Thursday, July 24, 2014

प्रेम विवाह

 प्रेम विवाह ऐसी भी स्थिति भी बन
सकती हैं ...की जब कोई मन
को भा गया.और उसे ही अपने जीवन
साथी के रूप में देखना चाहता हो तब ..देवर्षि नारद
ने यह व्यवस्था दी की .जो प्रथम बार
के दर्शन में ही मन को भा जाए
वही कन्या श्रेष्ठ हैं जीवन
साथी के रूप में ..क्योंकि उन्हें तो जीवन
के हर स्थिति को ध्यान में रखना था .आज के इस आधुनिक काल
में यही समस्या बहुत विकट
हैं.की कैसे योग्य जीवन
साथी पाया जाए .
और जहाँ योग्य हैं वहां वह आपके लिए तैयार हो यह
भी तो संभव नही .तब
क्या किया जाए??
और यह अवस्था .किसी पुरुष के
लिए ..स्त्री पक्ष
की हो सकती हैं .
तो किसी स्त्री के लिए ...पुरुष पक्ष से
हो सकती हैं .अर्थात यह प्रयोग दोनों के लिए
ही लाभ दायक हैं .
पर ध्यान में रखने योग बात हैं .यह
किसी भी उछंख्लाता को बढ़ावा देनेके लिए
नही हैं .जहाँ सच में मनो भाव पवित्र हो .उनके
लिए हैं यह साधना ...क्योंकि जब कुछ ओर शेष न हो तब ...
ऐसे समय ही साधना की उपयोगिता सामने
आती हैं ध्यान रखने योग्य बात हैं
की हर साधना का एक अपना ही अर्थ
हैं और कोई भी मंत्र जप व्यर्थ
नही जाता हैं इस बात
को किसी भी साधना करने से पूर्ण मन
मस्तिष्क में अच्छे से उतार लेना चहिये .
सदगुरुदेव जी ने इस तथ्य को कई कई बार कहा हैं
की लंबी साधनाओ का अपना महत्व
तो हैं ही .पर इस कारण सरल और अल्प समय
वाली साधनाओ को उपेक्षित
भी नही किया जा सकता हैं .
अनेको बार यह सरल कम अवधि की साधनाए बहुत
तीव्रता से परिणाम सामने ले आती हैं .
इस प्रयोग को सिद्ध
करना जरुरी नही हैं ,पर
हमारी इच्छा शक्ति और कार्य सफल
हो ही इस कारण मात्र दस हज़ार जप कर
लिया जाए
तो सफलता की सभावना कहीं ओर
भी बढ़ जाती हैं
नियम :
मंत्र जप यदि करना चाहे तो केबल दस हज़ार .यह करने पर
सफलता की सभावना कई गुणा अधिक
होगी .
पीले वस्त्र और पीले आसन का उपयोग
होगा .
कोई भी माला का उपयोग किया जा सकता हैं .
किसी भी शुभ दिन से सदगुरुदेव
जी का पूर्ण पूजन कर प्रारंभ कर सकते हैं .
सुबह या रात्रि काल में भी मंत्र जप
किया जा सकता हैं .
दिशा पूर्व या उत्तर हो तो अधिक श्रेष्ठ हैं .
मंत्र ::
ओं ह्रीं कामातुरे काम मेखले
विद्योषिणि नील लोचने .........वश्यं कुरु
ह्रीं नम:||
Om hreem kamature kaam mekhle vidyoshini
neel lochne …….vasyam kuru hreem namah ||
जहाँ पर .... हैं वहाँ पर इच्छित पुरुष
या स्त्री का नाम ले कर मंत्र जप करें . फिर इस
प्रयोग को सम्पन्न करने के बाद जब भोजन करने बैठे
तो जो भी पहला ग्रास आप काह्ये उसे पहले सात
बार ऊपर दिए मंत्र से अभी मंत्रित कर स्वयं
ग्रहण कर ले .
बहुत ही अल्प समय में आप इसका परिणाम
देखसकते हैं .
पर इस प्रयोग में यह आवश्यक हैं
की स्त्री पुरुष ..जो भी जिसके
लिए प्रयोग कर रहा हो .उनका आपस में
कहीं भी मिलने
की सम्भावना तो होनी ही चहिये ...

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