Sunday, July 20, 2014

बेड रूम के लिए वास्तु टिप्स

बेड रूम के लिए वास्तु टिप्स
- बेड रूम (शयन कक्ष) के स्थान और सामान के लिए वास्तु
टिप्स|बेडरूम आपका वह स्थान जहां आप अपना सबसे
जयादा समय बिताते हें| पुरे दिन काम करने के बाद यह स्थान
आपके शरीर और दिमाग को आराम और शांति प्रदान
करता है|
यहाँ वास्तु शास्त्र के अनुसार शयन कक्ष के स्थान और
चीजों के रखरखाव के लिए कुछ सुझाव दिए गए हैं |
बेड रूम के लिए उपयुक्त दिशाये:मुख्य शयन कक्ष, जिसे मास्टर
बेडरूम भी कहा जाता हें, घर के दक्षिण पश्चिम
या उत्तर पश्चिम की ओर होना चाहिए |
अगर घर में एक मकान की ऊपरी मंजिल
है तो मास्टर ऊपरी मंजिल मंजिल के दक्षिण पश्चिम
कोने में होना चाहिए |
बच्चों का कमरा उत्तर – पश्चिम या पश्चिम में होना चाहिए और
मेहमानों के लिए कमरा (गेस्ट बेड रूम) उत्तर पश्चिम या उत्तर
– पूर्व की ओर होना चाहिए |
पूर्व दिशा में बने कमरा का अविवाहित बच्चों या मेहमानों के सोने के
लिए इस्तेमाल किया जा सकता है |
उत्तर – पूर्व दिशा में देवी – देवताओं का स्थान है
इसलिए इस दिशा में कोई बेडरूम नहीं होना चाहिए |
उत्तर – पूर्व में बेडरूम होने से धन की हानि ,
काम में रुकावट और बच्चों की शादी में
देरी हो सकती है |
दक्षिण – पश्चिम का बेडरूम स्थिरता और महत्वपूर्ण
मुद्दों को हिम्मत से हल करने में सहायता प्रदान करता है |
दक्षिण – पूर्व में शयन कक्ष अनिद्रा , चिंता , और वैवाहिक
समस्याओं को जन्म देता है | दक्षिण पूर्व दिशा अग्नि कोण हें
जो मुखरता और आक्रामक रवैये से संबंधित है |
शर्मीले और डरपोक बच्चे इस कमरे का उपयोग करें
और विश्वास प्राप्त कर सकते हैं |
आक्रामक और क्रोधी स्वभाव के जो लोग है इस
कमरे में ना रहे |
उत्तर – पश्चिम दिशा वायु द्वारा शासित है और आवागमन से
संबंधित है |
इसे विवाह योग्य लड़किया के शयन कक्ष के लिए एक
अच्छा माना गया है | यह मेहमानों के शयन कक्ष लिए
भी एक अच्छा स्थान है |
शयन कक्ष घर के मध्य भाग में नहीं होना चाहिए,
घर के मध्य भाग को वास्तु में बर्हमस्थान कहा जाता है |
यह बहुत सारी ऊर्जा को आकर्षित करता है
जोकि आराम और नींद के लिए लिए बने शयन कक्ष
के लिए उपयुक्त नहीं है |
बेड रूम में रखे सामान के लिए उपयुक स्थान: सोते समय एक
अच्छी नींद के नंद के लिए सिर पूर्व
या दक्षिण की ओर होना चाहिए |
वास्तु के सिद्धांतों के अनुसार, पढ़ने और लिखने
की जगह पूर्व या शयन कक्ष के पश्चिम
की ओर होनी चाहिए|
जबकि पढाई करते समय मुख पूर्व दिशा में होना चाहिए |
ड्रेसिंग टेबल के साथ दर्पण पूर्व या उत्तर
की दीवारों पर तय
की जानी चाहिए |
अलमारी शयन कक्ष के उत्तर
पश्चिमी या दक्षिण की ओर होना चाहिए
|
टीवी, हीटर और एयर
कंडीशनर को दक्षिण पूर्वी के कोने में
स्थित होना चाहिए |बेड रूम के साथ लगता बाथरूम, कमरे के
पश्चिम या उत्तर में होना चाहिए |
दक्षिण – पश्चिम , पश्चिम
कोना कभी खाली नहीं रखा जाना चाहिए|
