Friday, July 18, 2014

इस मंत्र ने बनाया कितनों को धनवान

इस मंत्र ने बनाया कितनों को धनवान आप
भी आजमाकर देखें
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ईश्वर धन देने पर मजबूर हो जाते हैं
धनवान बनने का सपना देख रहे हैं तो इसे
हकीकत में भी बदलने
की कोशिश कीजिए। यह इतना कठिन
काम भी नहीं है।
आपकी मेहनत के साथ अगर ईश्वर
की कृपा भी हो जाए तो आपको धनवान
बनने से कोई रोक नहीं सकता। शास्त्रों में कुछ ऐसे
मंत्र बताए गए हैं जिनसे आकर्षित होकर ईश्वर धन देने पर
मजबूर हो जाते हैं।
इस मंत्र से होने लगी धन की बरसात
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आदि शंकराचार्य द्वारा रचित कनकधारा स्तोत्र मंत्र ऐसा सिद्घ
मंत्र माना जाता है जिसके नियमित पाठ से
देवी लक्ष्मी की कृपा सदैव
घर में बनी रहती है।
इसी मंत्र से शंकराचार्य ने सोने
की बरसात
करवा दी थी इसलिए इस मंत्र
को कनकधारा स्तोत्र कहा जाता है। आप भी धन
वृद्घि के लिए नियमित इस स्तोत्र का पाठ करें।
अंगहरे पुलकभूषण माश्रयन्ती भृगांगनैव
मुकुलाभरणं तमालम।
अंगीकृताखिल विभूतिरपांगलीला
मांगल्यदास्तु मम मंगलदेवताया:।।1।।
मुग्ध्या मुहुर्विदधती वदनै मुरारै: प्रेमत्रपाप्रणि
हितानि गतागतानि।
माला दृशोर्मधुकर विमहोत्पले या सा मै श्रियं दिशतु सागर
सम्भवाया:।।2।।
विश्वामरेन्द्रपदविभ्रमदानदक्षमानन्द हेतु रधिकं मधुविद्विषोपि।
ईषन्निषीदतु मयि क्षणमीक्षणार्द्
धमिन्दोवरोदर सहोदरमिन्दिराय:।।3।।
आमीलिताक्षमधिगम्य मुदा मुकुन्दमानन्दकन्दम
निमेषमनंगतन्त्रम्।
आकेकर स्थित कनी निकपक्ष्म नेत्रं भूत्यै भवेन्मम
भुजंगरायांगनाया:।।4।।
बाह्यन्तरे मधुजित: श्रितकौस्तुभै या हारावलीव
हरिनीलमयी विभाति।
कामप्रदा भगवतो पि कटाक्षमाला कल्याण भावहतु मे
कमलालयाया:।।5।।
कालाम्बुदालिललितोरसि कैटभारेर्धाराधरे स्फुरति या तडिदंगनेव्।
मातु: समस्त जगतां महनीय मूर्तिभद्राणि मे दिशतु
भार्गवनन्दनाया:।।6।।
प्राप्तं पदं प्रथमत: किल यत्प्रभावान्मांगल्य भाजि:
मधुमायनि मन्मथेन।
मध्यापतेत दिह मन्थर मीक्षणार्द्ध मन्दालसं च
मकरालयकन्यकाया:।।7।।
दद्याद दयानुपवनो द्रविणाम्बुधाराम स्मिभकिंचन विहंग
शिशौ विषण्ण।
दुष्कर्मधर्ममपनीय चिराय दूरं नारायण
प्रणयिनी नयनाम्बुवाह:।।8।।
इष्टा विशिष्टमतयो पि यथा ययार्द्रदृष्टया त्रिविष्टपपदं सुलभं
लभंते।
दृष्टि: प्रहूष्टकमलोदर
दीप्ति रिष्टां पुष्टि कृषीष्ट मम पुष्कर
विष्टराया:।।9।।
गीर्देवतैति गरुड़ध्वज
भामिनीति शाकम्भरीति शशिशेखर
वल्लभेति।
सृष्टि स्थिति प्रलय केलिषु संस्थितायै तस्यै ‍नमस्त्रि भुवनैक
गुरोस्तरूण्यै ।।10।।
श्रुत्यै नमोस्तु शुभकर्मफल प्रसूत्यै रत्यै नमोस्तु
रमणीय गुणार्णवायै।
शक्तयै नमोस्तु शतपात्र निकेतानायै पुष्टयै नमोस्तु पुरूषोत्तम
वल्लभायै।।11।।
नमोस्तु नालीक निभाननायै नमोस्तु दुग्धौदधि जन्म
भूत्यै ।
नमोस्तु सोमामृत सोदरायै नमोस्तु नारायण वल्लभायै।।12।।
सम्पतकराणि सकलेन्द्रिय नन्दानि साम्राज्यदान
विभवानि सरोरूहाक्षि।
त्व द्वंदनानि दुरिता हरणाद्यतानि मामेव मातर निशं कलयन्तु
नान्यम्।।13।।
यत्कटाक्षसमुपासना विधि: सेवकस्य कलार्थ सम्पद:।
संतनोति वचनांगमानसंसत्वां मुरारिहृदयेश्वरीं भजे।।
14।।
सरसिजनिलये सरोज हस्ते धवलमांशुकगन्धमाल्यशोभे।
भगवति हरिवल्लभे मनोज्ञे त्रिभुवनभूतिकरि प्रसीद
मह्यम्।।15।।
दग्धिस्तिमि: कनकुंभमुखा व सृष्टिस्वर्वाहि
नी विमलचारू जल प्लुतांगीम।
प्रातर्नमामि जगतां जननीमशेष लोकाधिनाथ
गृहिणी ममृताब्धिपुत्रीम्।।16।।
कमले कमलाक्षवल्लभे त्वं करुणापूरतरां गतैरपाड़ंगै:।
अवलोकय माम किंचनानां प्रथमं पात्रमकृत्रिमं दयाया : ।।17।।
स्तुवन्ति ये स्तुतिभिर भूमिरन्वहं
त्रयीमयीं त्रिभुवनमातरं रमाम्।
गुणाधिका गुरुतरभाग्यभागिनो भवन्ति ते बुधभाविताया:।।18।।
।। इति श्री कनकधारा स्तोत्रं सम्पूर्णम् ।।
कुबेर बरसाएंगे धन इस छोटे से मंत्र से
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कुबेर महाराज भगवान के खजांची हैं।
इन्हीं के पास भगवान के खजाने
की चाबी है। कहते हैं
लक्ष्मी धन का आशीर्वाद
देती है लेकिन धन कुबेर बरसाते हैं।
इन्हें आकर्षित करके धन प्राप्त करना हो तो द्विपुष्कर,
त्रिपुष्कर योग
अथवा दीपावली की रात
संकल्प लेकर नियमित 'यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय
धनधान्यधिपतये। धनधान्यसमृद्घिं में देहि दापाय स्वाहा।। इस
मंत्र का नियमित तीन या कम से कम एक माला जप
करना चाहिए। जप के समय मुंह उत्तर
दिशा की ओर रखें।

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