Monday, July 28, 2014

सावन स्पेशल: जानिए महत्व, उपाय

सावन स्पेशल: जानिए महत्व, उपाय, टोटके, पूजन विधि और
भी बहुत कुछ........
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हिंदू पंचांग के पांचवे महीने को सावन कहते हैं।
धर्म शास्त्रों में इसे श्रावण भी कहा गया है।
श्रावण का अर्थ है सुनना। इसलिए यह
भी कहा जाता है कि इस महीने में
सत्संग, प्रवचन व धर्मोपदेश सुनने से विशेष फल मिलता है।
यह महीना भगवान शंकर की भक्ति के
लिए विशेष माना जाता है। धर्म ग्रंथों के अनुसार इस मास में
विधि पूर्वक शिव उपासना करने से मनचाहे फल
की प्राप्ति होती है। सावन में
ही कई प्रमुख त्योहार जैसे-
हरियाली अमावस्या,
नागपंचमी तथा रक्षा बंधन आदि आते हैं। इस माह
में भक्ति, आराधना तथा प्रकृति के कई रंग देखने को मिलते हैं।
सावन की रिमझिम बारिश और प्राकृतिक वातावरण
बरबस में मन में उल्लास व उमंग भर देती है। अगर
यह कहा जाए कि सावन
का महीना पूरी तरह से शिव
तथा प्रकृति को समर्पित है
तो अतिश्योक्ति नहीं होगी। इसलिए
कहते हैं श्रावण
हिन्दू पंचांग का पांचवा माह श्रावण होता है। ज्योतिष के अनुसार
इस मास के दौरान या पूर्णिमा के दिन आकाश में श्रवण नक्षत्र
का योग बनता है इसलिए श्रवण नक्षत्र के नाम से इस माह
का नाम श्रावण हुआ। इस माह से चातुर्मास
की शुरुआत होती है। यह माह
चातुर्मास के चार महीनों में बहुत शुभ माह
माना जाता है। चातुर्मास धार्मिक दृष्टि से बहुत महत्व
रखता है। शिव पूजा का विशेष महत्व
धर्म शास्त्रों में सावन में भगवान शिव
की आराधना का महत्व अधिक बताया गया है।
पौराणिक मान्यता के अनुसार ऋषि मार्कण्डेय ने
लंबी उम्र के लिए शिव की प्रसन्नता के
लिए श्रावण मास में कठिन तप किया, जिसके प्रभाव से मृत्यु के
देवता यमराज भी पराजित हो गए। यह
भी मान्यता है कि सावन में शिव
द्वारा पार्वती को सुनाई गई अमरत्व कथा सुनाने से
सारे पापों से मुक्ति मिल जाती है।
यही कारण है कि सावन में शिव आराधना का विशेष
महत्व है। राशि अनुसार ये उपाय करें
धर्म ग्रंथों के अनुसार इस महीने में यदि भगवान
शंकर की पूजा विधि-विधान से की जाए
तो हर
मनोकामना जल्दी ही पूरी हो जाती है।
अगर आप चाहते हैं कि आपकी हर
इच्छा पूरी हो तो सावन में पूरे महीने
अपनी राशि के अनुसार ये उपाय करें-
मेष- इस राशि के लोग प्रतिदिन जल में गुड़ मिलाकर भगवान शिव
का अभिषेक करें अथवा जल में कुंकुम मिलाकर भी शिव
का अभिषेक कर सकते हैं। शिव पंचाक्षर मंत्र का जप करें।
वृष- इस राशि के लोगों के लिए दही से शिव
का अभिषेक शुभ फल देता है। इससे धन
संबंधी समस्या का निदान होता है। साथ
ही भगवान शिव की स्तुति करें व बिल्व
पत्र भी चढ़ाएं तो और जल्दी फल
प्राप्त होगा।मिथुन- इस राशि का लोग गन्ने के रस से भगवान शिव
का अभिषेक रोज एक महीने तक करें
तो जल्दी ही उसकी हर
मनोकामना पूरी हो जाएगी। भगवान शिव
को धतूरा भी चढ़ाएं।कर्क- इस राशि के शिवभक्त
अपनी राशि के अनुसार शक्कर मिला हुआ दूध
भगवान शिव को चढ़ाएं। साथ ही आंकड़े के फूल
भी अर्पित करें।सिंह- सिंह राशि के व्यक्ति लाल
चंदन के जल से शिव जी का अभिषेक करें तथा शिव
अमृतवाणी सुनें। इससे इनकी हर
मनोकामना पूरी होगी।कन्या- इस राशि के
व्यक्तियों को विजया(भांग) मिश्रित जल से भगवान शिव का अभिषेक
करना चाहिए इससे यदि इन्हें कोई रोग होगा तो वह समाप्त
हो जाएगा।तुला- इस राशि के तो लोग भगवान शिव का गाय के
घी और इत्र या सुगंधित तेल से अभिषेक करें। साथ
ही केसर मिश्रित मिठाई का भोग
भी लगाएं। इससे इनके जीवन में सुख-
समृद्धि आएगी।वृश्चिक- शहद मिश्रित जल से
भगवान शिव जी का अभिषेक वृश्चिक राशि के
जातकों के लिए शीघ्र फल देने वाला माना जाता है।
शहद न हो तो शक्कर का उपयोग भी कर सकते
हैं।धनु- इस राशि के जातकों को दूध में केसर मिलाकर भगवान शिव
का अभिषेक करना चाहिए। साथ ही शिव पंचाक्षर
स्त्रोत का पाठ करना चाहिए।
मकर- आप अपनी राशि के अनुसार
तिल्ली के तेल से शिव जी का अभिषेक
