Monday, July 21, 2014

शनि स्त्रोत्र

जय शनि देव :-
इस स्त्रोत्र के नियमित पाठ मात्र से शनि कितना भी अशुभ
हो निश्चित रूप से शांत हो कर शुभ परिणाम प्रदान करता है
दशरथ कृत शनि स्त्रोत्र :-
नम: कृष्णाय नीलाय शितिकण्ठनिभाय च।
नम: कालाग्निरूपाय कृतान्ताय च वै नम: ।।१।।
नमो निर्मांस देहाय दीर्घश्मश्रुजटाय च ।
नमो विशालनेत्राय शुष्कोदर भयाकृते।।२।।
नम: पुष्कलगात्राय स्थूलरोम्णेऽथ वै नम:।
नमो दीर्घायशुष्काय कालदष्ट्र नमोऽस्तुते।।३।।
नमस्ते कोटराक्षाय दुर्निरीक्ष्याय वै नम: ।
नमो घोराय रौद्राय भीषणाय कपालिने।।४।।
नमस्ते सर्वभक्षाय वलीमुखायनमोऽस्तुते।
सूर्यपुत्र नमस्तेऽस्तु भास्करे भयदाय च ।।५।।
अधोदृष्टे: नमस्तेऽस्तु संवर्तक नमोऽस्तुते ।
नमो मन्दगते तुभ्यं निरिाणाय नमोऽस्तुते ।।६।।
तपसा दग्धदेहाय नित्यं योगरताय च ।
नमो नित्यं क्षुधार्ताय अतृप्ताय च वै नम: ।।७।।
ज्ञानचक्षुर्नमस्तेऽस्तु कश्यपात्मज सूनवे ।
तुष्टो ददासि वै राज्यं रुष्टो हरसि तत्क्षणात् ।।८।।
देवासुरमनुष्याश्च सिद्घविद्याधरोरगा: ।
त्वया विलोकिता: सर्वे नाशंयान्ति समूलत:।।९।।
प्रसाद कुरु मे देव वाराहोऽहमुपागत ।
एवं स्तुतस्तद सौरिग्र्रहराजो महाबल: ।।१०।।
सरल शनि मंत्र व स्तोत्र :-
(1) सूर्यपुत्रो दीर्घदेहो विशालाक्षः शिवप्रियः
मंदचार प्रसन्नात्मा पीड़ां हरतु में शनिः
(2)नीलांजन समाभासं रवि पुत्रां यमाग्रजं।
छाया मार्तण्डसंभूतं तं नामामि शनैश्चरम्।।
(3) प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः
(4) ओम शं शनैश्चराय नमः।
ध्वजिनी धामिनी चैव
कंकाली कलहप्रिया।
कण्टकी कलही चाऽथ
तुरंगी महिषी अजा।। शं शनैश्चराय नमः।
(5)ओम शं शनैश्चराय नमः। कोणस्थ पिंगलो बभ्रु
कृष्णौ रौद्रान्तको यमः।
सौरि शनैश्चरा मंद पिप्पलादेन संस्थितः।। ओम शं शनैश्चराय नमः।
शनि देव के गुप्त उपाय
शनि के कोप से बचने हेतु आप हनुमान
जी की आराधाना कर सकते हैं,
क्योंकि शास्त्रों में हनुमान जी को रूद्रावतार कहा गया है।
शनि की साढ़े साते से मुक्ति हेतु :- शनिवार
को बंदरों को केला व चना खिला सकते हैं।
नाव के तले में लगी कील और काले घोड़े
का नाल भी शनि की साढ़े साती के
कुप्रभाव से आपको बचा सकता है ,अगर आप
इनकी अंगूठी बनवाकर धारण करते हैं।
लोहे से बने बर्तन, काला कपड़ा, सरसों का तेल, चमड़े के जूते,
काला सुरमा, काले चने, काले तिल, उड़द की साबूत दाल ये
तमाम चीज़ें शनि ग्रह से सम्बन्धित वस्तुएं हैं, शनिवार
के दिन इन वस्तुओं का दान करने से एवं काले वस्त्र एवं
काली वस्तुओं का उपयोग करने से
शनि की प्रसन्नता प्राप्त होती है। शनि के
लिए काले द्रव्यों से पूजा होती है और
काली वस्तुएँ दान दी जाती हैं।
तिल, तेल और लोहा शनि के लिए दान की प्रिय वस्तुएँ
हैं।
जन्मपत्रिका के निर्णय के आधार पर शनि के रत्न नीलम
का धारण करना अच्छा रहता है।
शनि निम्न वर्ग के प्रतिनिधि हैं अत: गरीब, मजदूर,
निर्बल और बेसहारा लोगों की सेवा करने पर शनिदेव
प्रसन्न होते हैं। छोटे कर्मचारी वर्ग के ग्रह
भी शनि ही हैं अत: इन
वर्गो की सेवा करने या उन्हें सुख देने या दान देने से
शनि प्रसन्न होते हैं।
प्रतिदिन लोबान युक्त बत्ती सरसों तेल के दीये
में डालकर शाम को पीपल की जड़ में
दीपक जलाएं।
कच्चे धागे को सात बार पीपल के पेड़ में लपेटें।
बन्दरों को गुड़ और चना, भैसों को उड़द के आटे
की रोटी खिलाएं।
जटायुक्त कच्चे नारियल सिर के ऊपर से 11 बार उतार कर 11 नारियल
बहते जल में प्रवाहित करें।
काला कपड़ा, कंबल और छाया पात्र दान करें।
शनि ग्रह की प्रिय वस्तुएं जैसे गाली गाय,
काला कपड़ा, तेल, उड़द, खट़टा-कसैला पदार्थ, काले पुष्प, चाकू, छाता,
काली चप्पल और काले तिल आदि का शनिवार के दिन दान
करना चाहिए।
शनि का रत्न नीलम, जामुनिया, कटेला पांच
रत्ती से ऊपर का धारण करना चाहिए।
पीपल के पेड़ के नीचे प्रदोष काल में कड़ुए
तेल का दीपक जलाना चाहिए। तिल्ली के तेल
का दीपक भी जला सकते हैं।
काला तिल चढ़ाने से विशेष लाभ मिलता है।
शनिवार को सायंकाल बूढ़े-बुजुर्ग
की सेवा करनी चाहिए। काले घोड़े
की नाल का छल्ला पहनना उत्तम माना जाता है।
भैंसा या घोड़े को शनिवार के दिन काला देशी चना खिलाने से
शनि जी प्रसन्न होते हैं।
शनिवार के दिन पुष्प नक्षत्र होने पर बिछुआ
बूटी की जड़ एवं शमी (छोकर)
की जड़ को काले धागे में बांधकर
दाहिनी भुजा में धारण करने से शनि का प्रभाव कम
होता है।
मंगलवार, शनिवार व्रत से शनि जी प्रसन्न होते हैं।
बजरंगबाण का पाठ और हनुमान
जी आराधना भी साढ़ेसाती/ढैया में
विशेष रूप से प्रभावकारी मानी गई है।
शनि-मंगल मंत्र का जाप:-
ऊं शं शनैश्चराय नम:। ऊं प्रां प्रीं प्रौं स: शनये नम:।
शनि के दुष्प्रभाव को दूर करने के लिए इन मंत्रों का 23000
की संख्या में जाप करना चाहिए।

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