पत्नी को कब और क्यों पति के बायीं ओर
होना चाहिए--
पत्नी वामांगी क्यों कहलाती है?
शास्त्रों में पत्नी को वामंगी कहागया है,
जिसका अर्थ होता है बाएं अंग का अधिकारी। इसलिए
पुरुष के शरीर
का बायां हिस्सा स्त्री का माना जाता है। इसका कारण
यह है कि भगवान शिव के बाएं अंग से
स्त्री कीउत्पत्ति हुई है
जिसका प्रतीक है शिव का अर्धनारीश्वर
शरीर। यही कारण है
कि हस्तरेखा विज्ञान की कुछ पुस्तकों में पुरुष के
दाएं हाथ से पुरुष की और बाएं हाथ से
स्त्री की स्थिति देखने
की बात कही गई।इन कार्यों में
पत्नी को पति के बायीं ओर रहना चाहिए
----शास्त्रों में कहा गया है कि स्त्री पुरुष
की वामांगी होती है इसलिए
सोते समय और सभा में, सिंदूरदान, द्विरागमन,
आशीर्वाद ग्रहण करते समय और भोजन के समय
स्त्री पति के बायीं ओर रहना चाहिए।
इससे शुभ फल की प्राप्ति होती। इस
मान्यता के पीछे तर्क यह है कि जो कर्म संसारिक
होते हैं उसमें पत्नी पति के बायीं ओर
बैठती है। क्योंकि यह कर्म
स्त्री प्रधानकर्म माने जाते हैं।इन कामों में
पत्नी को पति के दाई ओर रहना चाहिए--
वामांगी होने के बावजूद भी कुछ कामों में
स्त्री को दायीं ओर रहने के बात शास्त्र
कहता है। शास्त्रोंमें बताया गया है कि कन्यादान, विवाह,
यज्ञकर्म, जातकर्म, नामकरण और अन्न प्राशन के समय
पत्नी को पतिके दायीं ओर बैठना चाहिए।
यह सभी काम पारलौकिक माने जाते हैं और इन्हें
पुरुष प्रधान माना गया है। इसलिए इन कर्मों में
पत्नी के दायीं ओर बैठने के नियम हैं।
होना चाहिए--
पत्नी वामांगी क्यों कहलाती है?
शास्त्रों में पत्नी को वामंगी कहागया है,
जिसका अर्थ होता है बाएं अंग का अधिकारी। इसलिए
पुरुष के शरीर
का बायां हिस्सा स्त्री का माना जाता है। इसका कारण
यह है कि भगवान शिव के बाएं अंग से
स्त्री कीउत्पत्ति हुई है
जिसका प्रतीक है शिव का अर्धनारीश्वर
शरीर। यही कारण है
कि हस्तरेखा विज्ञान की कुछ पुस्तकों में पुरुष के
दाएं हाथ से पुरुष की और बाएं हाथ से
स्त्री की स्थिति देखने
की बात कही गई।इन कार्यों में
पत्नी को पति के बायीं ओर रहना चाहिए
----शास्त्रों में कहा गया है कि स्त्री पुरुष
की वामांगी होती है इसलिए
सोते समय और सभा में, सिंदूरदान, द्विरागमन,
आशीर्वाद ग्रहण करते समय और भोजन के समय
स्त्री पति के बायीं ओर रहना चाहिए।
इससे शुभ फल की प्राप्ति होती। इस
मान्यता के पीछे तर्क यह है कि जो कर्म संसारिक
होते हैं उसमें पत्नी पति के बायीं ओर
बैठती है। क्योंकि यह कर्म
स्त्री प्रधानकर्म माने जाते हैं।इन कामों में
पत्नी को पति के दाई ओर रहना चाहिए--
वामांगी होने के बावजूद भी कुछ कामों में
स्त्री को दायीं ओर रहने के बात शास्त्र
कहता है। शास्त्रोंमें बताया गया है कि कन्यादान, विवाह,
यज्ञकर्म, जातकर्म, नामकरण और अन्न प्राशन के समय
पत्नी को पतिके दायीं ओर बैठना चाहिए।
यह सभी काम पारलौकिक माने जाते हैं और इन्हें
पुरुष प्रधान माना गया है। इसलिए इन कर्मों में
पत्नी के दायीं ओर बैठने के नियम हैं।
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