Tuesday, July 22, 2014

रत्न धारण हेतु आवश्यक नियम

रत्न धारण हेतु आवश्यक नियम....
कोई भी रत्न धारण करने से पूर्व ज्योतिष शास्त्र के
नियमों को अनिवार्य रूप से ध्यान में रखना चाहिए-
* रत्न धारण से पूर्व जन्मकुंडली में स्थित ग्रह
की दशा , दृष्टि, अंतरदशा व गति पर ध्यान
दिया जाना चाहिए ।
* कुंडली में ग्रह के अंश भी देखने
चाहिए ।
* जन्म कुंडली में अस्त या उदय होने पर ध्यान
देना चाहिए क्योंकि अस्त ग्रह से संबधित रत्न पहनने से
ग्रह का प्रभाव बढ जाता है ।
* कभी भी नीच और
अष्टम या द्वादश भाव से संबंधी रत्न
नही पहनें ।
* बहुत कम मामलों में
दो रत्नों की आवश्यकता होती है
अतः व्यर्थ व्यय न करें ।
* ग्रह के विरोधी रत्न को कभी न
पहनें , उसके स्थान पर मित्र रत्न को धारण किया जा सकता है

* अगर पुरूष बाँए हाथ में रत्न धारण करें तो पत्नि और
स्त्री दायें हाथ में धारण करें तो पति के लिए
अच्छा रहता है ।
* प्रत्येक ग्रह क्रम से एक दूसरे का बल नष्ट करते है ।
सूर्य का बल शनि से, शनि का बल मंगल से, मंगल का बल बुध से,
गुरू का शुक्र से, शुक्र का चंद्र से, बुध का गुरू से और चन्द्र
का मंगल से प्रभाव नष्ट होता है ।

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