करें तो आपको हर काम में सफलता मिलेगी। भगवान
शिव को बिल्व पत्र भी चढ़ाएं।कुंभ- इस राशि के
व्यक्तियों को पूरे सावन माह में नारियल के
पानी या सरसों के तेल से भगवान शिव का अभिषेक
करना चाहिए। इससे इन्हें धन लाभ होगा।मीन- इस
राशि के जातक पानी में केशर मिलाकर भगवान शिव
जी का अभिषेक करें।
मनोकामना पूर्ति के अचूक टोटके
शिवमहापुराण में विभिन्न रसों से शिव
की पूजा का वर्णन विस्तारपूर्वक किया गया है,
जिससे साधक को कई रोगों से छुटकार मिल जाता है
वहीं मन चाहे फल
की प्राप्ति भी होती है।
यह इस प्रकार है-
- ज्वर(बुखार) से पीडि़त होने पर भगवान शिव
को जलधारा चढ़ाने से शीघ्रताशीघ्र लाभ
मिलता है। सुख व संतान की वृद्धि के लिए
भी जलधारा द्वारा शिव की पूजा उत्तम
बताई गई है।
- नपुंसक व्यक्ति अगर घी से शिव
की पूजा करे व ब्राह्मणों को भोजन कराए तथा सोमवार
का व्रत करे तो उसकी समस्या का निदान हो जाता है।
- तेज दिमाग के लिए शक्कर मिश्रित दूध भगवान शिव को चढ़ाएं।
- सुगंधित तेल से शिव का अभिषेक करने पर समृद्धि में
वृद्धि होती है।
- भगवान शिव पर ईख (गन्ना) के रस की धारा चढ़ाई
जाए
तो सभी आनन्दों की प्राप्ति होती है।
- शिव को गंगाजल चढ़ाने से भोग व मोक्ष
दोनों की प्राप्ति होती है। - मधु
(शहद) की धारा शिव पर चढ़ाने से
राजयक्ष्मा(टीबी) रोग दूर हो जाता है।
फूल चढ़ाकर करें शिव को प्रसन्न
शिवपुराण की रुद्रसंहिता में भगवान शिव का विभिन्न
पुष्पों से पूजन करने तथा उनसे प्राप्त होने वाले फलों का विस्तृत
वर्णन मिलता है जो इस प्रकार है-
- लाल व सफेद आंकड़े के फूल से शिव का पूजन करने पर भोग
व मोक्ष की प्राप्ति होती है।
- चमेली के फूल से पूजन करने पर वाहन सुख
मिलता है।
- अलसी के फूलों से शिव का पूजन करने से मनुष्य
भगवान विष्णु को प्रिय होता है। - शमी पत्रों से
पूजन करने पर मोक्ष प्राप्त होता है।
- बेला के फूल सेपूजन करने पर शुभ लक्षणों से युक्त
पत्नी मिलती है।
- जूही के फूल से शिव का पूजन करें तो घर में
कभी अन्न
की कमी नहीं होती।
- कनेर के फूलों से शिव पूजन करने से नवीन
वस्त्रों की प्राप्ति होती है।
- हरसिंगार के पुष्पों से पूजन करने पर सुख-सम्पत्ति में
वृद्धि होती है।
- धतूरे के पुष्प के पूजन करने पर भगवान शंकर सुयोग्य पुत्र
प्रदान करते हैं, जो कुल का नाम रोशन करता है।
- लाल डंठलवाला धतूरा पूजन में शुभ माना गया है।
- दुर्वा से पूजन करने पर आयु बढ़ती है।अनाज से
भी प्रसन्न होते हैं शिव
धर्म ग्रंथों में भगवान शिव को विभिन्न प्रकार के अनाज अर्पित
करने का भी विधान बताया गया है जो इस प्रकार है-
- भगवान शिव को चावल चढ़ाने से धन
की प्राप्ति होती है।
- तिल चढ़ाने से पापों का नाश हो जाता है।
- जौ अर्पित करने से सुख में वृद्धि होती है।
- भगवान शिव को गेंहू चढ़ाने से संतान
वृद्धि होती है।
यह सभी अन्न भगवान को अर्पण करने पश्चात
गरीबों में वितरित कर देना चाहिए।शिव पूजन
की आसान विधि
सावन में भगवान शिव को रोज पूजा करने से पुण्य फल प्राप्त
होते हैं।
भगवान शिव की पूजा इस विधि से करें-
- सुबह और शाम स्नान के बाद सफेद कपड़े पहन शिव के साथ
माता पार्वती, गणेश जी, कार्तिकेय और
नंदीगण की पूजा करें।
- पूजा में सवेरे मुख पूर्व दिशा में वहीं शाम के वक्त
पश्चिम दिशा की ओर रखें।
- शिव परिवार को पंचामृत यानी दूध, दही,
शहद, शक्कर, घी व जलधारा से स्नान कराकर,
गंध, चावल, चंदन, रोली, सफेद फूल, बिल्वपत्र व
सफेद वस्त्र चढ़ाएं।
- शिव को प्रिय बेलपत्र, भांग-धतूरा भी पूजा में
चढ़ाएं। सफेद मिठाई या पकवानों का भोग लगाएं।
- पूजा के दौरान शिव के पंचाक्षरी ऊँ नम: शिवाय मंत्र
का जप करते रहें।
- शिव की धूप व गाय के
घी का दीप जलाकर
आरती करें।
- पूजा के बाद शिव स्त्रोत, शिव ताण्डव स्त्रोत, शिव भजन करें।
- पूजा व जीवन में हुए सारे जाने अनजाने दोषों के
लिए भगवान शिव से क्षमा मांगे। प्रसाद ग्रहण करें व बांटें।

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