यदि आप कोई सेफ या तिजोरी, बेड रूम में रखना चाहे
तो उसे दक्षिण कि दिवार के साथ रख सकते हें, खुलते समय
उसका मुंह धन की दिशा, उत्तर
की तरफ खुलना चाहिए|
वास्तु के अनुसार ऑफिस की सज्जा
आज की जीवन शैली में
हमारे दिन का सबसे बड़ा हिस्सा ऑफिस में
बीतता है। ऑफिस के वातावरण और संबंधों का हमारे
जीवन की गुणवत्ता पर गहरा प्रभाव
पड़ता है। ऑफिस की सज्जा और वास्तु का बहुत
महत्व है। इसका हमारी कार्यक्षमता,
खुशी और सामान्य स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़ता है।
ऑफिस की सज्जा की योजना बनाते
वक्त स्वयं की अभिरुचियों के साथ ग्राहक
की कार्यात्मक और सौन्दर्यात्मक जरूरतों, उपलब्ध
जगह की संभावनाओं का ध्यान रखना पड़ता है।
ऑफिस में लोगों के बैठने फर्नीचर
आलमारी आदि बेडरूम और
पैंट्री की जगहें, और उन
सभी जगहों के बीच सुलभ
आवाजाही के लिए और सीढ़ियों और आग
से सुरक्षा के स्थान तक पहुंचने की पर्याप्त
जगह होनी चाहिए। ऑफिस
की सज्जा के लिए
हमेशा लम्बी अवधि की योजना बनानी चाहिए,
भले वर्तमान में उस योजना के एक छोटे हिस्से को लागू करना हो,
जैसे-जैसे जरूरत और फंड बढ़े। मास्टर प्लान
ऐसी होनी चाहिए कि आज
जो भी नई चीज आप लगाएं उसे तब
भी हटाना न पड़े जब आप ऑफिस बढ़ाएं।ऑफिस के
अलग-अलग घटकों के बारे में अगर हम मूलभूत
सिद्धांतों का ध्यान रखें तो मास्टर प्लान
की परिकल्पना करने में मदद मिलेगी।1)
ग्राहक पर सबसे पहले रिसेप्शन की जगह
का प्रभाव पड़ता है।
सज्जा अच्छी होनी चाहिए,
कम्पनी की अभिरूचि और स्टाइल
का प्रतिनिधित्व करने वाली। कम्पनी के
प्रोडक्ट और सर्विसेज के मॉडल और विजुअल प्रदर्शित किए
जा सकते हैं। जगह की डिजायन
ऐसी होनी चाहिए कि रिसेप्शनिस्ट आते
और जाते लोगों पर दूर तक नजर रख सके।2) कांफ्रेंस रूम प्रवेश
से आसानी से पहुंच में होनी चाहिए।
टॉयलट तक पहुंच सुलभ होनी चाहिए। प्रेजेंटेशन
के सामान जैसे स्क्रीन,
टीवी, वीडियो मॉनिटर, ब्लैक
बोर्ड, फ्लिप चार्ट तारतम्य में लगे होने चाहिए और
फर्नीचर इस तरह लगे होने चाहिए कि सदस्य
आसानी से कम्यूनिकेट कर सकें। दिवारों और
प्रेजेंटेशन के बैकग्राउंड के रंग शान्त और न्यूट्रल प्रकार के
होने चाहिए, इससे सामूहिक चर्चा का माहौल बनता है।3)
लाइटिंग डिजाइन को जीवंत बनाती है।
लाइटिंग की व्यवस्था में एक संतुलित तड़क-भड़क से
नीरसता नहीं रह जाती।
इस बात का ध्यान होना चाहिए कि आंखों पर जोर न पड़े। प्रत्येक
सीट और जगह के लिए यथासंभव अलग लाइट और
स्विच होने से बचत का ध्यान रहेगा।4) फ्लोरिंग मैटेरियल
का चयन संबंधित जगह के काम को ध्यान में रखकर
किया जाता है। इसमें टिकाउपन, रंग, लागत और रखरखाव का ध्यान
रखा जाता है।5) स्टोरेज की नई-नई डिवाइस बाजार में
हैं। सेल्फ, कपबोर्ड, फाइलिंग कैबिनेट, ड्रावर यूनिट आदि के बारे
में निर्णय लेने से पूर्व बाजार में इनके पूरे रेंज को जरूर देखें और
ठीक-ठीक अपनी जरूरत के
अनुसार चयन करें।

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