिश्रित मलहम
का प्रयोग करें।
* पानी में कर्पूर के तेल की कुछ
बूंदों को डालकर नहाएं। यह आपको तरोताजा रखेगा।
* कफ की वजह से छाती में होने
वाली जकड़न में कर्पूर का तेल मलने से राहत
मिलती है।
* कर्पूर युक्त मलहम की मालिश से मोच और
मांसपेशियों में खिंचाव और दर्द में राहत मिलती है।
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